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ग्लैंडर्स वायरस ने दी दस्तक, घोड़ा मालिक के परिजनों का लिया गया सैंपल - glanders infected horse in meerut

मेरठ जिले के हस्तिनापुर थाना क्षेत्र के गणेशपुर गांव में बीते दिनों घोड़े में ग्लैंडर्स वायरस मिलने से हड़कंप मच गया था. जानकारी होने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव पहुंचकर घोड़ा मालिक के परिजनों का सीरम सैंपल लिया, जिसे जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया है.

घोड़ा मालिक के परिवार के लिए सैंपल
घोड़ा मालिक के परिवार के लिए सैंपल
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Published : Jun 17, 2021, 10:47 AM IST

मेरठ: पश्चमी उत्तर प्रदेश में कोरोना के साथ आए ब्लैक फंगस का खतरा अभी कम नहीं हुआ कि अब ग्लैंडर्स वायरस ने दस्तक देकर स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. हस्तिनापुर थाना क्षेत्र के गणेशपुर गांव में घोड़े में ग्लैंडर्स वायरस मिलने से हड़कंप मचा हुआ है. पांच दिन पहले घोड़े में ग्लैंडर्स वायरस की पुष्टि हुई, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बुधवार को गांव में पहुंच कर घोड़ा मालिक एवं परिजनों के सीरम सैंपल लेकर जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया है, जहां उनकी जांच कर आगे का इलाज किया जाएगा. ग्लैंडर्स वायरस मिलने से ग्रामीणों की भी चिंता बढ़नी लाजमी है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग वायरस की रोकथाम के लिए अलर्ट मोड़ में आ गया है.

बता दें कि करीब पांच दिन पूर्व गणेशपुर गांव में एक घोड़े में ग्लैंडर्स वायरस की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग समेत पशु विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ था. आनन-फानन में पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने गणेशपुर गांव समेत आसपास के कई अन्य गांवों के घोड़ों के भी सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा. ग्लैंडर्स वायरस के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है. एहतियात के तौर पर स्वास्थ्य विभाग ने घोड़ा मालिक भीम पुत्र बबलू के परिवार के छह सदस्यों के सीरम सैंपल लेकर जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया.

जानिए क्या है ग्लैंडर्स वायरस
विशेषज्ञों के मुताबिक ग्लैंडर्स वायरस घोड़ों की प्रजातियों में पाई जाने वाली जानलेवा संक्रामक बीमारी है. इस बीमारी के होने से घोड़े की नाक से खून बहना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फोड़े या गाठें आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं. संक्रमित घोड़ो के संपर्क में आने से ग्लैंडर्स वायरस के अन्य पालतू पशुओं में भी फैलने की संभवना रहती है.

संक्रमित घोड़े को मारना पड़ता है
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल बंसल ने बताया कि ग्लैंडर्स वायरस बरखोडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से फैलता है. ग्लैंडर्स वायरस घोड़ों में पाई जानी वाली एक जानलेवा बीमारी है, जिसका इलाज मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. इस बीमारी की चपेट में आए घोड़े को वैज्ञानिक तरीके से मारना ही पड़ता है.

मार्च से जून माह में फैलता है संक्रमण
विशेषज्ञों के अनुसार घोड़ों, गधों एवं खच्चरों में फैलने वाला ग्लैंडर्स वायरस ज्यादातर मार्च से जून महीने में फैलता है. इस बार कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण घोड़ो की जांच नहीं की गई. पशु विभाग की सर्विलांस टीम का काम प्रभावित हुआ है.

मानवजाति के लिए भी है खतरा
ग्लैंडर्स एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमित जानवर से इंसानों में भी हो सकती है. घोड़ों से मनुष्यों में ग्लैंडर्स वायरस आसानी से फैल सकता है. घोड़ा पालक जब घोड़ों की देखभाल करते हैं तो उनको त्वचा, नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण पहुंच जाता है. मनुष्यों में इस बीमारी से मांस पेशियों में दर्द, छाती में दर्द, मांसपेशियों की अकडऩ, सिरदर्द और नाक से पानी निकलने लगता है.

इसे भी पढ़े:- कोरोना में ऑक्सीजन पर रहे मरीजों की याददाश्त हो रही कमजोर

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल बंसल ने बताया कि मेरठ मेडिकल से आई टीम के साथ हस्तिनापुर के स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उक्त लोगों के सैंपल लिए गए, जिन्हें जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया है. ग्लैंडर्स संक्रमित घोड़े का अंतिम सैंपल जांच के लिए भेजा जा चुका है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

मेरठ: पश्चमी उत्तर प्रदेश में कोरोना के साथ आए ब्लैक फंगस का खतरा अभी कम नहीं हुआ कि अब ग्लैंडर्स वायरस ने दस्तक देकर स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. हस्तिनापुर थाना क्षेत्र के गणेशपुर गांव में घोड़े में ग्लैंडर्स वायरस मिलने से हड़कंप मचा हुआ है. पांच दिन पहले घोड़े में ग्लैंडर्स वायरस की पुष्टि हुई, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बुधवार को गांव में पहुंच कर घोड़ा मालिक एवं परिजनों के सीरम सैंपल लेकर जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया है, जहां उनकी जांच कर आगे का इलाज किया जाएगा. ग्लैंडर्स वायरस मिलने से ग्रामीणों की भी चिंता बढ़नी लाजमी है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग वायरस की रोकथाम के लिए अलर्ट मोड़ में आ गया है.

बता दें कि करीब पांच दिन पूर्व गणेशपुर गांव में एक घोड़े में ग्लैंडर्स वायरस की पुष्टि हुई थी, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग समेत पशु विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ था. आनन-फानन में पशु चिकित्सा विभाग की टीम ने गणेशपुर गांव समेत आसपास के कई अन्य गांवों के घोड़ों के भी सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा. ग्लैंडर्स वायरस के खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है. एहतियात के तौर पर स्वास्थ्य विभाग ने घोड़ा मालिक भीम पुत्र बबलू के परिवार के छह सदस्यों के सीरम सैंपल लेकर जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया.

जानिए क्या है ग्लैंडर्स वायरस
विशेषज्ञों के मुताबिक ग्लैंडर्स वायरस घोड़ों की प्रजातियों में पाई जाने वाली जानलेवा संक्रामक बीमारी है. इस बीमारी के होने से घोड़े की नाक से खून बहना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फोड़े या गाठें आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं. संक्रमित घोड़ो के संपर्क में आने से ग्लैंडर्स वायरस के अन्य पालतू पशुओं में भी फैलने की संभवना रहती है.

संक्रमित घोड़े को मारना पड़ता है
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल बंसल ने बताया कि ग्लैंडर्स वायरस बरखोडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से फैलता है. ग्लैंडर्स वायरस घोड़ों में पाई जानी वाली एक जानलेवा बीमारी है, जिसका इलाज मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. इस बीमारी की चपेट में आए घोड़े को वैज्ञानिक तरीके से मारना ही पड़ता है.

मार्च से जून माह में फैलता है संक्रमण
विशेषज्ञों के अनुसार घोड़ों, गधों एवं खच्चरों में फैलने वाला ग्लैंडर्स वायरस ज्यादातर मार्च से जून महीने में फैलता है. इस बार कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण घोड़ो की जांच नहीं की गई. पशु विभाग की सर्विलांस टीम का काम प्रभावित हुआ है.

मानवजाति के लिए भी है खतरा
ग्लैंडर्स एक संक्रामक बीमारी है, जो संक्रमित जानवर से इंसानों में भी हो सकती है. घोड़ों से मनुष्यों में ग्लैंडर्स वायरस आसानी से फैल सकता है. घोड़ा पालक जब घोड़ों की देखभाल करते हैं तो उनको त्वचा, नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण पहुंच जाता है. मनुष्यों में इस बीमारी से मांस पेशियों में दर्द, छाती में दर्द, मांसपेशियों की अकडऩ, सिरदर्द और नाक से पानी निकलने लगता है.

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मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल बंसल ने बताया कि मेरठ मेडिकल से आई टीम के साथ हस्तिनापुर के स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उक्त लोगों के सैंपल लिए गए, जिन्हें जांच के लिए मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया है. ग्लैंडर्स संक्रमित घोड़े का अंतिम सैंपल जांच के लिए भेजा जा चुका है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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