मेरठः सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि वेस्ट यूपी में औषधीय पौधों की खेती करने की अपार संभावनाएं हैं. यदि किसान औषधीय खेती करते हैं तो निश्चित उनकी आमदनी में बढ़ोतरी होगी.
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प्रोफेसर आरएस सेंगर ने बताया कि वेस्ट यूपी में अधिकतर किसान परंपरागत फसलों की खेती करते हैं, जिनमें धान, गेहूं, गन्ना आदि की फसल प्रमुख हैं, लेकिन यदि किसान औषधीय पौधों की खेती करें तो उन्हें परंपरागत फसलों के मुकाबले अधिक मुनाफा मिल सकता है.
वेस्ट यूपी में औषधीय पौधों की खेती के लिए 30 से अधिक ऐसे औषधीय पौधे हैं, जिनकी खेती यहां की जलवायु के अनुसार की जा सकती है. इनमें स्टीविया की खेती, सफेद मुसली की खेती, एलोवेरा की खेती, तुलसी, सतावर, कौच, काली तुलसी, ग्वारपाठा आदि की खेती मुख्य रूप से शामिल है.
उन्होंने यह भी बताया कि सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है. किसानों को उचित दर पर औषधीय पौधे भी उपलब्ध कराए जाते हैं. पहले किसान औषधीय खेती करने के प्रति कम जागरूक थे, लेकिन जब उन्हें वैज्ञानिक तरीके से औषधीय पौधों की खेती कराई गई तो उसमें हुए मुनाफे को देखते हुए किसान अब धीरे-धीरे वेस्ट यूपी में भी औषधीय पौधों की खेती करने लगे हैं.