मेरठ : हाईवे किनारे घर है, सड़क चौड़ी हो रही है, इसकी वजह से मकान तोड़ने की नौबत आ गई है तो थोड़ा ठहर जाइए. लिफ्टिंग शिफ्टिंग तकनीक आपके सपनों के घर को न सिर्फ नया जीवन दे सकती है, बल्कि मकान को ऊंचा भी कर सकती है. अहम बात ये है कि मकानों को इस तकनीक से एक जगह से दूसरी जगह खिसकाया भी जा सकता है. इससे मकान को किसी तरह का नुकसान भी नहीं होता है. जिले में कई ऐसे भवनों को शिफ्ट कराया जा चुका है. कई मकानों को ऊंचा भी किया जा चुका है.

लोगों के लिए कारगर साबित हो रही तकनीक : देश के कई हिस्सों में सड़कों के चौड़ीकरण का काम चल रहा है. कई जगहों पर एलिवेटेड एक्सप्रेस-वे बन रहे हैं. कुछ जगहों पर 4 लेन सड़कों को 8 लेन में तब्दील किया जा रहा है. इन सभी कार्यों में अक्सर सड़क के किनारे मौजूद मकानों को तोड़ना पड़ता है. मेहनत से बनाए गए आशियाने को अपनी आंखों के सामने टूटता देख कई की आंखों में आंसू तक आ जाते हैं. कई बार तो सड़क किनारे मौजूद मंदिर और मस्जिद को भी तोड़ने की नौबत आ जाती है. ऐसे में लिफ्टिंग शिफ्टिंग तकनीक काफी कारगर साबित हो रही है. लोग इस तकनीक का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं.

प्राचीन मंदिर को कराया जा रहा लिफ्ट : मेरठ के दिल्ली-रुड़की हाइवे पर स्थित सिवाया गांव में लगभग 400 साल पुराना एक शिव मंदिर है. ग्रामीण मुनीश कुमार ने बताया कि पूर्व में मंदिर ऊंचाई पर था, लेकिन समय के साथ सड़क ऊंची होती चली गई तो मंदिर नीचा होता चला गया. इससे कई तरह की समस्याएं आनी शुरू हो गईं. बारिश होने पर मंदिर परिसर में जलभराव होने लगा. मंदिर कमेटी ने लिफ्टिंग शिफ्टिंग के ठेकेदार से संपर्क कर मंदिर को ऊंचा करवा दिया गया. मंदिर को जमीन से सात फीट ऊंचा कर दिया गया. ग्रामीण कहते हैं कि मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है. लोगों की आस्था इससे जुड़ी हुई है. अब सड़क से दो फीट ऊंचा हो गया है.

दो मंजिला मकान को भी किया गया शिफ्ट : मेरठ के सिसोली गांव में सड़क किनारे से एक घर को ही मकान मालिक ने दूसरी जगह शिफ्ट करा दिया. सड़क का चौड़ीकरण होने से मकान सड़क के बेहद करीब आ गया था. ऐसे में इसके टूटने की नौबत आ गई थी. लिफ्टिंग शिफ्टिंग तकनीक से मकान के सड़क से थोड़ा पीछे की ओर शिफ्ट कराया गया. लिफ्टिंग-शिफ्टिंग वर्क के ठेकेदार सुखविंदर सिंह हरियाणा के यमुनानगर जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि लगभग 15 वर्ष से वह घरों व धर्मस्थलों को सड़क से दूर शिफ्ट करने और लिफ्ट करने का काम करते आ रहे हैं. हाल ही में मेरठ में तीन घर और एक मंदिर को शिफ्ट किया गया है.

100 गज की बिल्डिंग को भी खिसकाया : ठेकेदार ने बताया कि दवथुवा में 400 गज के मकान को शिफ्ट किया गया है. मकान को 15 फीट पीछे किया गया. भूनी चौराहे पर दो दुकान के अलावा पास के ही 100 गज एरिया में बने हुए मकान को भी शिफ्ट किया गया है. इन मकानों को 15 फीट तक पीछे किया गया है. इसके अलावा बिजनौर में मेरठ-हाईवे पर मवाना के नजदीक श्रीकृष्ण मंदिर को भी 80 फीट पीछे किया है. वहां सड़क चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है. मंदिर को पांच फीट तक ऊंचा किया गया है. भगवानपुर सिसोली में भी 175 गज के दो मंजिला मकान को सड़क से पीछे शिफ्ट किया गया है.
ढाई साल में 60 भवनों को दूसरी जगह किया गया : सुखविंदर ने बताया कि गिनती की जाए तो बीते ढाई से तीन साल में 60 से 65 मकानों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया. इसके अलावा इन्हें लिफ्ट भी किया गया. इस तकनीक से लोगों को काफी राहत मिली है. मकान तोड़ने के होने वाले नुकसान से लोग बच रहे हैं. मकान नीचा होने से जलभराव की समस्या से भी निजात मिल रही है. जैसे-जैसे लोगों में जागरूकता बढ़ रही वैसे-वैसे इस तकनीक की डिमांड बढ़ती जा रही है.
जानिए कितने रुपये का आता है खर्च : ठेकेदार ने बताया कि सबसे पहले मकानों के छतों की पैमाइश की जाती है. इसके बाद खुद की और लेबर चार्च को जोड़कर रेट का निर्धारण करते हैं. सुखविंदर ने बताया कि लगभग 350 रुपया प्रति वर्ग फीट के हिसाब शिफ्टिंग करने का चार्ज लिया जाता है. मकान को 10 फीट तक शिफ्ट करते हैं, अगर उससे अधिक दूरी तक ले जाना हो तो अगले 10 फीट का 150 रुपया प्रति वर्ग फीट का अतिरिक्त चार्च लेते हैं. इतना ही नहीं जिस भी घर या इमारत को शिफ्ट करते हैं, उसे तीन फीट ऊंचा भी किया जाता है. अगर दो मंजिला मकान हो चार्ज भी दोगुना हो जाता है.

लिफ्टिंग शिफ्टिंग तकनीक ऐसे करती है काम : सुखविंदर और उनके पार्टनर संजीव बताते हैं कि सबसे पहले मकान को जैक पर उठाते हैं. इसके बाद चैनल डालते हैं. उसके बाद फिर अतिरिक्त चैनल और रोलर डाले जाते हैं. जिस स्थान पर उस इमारत को शिफ्ट करना होता है उसकी नींव तैयार करते हैं. मकान को वहां तक ले जाने के लिए ट्रैक बिछाया जाता है. संजीव बताते हैं कि अगर कोई सौ मीटर की बिल्डिंग है और उसे 10 फीट तक शिफ्ट करना हो तो आठ से दस लोग इसमें लगते हैं. 20 से 25 दिन का समय पूरी प्रक्रिया में लगता है.
वास्तु के हिसाब से मकानों को करते हैं शिफ्ट : सुखविंदर और संजीव कुमार ने बताया कि उन्होंने देश के अलग-अलग कोनों में जाकर काफी बिल्डिंग को शिफ्ट किया है. कई मकानों को तो उनके वास्तु के हिसाब से भी उनकी फेसिंग दाहिन से बाएं की गई है. काफी लोग इसके लिए संपर्क करते हैं. लिफ्टिंग शिफ्टिंग तकनीक के बारे में वह बताते हैं कि उन्होंने अलग से इसके लिए पढ़ाई नहीं की है. हरियाणा के ही यमुनानगर के रहने वाले स्व. मामचंद के पुत्र हरकेश कुमार उनके गुरु हैं. उन्हीं से उन्होंने यह काम सीखा था. मामचंद के बारे में कहा जाता है कि देश में मकान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की तकनीक सबसे पहले उन्हीं के पास थी.
लोगों ने तकनीक को सराहा : शिव मंदिर कमेटी के अध्यक्ष विपिन विहान ने बताया कि घर बनाने में काफी पूंजी लगती है. मंदिर के साथ भी ऐसा ही है. उन्हें तोड़ना काफी तकलीफदायक होता है. इस तकनीक से काफी राहत मिली है. इससे किसी भी तरह का नुकसान भी नहीं होता है. शिफ्टिंग के बाद भवनों की लाइफ भी बढ़ जाती है. मकान ऊंचा होने से जलभराव भी नहीं होता है.
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