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मेरठ महोत्सव में पहुंचे शंकर महादेवन; बोले- रियाज के लिए पहला तानपुरा मेरठ से मंगाया था - MEERUT MAHOTSAV 2024

पांचवें दिन मेरठ महोत्सव का समापन, ईटीवी भारत से की खास बातचीत.

मेरठ महोत्सव में पहुंचे गायक शंकर महादेवन
मेरठ महोत्सव में पहुंचे गायक शंकर महादेवन (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 11 hours ago

मेरठ : मेरठ महोत्सव में बुधवार को कार्यक्रम पेश करने पार्श्वगायक और जाने-माने संगीतकार शंकर महादेवन पहुंचे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि मेरठ की धरती पर पहली बार आए हैं. उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत के रियाज के लिए जो मेरा पहला तानपुरा आया था वो मेरठ से आया था, ऐसी क्वालिटी कहीं नहीं है.

मेरठ में बीते पांच दिन से मेरठ महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. ऐसे में बुधवार को कार्यक्रम के समापन पर गायक शंकर महादेवन मेरठ पहुंचे. इस मौके पर उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि वह पहली बार मेरठ पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि मेरठ महोत्सव में दिग्गज कलाकार अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं, खुद हेमा मालिनी यहां आ चुकी हैं. उन्होंने कहा कि वह भाग्यशाली हैं. सरकार की तरफ से उन्हें निमंत्रण मिला है. उन्होंने बताया कि वह गौरवान्वित हैं कि कुंभ का एंथम उन्होंने गाया है. अब उन्हें वहां गाने का अवसर मिलेगा. मां गंगा के लिए वह वहां गाएंगे. उन्होंने कहा कि शिव श्रोत और अन्य प्रसिद्ध भजन भी वह वहां गाने वाले हैं.

मेरठ महोत्सव में पहुंचे गायक शंकर महादेवन (Video credit: ETV Bharat)


यूथ के लिए वह कहते हैं कि उनके लिए उनका प्यार भरा संदेश यही है कि जो भी कला में आप मेहनत कर रहे हैं, उस कला को अच्छी तरह सीखो. मैं आज भी स्टूडेंट हूं और सीखता ही रहता हूं. वह बताते हैं कि वह मुसाफिर हैं. बीस साल से म्यूजिक कंपोज कर रहे हैं. एहसान और लॉय के साथ तीस साल हो गये हैं. फिल्म 'दिल चाहता है' से शुरुआत की थी. उन्होंने कहा कि उनका सबसे बड़ा प्रॉब्लम यह रहता है कि वह यह सोचते हैं कि जब कहीं परफॉर्म करते हैं तो कौन सा गाना नहीं गाऊं. क्योंकि अगर वह गाएं तो प्रोग्राम 5 घंटे का होगा. उनका कहना है कि उनके द्वारा गया गया ब्रेथलेस गाना बहुत ही पसंद किया जाता है और उससे उन्हें एक पहचान मिली. उसके बाद हर कार्यक्रम में उसे गाने की डिमांड सबसे ज्यादा आती है.

वह कहते हैं कि उनके फिल्मी गानों से ज्यादा शिव तांडव लोग सुनना चाहते हैं. वह कहते हैं कि परिवर्तन होता रहता है और परिवर्तन के साथ चलना चाहिए, लेकिन काम सुरीला होना चाहिए. उन्होंने बताया कि 10 से ज्यादा भाषाओं में गाने गा चुके हैं. वह बताते हैं कि हिंदी में उनके द्वारा बनाए गए गानों को और भी सिंगर गाते हैं. वहीं साउथ की फिल्मों में हर हीरो के लिए 99% गाने वो खुद ही गाते हैं. उन्होंने बताया कि वह विश्व की सबसे बड़ी म्यूजिक अकादमी चला रहे हैं जोकि 15 साल पहले 15 स्टूडेंट्स से उन्होंने शुरू की थी और अब यह 90 देश में है. उसे वह बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं. उन्होंने कहा कि वो यंगस्टर्स को इनवेस्ट इन नॉलेज का मंत्र देना चाहते हैं. संयम के साथ कार्य करिए एक दिन ऊपर वाले का स्विच ऑन हो जाता है, जो भी कार्य करिए डूब कर करिए.

उन्होंने कहा कि आज की तारीख में रातों रात स्टार बन जाते हैं, लेकिन ओवरनाइट स्टार का मतलब ये नहीं कि आपका संगीत बहुत अच्छा है. ओवरनाइट स्टार बनिए, लेकिन कांस्टेंट अप्रोच ही आपको आगे ले जाता है. तीस चालीस साल आपके कार्य से ही पहचान बनती है. ज्ञान में इनवेस्ट कीजिए, हर व्यक्ति से सीखिए, हर संगीत के फॉर्म को सीखिए, अपनी ओरिजनलिटी मत खोइए, ओरिजनल ही आपकी पहचान है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले जब वह शास्त्रीय संगीत सीखते थे, उनका जो सबसे पहले तानपुरा था, वह मेरठ से ही आया था. यहां का जो तानपुरा बनता है वह कहीं नहीं बनता है.

यह भी पढ़ें : मेरठ महोत्सव ; गायिका हर्षदीप कौर के सूफियाना सुरों पर थिरके, समापन आज - MEERUT MAHOTSAV 2024

यह भी पढ़ें : मेरठ महोत्सव में बॉलीवुड सिंगर नीति मोहन ने बिखेरा सुरों का जलवा, झूमते दिखे लोग - NEETI MOHAN IN MEERUT MAHOTSAV 2024

मेरठ : मेरठ महोत्सव में बुधवार को कार्यक्रम पेश करने पार्श्वगायक और जाने-माने संगीतकार शंकर महादेवन पहुंचे. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि मेरठ की धरती पर पहली बार आए हैं. उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत के रियाज के लिए जो मेरा पहला तानपुरा आया था वो मेरठ से आया था, ऐसी क्वालिटी कहीं नहीं है.

मेरठ में बीते पांच दिन से मेरठ महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. ऐसे में बुधवार को कार्यक्रम के समापन पर गायक शंकर महादेवन मेरठ पहुंचे. इस मौके पर उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि वह पहली बार मेरठ पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि मेरठ महोत्सव में दिग्गज कलाकार अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं, खुद हेमा मालिनी यहां आ चुकी हैं. उन्होंने कहा कि वह भाग्यशाली हैं. सरकार की तरफ से उन्हें निमंत्रण मिला है. उन्होंने बताया कि वह गौरवान्वित हैं कि कुंभ का एंथम उन्होंने गाया है. अब उन्हें वहां गाने का अवसर मिलेगा. मां गंगा के लिए वह वहां गाएंगे. उन्होंने कहा कि शिव श्रोत और अन्य प्रसिद्ध भजन भी वह वहां गाने वाले हैं.

मेरठ महोत्सव में पहुंचे गायक शंकर महादेवन (Video credit: ETV Bharat)


यूथ के लिए वह कहते हैं कि उनके लिए उनका प्यार भरा संदेश यही है कि जो भी कला में आप मेहनत कर रहे हैं, उस कला को अच्छी तरह सीखो. मैं आज भी स्टूडेंट हूं और सीखता ही रहता हूं. वह बताते हैं कि वह मुसाफिर हैं. बीस साल से म्यूजिक कंपोज कर रहे हैं. एहसान और लॉय के साथ तीस साल हो गये हैं. फिल्म 'दिल चाहता है' से शुरुआत की थी. उन्होंने कहा कि उनका सबसे बड़ा प्रॉब्लम यह रहता है कि वह यह सोचते हैं कि जब कहीं परफॉर्म करते हैं तो कौन सा गाना नहीं गाऊं. क्योंकि अगर वह गाएं तो प्रोग्राम 5 घंटे का होगा. उनका कहना है कि उनके द्वारा गया गया ब्रेथलेस गाना बहुत ही पसंद किया जाता है और उससे उन्हें एक पहचान मिली. उसके बाद हर कार्यक्रम में उसे गाने की डिमांड सबसे ज्यादा आती है.

वह कहते हैं कि उनके फिल्मी गानों से ज्यादा शिव तांडव लोग सुनना चाहते हैं. वह कहते हैं कि परिवर्तन होता रहता है और परिवर्तन के साथ चलना चाहिए, लेकिन काम सुरीला होना चाहिए. उन्होंने बताया कि 10 से ज्यादा भाषाओं में गाने गा चुके हैं. वह बताते हैं कि हिंदी में उनके द्वारा बनाए गए गानों को और भी सिंगर गाते हैं. वहीं साउथ की फिल्मों में हर हीरो के लिए 99% गाने वो खुद ही गाते हैं. उन्होंने बताया कि वह विश्व की सबसे बड़ी म्यूजिक अकादमी चला रहे हैं जोकि 15 साल पहले 15 स्टूडेंट्स से उन्होंने शुरू की थी और अब यह 90 देश में है. उसे वह बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं. उन्होंने कहा कि वो यंगस्टर्स को इनवेस्ट इन नॉलेज का मंत्र देना चाहते हैं. संयम के साथ कार्य करिए एक दिन ऊपर वाले का स्विच ऑन हो जाता है, जो भी कार्य करिए डूब कर करिए.

उन्होंने कहा कि आज की तारीख में रातों रात स्टार बन जाते हैं, लेकिन ओवरनाइट स्टार का मतलब ये नहीं कि आपका संगीत बहुत अच्छा है. ओवरनाइट स्टार बनिए, लेकिन कांस्टेंट अप्रोच ही आपको आगे ले जाता है. तीस चालीस साल आपके कार्य से ही पहचान बनती है. ज्ञान में इनवेस्ट कीजिए, हर व्यक्ति से सीखिए, हर संगीत के फॉर्म को सीखिए, अपनी ओरिजनलिटी मत खोइए, ओरिजनल ही आपकी पहचान है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले जब वह शास्त्रीय संगीत सीखते थे, उनका जो सबसे पहले तानपुरा था, वह मेरठ से ही आया था. यहां का जो तानपुरा बनता है वह कहीं नहीं बनता है.

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