मेरठ: नगर निगम की बैठक में पार्षदों के साथ मारपीट का मामला पश्चिमी यूपी में गर्माया हुआ है. शनिवार को लोकदल के नेताओं ने मारपीट की घटना को मॉब लिंचिंग बताते हुए बीजेपी के मंत्री और विधायक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की. मुकदमा न दर्ज होने पर विधानसभा का घेराव करने का ऐलान किया है. इसके साथ ही नेताओं ने इस मुद्दे पर देशव्यापी आंदोलन की चेतावनी देकर सरकार के खिलाफ हुंकार भरने का ऐलान कर दिया है.
मेरठ में दलित समाज के लोग शनिवार को दिनभर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर और एमएलसी धर्मेंद्र भारद्वाज के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के लिए आंदोलन कर रहे थे. वहीं, रालोद और लोकदल के नेता भी अपने समर्थकों के साथ दलित समाज के समर्थन में उतर आए. इस मौके पर लोकदल के समर्थक भीमराव अंबेडकर चौक पहुंच गए.
मीडिया से बात करते हुए लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव बिजेंद्र चौधरी ने कहा कि यह जगजाहिर है कि पार्षदों को दौड़ा-दौड़ा कर मारा पीटा गया है. उन्होंने इसे मॉब लिंचिंग करार देते हुए कहा कि मॉब लिंचिंग करने वालों को कानून में फांसी की सजा देने का प्रावधान है. पार्षदों के साथ मारपीट की यह घटना बर्दास्त करने योग्य नहीं है. उन्होंने कहा कि आज संविधान खतरे में है. जब सरकार ही जनता पर चाबुक चलाने लगे तो जनता कहां जाएगी. ये जनता आगामी चुनावों में इसका जवाब देगी.
राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि जिस तरह से पार्षदों को दौड़ा-दौड़ा कर मारा-पीटा जा रहा है. ऐसा उन्होंने अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा. उन्होंने कहा कि अगर यहां पीड़ितों को न्याय नहीं मिलेगा तो आने वाले दिनों में पहले एक महापंचायत होगी, उसके बाद भी अगर न्याय नहीं मिला तो लखनऊ में विधानसभा का घेराव करेंगे.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान राष्ट्रीय लोकदल के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक विनोद हरित ने कहा कि सत्ताधारी दल के मंत्री और एक एमएलसी का एक वीडियो है, जिसमें दलित समाज के पार्षदों के साथ मारपीट की जा रही है, लेकिन उन्हें इंसाफ नहीं मिल रहा है. रालोद नेता ने कहा कि उनकी मांग है कि मारपीट करने वाले मंत्री और विधायक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जाए. अगर उन्हें जेल नहीं भेजा गया तो 10 जनवरी को महापंचायत होगी, तब भी अगर न्याय नहीं मिला तो दलित समाज से जुड़े सभी नेता मिलकर इस मुद्दे पर देशव्यापी आंदोलन करेंगे.
रालोद के वरिष्ठ नेता नरेंद्र खजुरी ने कहा कि यह इस तरह की घटनाएं लगातार करते आ रहे हैं. उन्होंने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर जल्द से जल्द न्याय नहीं मिला तो 10 जनवरी के बाद दलित समाज सड़कों पर उतरने का काम करेगा. उसके बाद सारी जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी.
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