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होमियोपैथिक पद्दति से किडनी में फैले संक्रमण को किया ठीक : डॉ. शशिकांत शर्मा

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Published : Oct 26, 2021, 8:09 AM IST

यह खबर ऐसे रोगियों के लिए अहम हो सकती है जोकि किडनी के संक्रमन से जूझ रहे हैं. मेरठ में एक चिकित्सक का दावा है कि किडनी के संक्रमण का उपचार होम्योपैथ विधि से सम्भव है. वहीं, कुछ मरीजों का भी कहना है कि उन्होंने एलोपैथी को बाय-बाय कर होमियोपैथिक उपचार कराया और अब वे स्वस्थ हैं.

होमियोपैथिक उपचार
होमियोपैथिक उपचार

मेरठ: आमतौर पर देखा जाता है कि जब किसी भी मरीज को किडनी में इंफेक्शन हो जाता है तो उस परिवार में सभी लोग टेंशन में आ जाते हैं. प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में अपवाद छोड़ दें तो दो किडनी यानी गुर्दे होते हैं. माना जाता है कि होम्योपैथी धीमे गति से मरीज की तकलीफ को दूर करने में कारगार है. मेरठ में एक चिकित्सक का दावा है कि अब होम्योपैथी पद्दति में काफी बदलाव हुए हैं. वे कहते हैं कि उन्होंने काफी ऐसे मरीजों का उपचार किया है जिनकी किडनी में किसी न किसी रूप में संक्रमण फैल गया था.

मेरठ में होमियोपैथिक पद्दति से डॉक्टर शशिकांत शर्मा मरीजों का उपचार करते हैं. शशिकांत का कहना है कि उन्होंने इसी पद्दति से उपचार करके किडनी में फैले संक्रमण को ठीक किया है. किडनी रोगी सफल उपचार के बाद अब स्वस्थ भी हुए हैं. इन मरीजों ने बताया कि किसी न किसी वजह से उन्हें गुर्दे में तकलीफ हुई, जिसके बाद उन्होंने एलोपैथ में इलाज कराया. मरीजों ने बताया कि होमियोपैथिक विधि से भी उपचार के बारे में सुना था. जब उन्होंने अपने इलाज की विधि बदली तो उनकी रिपोर्ट में लगातार बदलाव आते चले गए.

डॉक्टर शशिकांत शर्मा से बातचीत.

डॉक्टर शशिकांत का कहना है कि कोशिश यही है कि जो लोग डायलिसिस पर सप्ताह में तीन बार रहते हैं, पहले उनकी डायलिसिस घटाने का प्रयास किया जाता है,जोकि एक सप्ताह की दवाई से ही कन्फर्म हो जाता है कि रोगी पर होम्योपैथिक की दवाइयां कारगर हो रही हैं या नहीं. उसके बाद आगे उपचार किया जाता है. एलोपैथी पद्दति से होम्योपैथिक उपचार बेहद सस्ता भी बताया जाता है.

कई ऐसे मरीजों को भी डॉक्टर ने मीडिया के समक्ष लाकर तमाम रिपोर्ट भी पेश कीं, जिनको पहले गुर्दे में काफी संक्रमण था, जबकि अब वो उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं. डॉक्टर शशिकांत ने बताया कि आमतौर पर एलोपैथिक में जहां मरीज को अधिक आर्थिक भार पड़ता है, वहीं होम्योपैथी में उपचार काफी सस्ता भी है. सलाउद्दीन व लालाराम दोनों को गुर्दे की बीमारी से काफी दिक्कतें थीं, आज मगर वो दोनों स्वस्थ हैं.
डॉक्टर शशिकांत का कहना है कि लगातार चिकित्सा के क्षेत्र में तमाम परिवर्तन हो रहे हैं, ऐसे में होम्योपैथी पद्दति से गम्भीर से गम्भीर बीमारी का उपचार सम्भव है.

यह भी पढ़ें: कोरोना के 5 नए मरीज मिले, डेंगू की चपेट में आए 72 लोग

डॉक्टर शशिकांत का कहना है कि हालांकि इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि किस मरीज में ये दवा कितने दिन में असर करेगी. हालांकि, उनका दावा है कि इस उपचार से मरीज स्वस्थ जरूर हो जाता है. जिला होम्योपैथिक अधिकारी का कहना है कि होम्योपैथिक बेहद पुरानी पद्दति है. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर अब ऐसी कारगर दवाइयां मौजूद हैं, जिनसे गुर्दे के संक्रमण का खटीमा सम्भव है.

मेरठ: आमतौर पर देखा जाता है कि जब किसी भी मरीज को किडनी में इंफेक्शन हो जाता है तो उस परिवार में सभी लोग टेंशन में आ जाते हैं. प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में अपवाद छोड़ दें तो दो किडनी यानी गुर्दे होते हैं. माना जाता है कि होम्योपैथी धीमे गति से मरीज की तकलीफ को दूर करने में कारगार है. मेरठ में एक चिकित्सक का दावा है कि अब होम्योपैथी पद्दति में काफी बदलाव हुए हैं. वे कहते हैं कि उन्होंने काफी ऐसे मरीजों का उपचार किया है जिनकी किडनी में किसी न किसी रूप में संक्रमण फैल गया था.

मेरठ में होमियोपैथिक पद्दति से डॉक्टर शशिकांत शर्मा मरीजों का उपचार करते हैं. शशिकांत का कहना है कि उन्होंने इसी पद्दति से उपचार करके किडनी में फैले संक्रमण को ठीक किया है. किडनी रोगी सफल उपचार के बाद अब स्वस्थ भी हुए हैं. इन मरीजों ने बताया कि किसी न किसी वजह से उन्हें गुर्दे में तकलीफ हुई, जिसके बाद उन्होंने एलोपैथ में इलाज कराया. मरीजों ने बताया कि होमियोपैथिक विधि से भी उपचार के बारे में सुना था. जब उन्होंने अपने इलाज की विधि बदली तो उनकी रिपोर्ट में लगातार बदलाव आते चले गए.

डॉक्टर शशिकांत शर्मा से बातचीत.

डॉक्टर शशिकांत का कहना है कि कोशिश यही है कि जो लोग डायलिसिस पर सप्ताह में तीन बार रहते हैं, पहले उनकी डायलिसिस घटाने का प्रयास किया जाता है,जोकि एक सप्ताह की दवाई से ही कन्फर्म हो जाता है कि रोगी पर होम्योपैथिक की दवाइयां कारगर हो रही हैं या नहीं. उसके बाद आगे उपचार किया जाता है. एलोपैथी पद्दति से होम्योपैथिक उपचार बेहद सस्ता भी बताया जाता है.

कई ऐसे मरीजों को भी डॉक्टर ने मीडिया के समक्ष लाकर तमाम रिपोर्ट भी पेश कीं, जिनको पहले गुर्दे में काफी संक्रमण था, जबकि अब वो उपचार के बाद स्वस्थ हो चुके हैं. डॉक्टर शशिकांत ने बताया कि आमतौर पर एलोपैथिक में जहां मरीज को अधिक आर्थिक भार पड़ता है, वहीं होम्योपैथी में उपचार काफी सस्ता भी है. सलाउद्दीन व लालाराम दोनों को गुर्दे की बीमारी से काफी दिक्कतें थीं, आज मगर वो दोनों स्वस्थ हैं.
डॉक्टर शशिकांत का कहना है कि लगातार चिकित्सा के क्षेत्र में तमाम परिवर्तन हो रहे हैं, ऐसे में होम्योपैथी पद्दति से गम्भीर से गम्भीर बीमारी का उपचार सम्भव है.

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डॉक्टर शशिकांत का कहना है कि हालांकि इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि किस मरीज में ये दवा कितने दिन में असर करेगी. हालांकि, उनका दावा है कि इस उपचार से मरीज स्वस्थ जरूर हो जाता है. जिला होम्योपैथिक अधिकारी का कहना है कि होम्योपैथिक बेहद पुरानी पद्दति है. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर अब ऐसी कारगर दवाइयां मौजूद हैं, जिनसे गुर्दे के संक्रमण का खटीमा सम्भव है.

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