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मेरठ: किसानों के लिए मुनाफे का सौदा है औषधीय पौधों की खेती

मेरठ में किसान परंपरागत फसलों के साथ यदि औषधीय पौधों की खेती करें तो यह उनके लिए मुनाफे का सौदा है. ऐसा मानना है सरदार वल्लभभाई पटेल के कृषि विशेषज्ञों का.

औषधीय पौधों की खेती.
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Published : Sep 15, 2019, 1:55 PM IST

मेरठः सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि वेस्ट यूपी में औषधीय पौधों की खेती करने की अपार संभावनाएं हैं. यदि किसान औषधीय खेती करते हैं तो निश्चित उनकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी.

औषधीय पौधों की खेती से किसानों को होगा मुनाफा.

ये भी पढ़ें:- बाराबंकी: लाइव प्रसारण के जरिये महिला किसानों ने सीखे उन्नत खेती के तरीके

प्रोफेसर आरएस सेंगर ने बताया कि वेस्ट यूपी में अधिकतर किसान परंपरागत फसलों की खेती करते हैं, जिनमें धान, गेहूं, गन्ना आदि की फसल प्रमुख हैं, लेकिन यदि किसान औषधीय पौधों की खेती करें तो उन्हें परंपरागत फसलों के मुकाबले अधिक मुनाफा मिल सकता है.

वेस्ट यूपी में औषधीय पौधों की खेती के लिए 30 से अधिक ऐसे औषधीय पौधे हैं, जिनकी खेती यहां की जलवायु के अनुसार की जा सकती है. इनमें स्टीविया की खेती, सफेद मुसली की खेती, एलोवेरा की खेती, तुलसी, सतावर, कौच, काली तुलसी, ग्वारपाठा आदि की खेती मुख्य रूप से शामिल है.

उन्होंने यह भी बताया कि सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है. किसानों को उचित दर पर औषधीय पौधे भी उपलब्ध कराए जाते हैं. पहले किसान औषधीय खेती करने के प्रति कम जागरूक थे, लेकिन जब उन्हें वैज्ञानिक तरीके से औषधीय पौधों की खेती कराई गई तो उसमें हुए मुनाफे को देखते हुए किसान अब धीरे-धीरे वेस्ट यूपी में भी औषधीय पौधों की खेती करने लगे हैं.

मेरठः सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि वेस्ट यूपी में औषधीय पौधों की खेती करने की अपार संभावनाएं हैं. यदि किसान औषधीय खेती करते हैं तो निश्चित उनकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी.

औषधीय पौधों की खेती से किसानों को होगा मुनाफा.

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प्रोफेसर आरएस सेंगर ने बताया कि वेस्ट यूपी में अधिकतर किसान परंपरागत फसलों की खेती करते हैं, जिनमें धान, गेहूं, गन्ना आदि की फसल प्रमुख हैं, लेकिन यदि किसान औषधीय पौधों की खेती करें तो उन्हें परंपरागत फसलों के मुकाबले अधिक मुनाफा मिल सकता है.

वेस्ट यूपी में औषधीय पौधों की खेती के लिए 30 से अधिक ऐसे औषधीय पौधे हैं, जिनकी खेती यहां की जलवायु के अनुसार की जा सकती है. इनमें स्टीविया की खेती, सफेद मुसली की खेती, एलोवेरा की खेती, तुलसी, सतावर, कौच, काली तुलसी, ग्वारपाठा आदि की खेती मुख्य रूप से शामिल है.

उन्होंने यह भी बताया कि सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है. किसानों को उचित दर पर औषधीय पौधे भी उपलब्ध कराए जाते हैं. पहले किसान औषधीय खेती करने के प्रति कम जागरूक थे, लेकिन जब उन्हें वैज्ञानिक तरीके से औषधीय पौधों की खेती कराई गई तो उसमें हुए मुनाफे को देखते हुए किसान अब धीरे-धीरे वेस्ट यूपी में भी औषधीय पौधों की खेती करने लगे हैं.

Intro:मेरठ: औषधीय पौधों की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा
मेरठ। परंपरागत फसलोंके साथ यदि किसान औषधीय पौधों की खेती करें तो यह उनके लिए मुनाफे का सौदा है। ऐसा मानना है कृषि विशेषज्ञों का। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि वेस्ट यूपी में औषधीय पौधों की खेती करने की अपार संभावनाएं हैं। यदि किसान औषधीय खेती करते हैं तो निश्चित उनकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी।


Body:वेस्ट यूपी में औषधीय पौधों की खेती के लिए 30 से अधिक ऐसे औषधीय पौधे हैं, जिनकी खेती यहां की जलवायु के अनुसार की जा सकती है। इनमें स्टीविया की खेती, सफेद मुसली की खेती, ग्वारपाठा (एलोवेरा) की खेती, तुलसी, सतावर आदि की खेती मुख्य रूप से शामिल है। सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आर एस सेंगर ने बताया कि वेस्ट यूपी में अधिकतर किसान परंपरागत फसलों की खेती करते हैं। जिनमें धान, गेहूं, गन्ना आदि की फसल प्रमुख है। लेकिन यदि किसान औषधीय पौधों की खेती करें तो उन्हें परंपरागत फसलों के मुकाबले अधिक मुनाफा मिल सकता है। बताया कि सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है। किसानों को उचित दर पर औषधीय पौधे भी उपलब्ध कराए जाते हैं। उन्होंने बताया कि पहले किसान औषधीय खेती करने के प्रति कम जागरूक थे लेकिन जब उन्हें वैज्ञानिक तरीके से औषधीय पौधों की खेती कराई गई तो उसमें हुए मुनाफे को देखते हुए किसान अब धीरे-धीरे वेस्ट यूपी में भी औषधीय पौधों की खेती करने लगे हैं। बाजार में औषधीय पौधों की डिमांड होने के कारण यह अधिक मुनाफे वाली साबित हो रही हैं।




Conclusion:प्रोफेसर आर एस सेंगर ने बताया कि वेस्ट यूपी में सतावर, स्टीविया, कौच,काली तुलसी, ग्वारपाठा की खेती विशेष रूप से किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। किसान यदि वैज्ञानिक सलाह के साथ इसकी खेती करते हैं तो उन्हें परंपरागत फसलों के मुकाबले अधिक मुनाफा मिलता है।

बाइट- आर एस सेंगर, प्रोफेसर कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ

अजय चौहान
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