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मेरठ में स्क्रब टाइफस से 4 साल के बच्चे की मौत

मेरठ में स्क्रब टाइफस से ग्रसित बच्चे की मौत का मामला सामने आया है. मेरठ मंडल में स्क्रब टाइफस की वजह से यह पहली मौत है. आइए खबर में इस बीमारी के संबंध में गहराई से जान लेते हैं.

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Published : Aug 1, 2022, 4:34 PM IST

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स्क्रब टाइफस

मेरठ: जिले में स्क्रब टाइफस से 4 साल के बच्चे की मौत हो गई है. मेरठ के एक निजी अस्पताल में कई दिनों से बच्चे का इलाज चल रहा था. डॉक्टरों के मुताबिक बच्चा कई बीमारियों से ग्रसित था. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट में स्क्रब टाइफस की पुष्टि हुई थी. मेरठ मंडल में स्क्रब टाइफस की वजह से यह पहली मौत है. बच्चे के परिजनों के मुताबिक बच्चे को कई दिनों से तेज बुखार था और उसके गुर्दे फेल हो गए थे. उसका न्यूटिमा अस्पताल में इलाज चल रहा था और उसे बचाया नहीं जा सका.

बता दें कि जानी क्षेत्र के टीकरा गांव निवासी बच्चे अहमद का कई दिनों से निजी अस्पताल न्यूटिमा में इलाज रहा चल रहा था. अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक रैपिड कार्ड जांच में उसे स्क्रब टाइफस की पुष्टि हुई थी. इसके बाद सैंपल को एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में भेजा गया था, जहां से आज रिपोर्ट मिल चुकी है. मेडिकल कॉलेज की तरफ से किए गए एलाइजा जांच में भी इसकी पुष्टि हो गई है.

मामले की जानकारी देते हुए मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डॉ. अशोक तालियान
डॉक्टरों के मुताबिक स्क्रब टाइफस आरिएंटिया त्सुत्सुगामशी बैक्टीरिया से होता है, जो कि माइट (चिगर्स) के काटने से फैलता है. ये चूहे, छछूंदर और गिलहरी वगैरह से होते हुए भी इंसान तक पहुंच सकते हैं. इसके संक्रमित होने के बाद मरीजों के जोड़ों में दर्द होता है. बुखार के साथ शरीर पर निशान पड़ जाते हैं. करीब एक सप्ताह में मरीज ठीक हो जाता है. डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों को लंबे समय से बुखार या स्किन पर निशान बना रहता है, ऐसे लोगों को डॉक्टर के पास जाने में देर नहीं करनी चाहिए.न्यूटिमा अस्पताल के गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप गर्ग ने बताया कि उनके अस्पताल की लैब में बच्चे को स्क्रब टाइफस की पुष्टि हुई थी. मेडिकल की माइक्रोबायोलॉजी लैब के प्रभारी डॉ. अमित गर्ग ने बताया स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार अगर किसी को डेंगू या स्क्रब टाइफस की पुष्टि होती है तो जांच के लिए सैंपल सरकारी लैब में भी भेजना होता है. इस लिहाज से रविवार को सैंपल भेजा गया था. लेकिन रविवार होने के कारण जांच नहीं हो सकी. सोमवार को जांच की रिपोर्ट मिली है.

यह भी पढ़ें- 1 करोड़ 91 लाख बच्चों के खातों में सीएम योगी ने ट्रांसफर किए 1200 रुपये

मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डॉ. अशोक तालियान ने बताया कि पिछले साल मेरठ मंडल में स्क्रब टाइफस के 50 से ज्यादा मरीज मिले थे. इस साल यह पहला मामला है. स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए जरूरी है कि गिलहरियों और चूहों से बचें. उन्होंने बताया कि अगर आसपास जंगल, झाड़ी या खेत हैं तो वहां से चूहों के माध्यम से स्क्रब टाइफस का संक्रमण घेर सकता है. इसलिए जरूरी है कि घर के आसपास अगर अधिक झाड़ियां हैं तो साफ करते रहें और उन्हें पनपने न दें.

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मेरठ: जिले में स्क्रब टाइफस से 4 साल के बच्चे की मौत हो गई है. मेरठ के एक निजी अस्पताल में कई दिनों से बच्चे का इलाज चल रहा था. डॉक्टरों के मुताबिक बच्चा कई बीमारियों से ग्रसित था. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट में स्क्रब टाइफस की पुष्टि हुई थी. मेरठ मंडल में स्क्रब टाइफस की वजह से यह पहली मौत है. बच्चे के परिजनों के मुताबिक बच्चे को कई दिनों से तेज बुखार था और उसके गुर्दे फेल हो गए थे. उसका न्यूटिमा अस्पताल में इलाज चल रहा था और उसे बचाया नहीं जा सका.

बता दें कि जानी क्षेत्र के टीकरा गांव निवासी बच्चे अहमद का कई दिनों से निजी अस्पताल न्यूटिमा में इलाज रहा चल रहा था. अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक रैपिड कार्ड जांच में उसे स्क्रब टाइफस की पुष्टि हुई थी. इसके बाद सैंपल को एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब में भेजा गया था, जहां से आज रिपोर्ट मिल चुकी है. मेडिकल कॉलेज की तरफ से किए गए एलाइजा जांच में भी इसकी पुष्टि हो गई है.

मामले की जानकारी देते हुए मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डॉ. अशोक तालियान
डॉक्टरों के मुताबिक स्क्रब टाइफस आरिएंटिया त्सुत्सुगामशी बैक्टीरिया से होता है, जो कि माइट (चिगर्स) के काटने से फैलता है. ये चूहे, छछूंदर और गिलहरी वगैरह से होते हुए भी इंसान तक पहुंच सकते हैं. इसके संक्रमित होने के बाद मरीजों के जोड़ों में दर्द होता है. बुखार के साथ शरीर पर निशान पड़ जाते हैं. करीब एक सप्ताह में मरीज ठीक हो जाता है. डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों को लंबे समय से बुखार या स्किन पर निशान बना रहता है, ऐसे लोगों को डॉक्टर के पास जाने में देर नहीं करनी चाहिए.न्यूटिमा अस्पताल के गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप गर्ग ने बताया कि उनके अस्पताल की लैब में बच्चे को स्क्रब टाइफस की पुष्टि हुई थी. मेडिकल की माइक्रोबायोलॉजी लैब के प्रभारी डॉ. अमित गर्ग ने बताया स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार अगर किसी को डेंगू या स्क्रब टाइफस की पुष्टि होती है तो जांच के लिए सैंपल सरकारी लैब में भी भेजना होता है. इस लिहाज से रविवार को सैंपल भेजा गया था. लेकिन रविवार होने के कारण जांच नहीं हो सकी. सोमवार को जांच की रिपोर्ट मिली है.

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मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डॉ. अशोक तालियान ने बताया कि पिछले साल मेरठ मंडल में स्क्रब टाइफस के 50 से ज्यादा मरीज मिले थे. इस साल यह पहला मामला है. स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए जरूरी है कि गिलहरियों और चूहों से बचें. उन्होंने बताया कि अगर आसपास जंगल, झाड़ी या खेत हैं तो वहां से चूहों के माध्यम से स्क्रब टाइफस का संक्रमण घेर सकता है. इसलिए जरूरी है कि घर के आसपास अगर अधिक झाड़ियां हैं तो साफ करते रहें और उन्हें पनपने न दें.

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