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मेरठ: गार्बेज क्लीनिक में होगा यूनिवर्सिटी कैंपस के कूड़े का 'इलाज'

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में अब यूनिवर्सिटी कैंपस के कचरे का गार्बेज क्लीनिक में इलाज होगा. चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी कैंपस के कचरे का कैंपस के अंदर ही वेस्ट मैनेजमेंट के जरिए निस्तारण किया जा रहा है. इसके लिए यहां एक गार्बेज क्लीनिक खोला गया है.

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गार्बेज क्लीनिक में होगा यूनिवर्सिटी कैंपस के कूड़े का इलाज.
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Published : Feb 10, 2020, 2:35 PM IST

मेरठ: जिले में कूड़ा निस्तारण एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, लेकिन मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के पूरे कैंपस का कूड़ा कैंपस के अंदर ही अब निस्तारित किया जा रहा है. इसके लिए एक संस्था के माध्यम से वेस्ट मैनेजमेंट का काम शुरू किया गया है. अभी कैंपस के अंदर का रोजाना करीब 2000 किलो कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है.

गार्बेज क्लीनिक में होगा यूनिवर्सिटी कैंपस के कूड़े का इलाज.

यूनिवर्सिटी में कूड़ा निस्तारण की अनूठी पहल
चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में कूड़ा निस्तारण की अनूठी पहल की गई है. इसके लिए यहां एक गार्बेज क्लीनिक खोला गया है. यही नहीं पूरे कैंपस में रहने वाले लोगों के घरों से क्लीनिक तक कूड़ा लाने के लिए दो गार्बेज एंबुलेंस भी बनाई गई हैं. इनके माध्यम से ही कूड़ा एकत्रित कर गार्बेज क्लीनिक पर ट्रीटमेंट के लिए लाया जा रहा है. यहां गीला कूड़ा 15 दिनों में खाद में बदलेगा, जबकि कूड़े से प्लास्टिक, बोतल, कांच सहित अन्य ठोस कचरे को अलग कर रिसाइकिल करने वाली कंपनियों को दिया जाएगा.

उत्तर भारत सबसे पहला कूड़ा निस्तारण क्लीनिक
यहां तैयार खाद को प्राथमिकता के आधार पर पहले कैंपस में ही दिया जाएगा, उसके बाद यदि खाद बचती है तो उसे बाहर बेचा जाएगा. विश्वविद्यालय कैंपस में बनाया गया क्लीनिक उत्तर भारत के किसी विश्वविद्यालय में पहला क्लीनिक है. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत निर्मित यह गार्बेज क्लीनिक गुजरात के अंबिकापुर मॉडल पर काम करेगा. अंबिकापुर पूरे देश में स्वच्छता का मॉडल है. विभिन्न सर्वेक्षण में अंबिकापुर सबसे स्वच्छ शहरों में शुमार है.


यहां पर कूड़ा खाद में बदलने का कार्य शुरू कर दिया गया है. यहां पर फिलहाल 30 किट लगाई गई हैं. इनमें कंपोस्ट किए जाने योग्य कूड़ा डालकर खाद में बदला जाएगा. कूड़े से अन्य प्रकार के कचरे को अलग किया जाता है.
प्रगति तिवारी, सदस्या, गार्बेज क्लीनिक

इस समय कैंपस का करीब 2 हजार किलो कूड़ा प्रतिदिन निस्तारित किया जा रहा है. इस गार्बेज क्लीनिक की क्षमता करीब 4000 किलो कूड़ा प्रतिदिन निस्तारित करने की है
सुजाता गुरु, सदस्या, गार्बेज क्लीनिक

स्वच्छता की दिशा में यह एक अच्छा प्रयास है. क्लीनिक में ही कूड़ा निस्तारित किया जा रहा है. इसके अलावा यहां रहने वाले स्टाफ और स्टूडेंट्स को भी इस बारे में जागरूक करते हुए ट्रेनिंग दी जा रही है.
मनीष मिश्रा, इंजीनियर, सीसीएस यूनिवर्सिटी

मेरठ: जिले में कूड़ा निस्तारण एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, लेकिन मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के पूरे कैंपस का कूड़ा कैंपस के अंदर ही अब निस्तारित किया जा रहा है. इसके लिए एक संस्था के माध्यम से वेस्ट मैनेजमेंट का काम शुरू किया गया है. अभी कैंपस के अंदर का रोजाना करीब 2000 किलो कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है.

गार्बेज क्लीनिक में होगा यूनिवर्सिटी कैंपस के कूड़े का इलाज.

यूनिवर्सिटी में कूड़ा निस्तारण की अनूठी पहल
चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में कूड़ा निस्तारण की अनूठी पहल की गई है. इसके लिए यहां एक गार्बेज क्लीनिक खोला गया है. यही नहीं पूरे कैंपस में रहने वाले लोगों के घरों से क्लीनिक तक कूड़ा लाने के लिए दो गार्बेज एंबुलेंस भी बनाई गई हैं. इनके माध्यम से ही कूड़ा एकत्रित कर गार्बेज क्लीनिक पर ट्रीटमेंट के लिए लाया जा रहा है. यहां गीला कूड़ा 15 दिनों में खाद में बदलेगा, जबकि कूड़े से प्लास्टिक, बोतल, कांच सहित अन्य ठोस कचरे को अलग कर रिसाइकिल करने वाली कंपनियों को दिया जाएगा.

उत्तर भारत सबसे पहला कूड़ा निस्तारण क्लीनिक
यहां तैयार खाद को प्राथमिकता के आधार पर पहले कैंपस में ही दिया जाएगा, उसके बाद यदि खाद बचती है तो उसे बाहर बेचा जाएगा. विश्वविद्यालय कैंपस में बनाया गया क्लीनिक उत्तर भारत के किसी विश्वविद्यालय में पहला क्लीनिक है. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत निर्मित यह गार्बेज क्लीनिक गुजरात के अंबिकापुर मॉडल पर काम करेगा. अंबिकापुर पूरे देश में स्वच्छता का मॉडल है. विभिन्न सर्वेक्षण में अंबिकापुर सबसे स्वच्छ शहरों में शुमार है.


यहां पर कूड़ा खाद में बदलने का कार्य शुरू कर दिया गया है. यहां पर फिलहाल 30 किट लगाई गई हैं. इनमें कंपोस्ट किए जाने योग्य कूड़ा डालकर खाद में बदला जाएगा. कूड़े से अन्य प्रकार के कचरे को अलग किया जाता है.
प्रगति तिवारी, सदस्या, गार्बेज क्लीनिक

इस समय कैंपस का करीब 2 हजार किलो कूड़ा प्रतिदिन निस्तारित किया जा रहा है. इस गार्बेज क्लीनिक की क्षमता करीब 4000 किलो कूड़ा प्रतिदिन निस्तारित करने की है
सुजाता गुरु, सदस्या, गार्बेज क्लीनिक

स्वच्छता की दिशा में यह एक अच्छा प्रयास है. क्लीनिक में ही कूड़ा निस्तारित किया जा रहा है. इसके अलावा यहां रहने वाले स्टाफ और स्टूडेंट्स को भी इस बारे में जागरूक करते हुए ट्रेनिंग दी जा रही है.
मनीष मिश्रा, इंजीनियर, सीसीएस यूनिवर्सिटी

Intro:मेरठ: गार्बेज क्लीनिक में किया जा रहा है यूनिवर्सिटी कैंपस के कूड़े का 'इलाज'

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यूपी के मेरठ जिले में स्थित चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी कैंपस के कचरे का कैंपस के अंदर ही वेस्ट मैनेजमेंट के जरिए निस्तारण किया जा रहा है। इसके लिए यहां एक गार्बेज क्लीनिक खोला गया है।

मेरठ। कूड़ा निस्तारण एक बड़ी समस्या बनती जा रही है लेकिन मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी के पूरे कैंपस का कूड़ा कैंपस के अंदर ही निस्तारित किया जा रहा है। इसके लिए एक संस्था के माध्यम से वेस्ट मैनेजमेंट का काम शुरू किया गया है। अभी कैंपस के अंदर का रोजाना करीब 2000 किलो कूड़े का निस्तारण किया जा रहा है।




Body:चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में कूड़ा निस्तारण की अनूठी पहल की गई है। इसके लिए यहां एक गार्बेज क्लीनिक खोला गया है। यही नहीं पूरे कैंपस में रहने वाले लोगों के घरों से क्लीनिक तक कूडा लाने के लिए दो गार्बेज एंबुलेंस भी बनाई गई हैं। इनके माध्यम से ही कूड़ा एकत्रित कर गारबेज क्लीनिक पर ट्रीटमेंट के लिए लाया जा रहा है। यहां गीला कूड़ा 15 दिनों में खाद में बदलेगा, जबकि कूड़े से प्लास्टिक, बोतल, कांच सहित अन्य ठोस कचरे को अलग कर री साइकिल करने वाली कंपनियों को दिया जाएगा। यहां तैयार खाद को प्राथमिकता के आधार पर पहले कैंपस में ही दिया जाएगा, उसके बाद यदि खाद बचती है तो उसे बाहर बेचा जाएगा। विश्वविद्यालय कैंपस में बनाएगा क्लीनिक उत्तर भारत के किसी विश्वविद्यालय में पहला क्लीनिक है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत निर्मित यह गार्बेज क्लीनिक गुजरात के अंबिकापुर मॉडल पर काम करेगा। अंबिकापुर पूरे देश में स्वच्छता का मॉडल है। विभिन्न सर्वेक्षण में अंबिकापुर सबसे स्वच्छ शहरों में शुमार है।

प्रोजेक्ट पर काम कर रही संस्था की वाइस प्रेसिडेंट प्रगति तिवारी ने बताया कि यहां पर कूड़ा खाद में बदलने का कार्य शुरू कर दिया गया है। यहां पर फिलहाल 30 किट लगाई गई हैं, इनमें कंपोस्ट किए जाने योग्य कूडा डालकर खाद में बदला जाएगा। कूड़े से अन्य प्रकार के कचरे को अलग किया जाता है।

वाइस प्रेसिडेंट सुजाता गुरु का कहना है कि इस समय कैंपस का करीब 2 हजार किलो कूड़ा प्रतिदिन निस्तारित किया जा रहा है। इस गार्बेज क्लीनिक क्षमता करीब 4000 किलो कूड़ा प्रतिदिन निस्तारित करने की है।




Conclusion:यूनिवर्सिटी के इंजीनियर मनीष मिश्रा का कहना है कि स्वच्छता की दिशा में एक अच्छा प्रयास है। क्लीनिक में ही कूडा निस्तारित किया जा रहा है। इसके अलावा यहां रहने वाले स्टाफ और स्टूडेंट्स को भी इस बारे में जागरूक करते हुए ट्रेनिंग दी जा रही है।

बाइट- प्रगति तिवारी, सदस्या, गार्बेज क्लीनिक

बाइट_ सुजाता गुरु, सदस्या, गार्बेज क्लीनिक

बाइट- मनीष मिश्रा इंजीनियर सीसीएस यूनिवर्सिटी

अजय चौहान
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