मेरठ: महाभारतकालीन हस्तिनापुर में गंगा उत्सव मनाने की तैयारी की जा रही है. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के आह्वान पर आयोजित होने जा रहे इस विशेष उत्सव को खास बनाने को अब वन विभाग भी तैयारियों में जुट गया है. वहीं, इस तीन दिवसीय उत्सव के दौरान दीपदान, जागरुकता शिविर, रचनात्मक व साहित्यिक गतिविधियों के साथ ही विश्व रिकार्ड बनाने की तैयारी की जा रही है. बताया गया कि मेरठ के हस्तिनापुर से गुजरने वाली गंगा के तट पर अब वन विभाग गंगा के नाम सर्वाधिक हस्तलिखित संदेशों का विश्व रिकार्ड बनाने की योजना बना रहा है. यह उत्सव गंगा किनारे बसे सभी जिलों में मनाया जाएगा.
मोक्षदायिनी मां गंगा की अविरल धारा को निर्मल व स्वच्छ बनाने को गंगा उत्सव का आयोजन होने जा रहा है. यूपी सहित देश के जिस भू भाग से होकर गंगा गुजरती है, उन सभी शहरों में 1 से 3 नबंवर तक इस उत्सव का आयोजन किया जाएगा. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के आह्वान पर आयोजित गंगा उत्सव में दीपदान, जागरुकता शिविर, रचनात्मक व साहित्यिक गतिविधियों के साथ विश्व रिकार्ड बनाने की तैयारी है.
वहीं, मेरठ के हस्तिनापुर से गुजरने वाली गंगा के तट पर अब वन विभाग गंगा के नाम से सर्वाधिक हस्तलिखित संदेशों का विश्व रिकार्ड बनाने की योजना बना रहा है. यह उत्सव गंगा किनारे बसे सभी जिलों में निर्धारित तारीख को मनाया जाएगा.
गंगा मित्रों के साथ ही अब लेंगे आमजनों से सहयोग
डीएफओ राजेश कुमार के अनुसार गंगा उत्सव पर हम सोशल मीडिया के माध्यम से गंगा के नाम संदेश नामक एक गिनीज बुक वर्ल्ड रिकार्ड बनाने की तैयारी में हैं. इसमें हर उम्र, वर्ग, स्थान का व्यक्ति, बच्चा गंगा के नाम मैसेज लिखेगा.
मैसेज पेपर पर लिखा होना चाहिए और उस मैसेज को सोशल मीडिया पर पोस्ट करना होगा. इस प्रकार सर्वाधिक मैसेज का विश्व रिकार्ड बनाने की तैयारी है. उन्होंने बताया कि नमामि गंगे मिशन से हर शख्स को जोड़ने के उद्देश्य से गंगा उत्सव का आयोजन किया जा रहा है.
आप भी ऐसे दे सकते हैं सहयोग
गंगा की स्वच्छता के लिए बनाए जा रहे इस वर्ल्ड रिकार्ड में आमजन को 1 नबंवर को गंगा के नाम एक संदेश हाथ से पेपर पर लिखना है. उस संदेश के साथ अपना फोटो खींचकर उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करना है.
उत्तराखंड में गौमुख से निकलकर गंगा हरिद्वार के रास्ते बिजनौर नरौरा से होकर मेरठ के हस्तिनापुर में आती है. मेरठ में महाभारतकालीन हस्तिनापुर के बड़े भूभाग में बहते हुए गंगा गढ़मुक्तेश्वर, कानपुर से आगे जाती है और अंत में बंगाल की खाड़ी में गिरती है. हस्तिनापुर में पौराणिक और पर्यावरण दोनों ही दृषि से गंगा का बड़ा महत्व है.
महाभारत की धरती होने के अलावा मेरठ में गंगा किनारे सेंचुरी एरिया है. यहां की ईकोलॉजी काफी अच्छी मानी जाती है. हस्तिनापुर यूपी का सबसे बड़ा वन्य जीव अभ्यारण भी माना जाता है. यहां गंगा में डॉल्फिन, कछुए, ऊदबिलाव, घडियालों सहित कई प्रजाति के जलीय जीव पाए जाते हैं.
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