मेरठ: कोरोना से आज पूरी दुनिया परेशान है. इस जानलेवा बीमारी की अभी तक कोई दवा नहीं बनी है. ठीक इसी तरह बासमती धान में लगने वाला झंडा रोग भी है. यह रोग भी बासमती फसल के खेत को अपनी चपेट पर लेकर पूरी तरह से नष्ट कर देता है. इस रोग के उपचार की भी अभी कोई दवा नहीं बनी है. फसल को इस रोग से बचाने के लिए केवल शुरुआती सावधानी बरतकर ही बचाया जा सकता है. किसान बासमती के इस रोग से काफी परेशान हैं.
डॉ. रितेश शर्मा के मुताबिक इस रोग से फसल में नुकसान होने से बचाने के लिए किसानों को रोपाई से पहले उसका उपचार बताए गए वैज्ञानिक विधि से कर लेना चाहिए. ऐसा करने से रोग का कम असर होगा. नर्सरी में भी इस रोग से ग्रस्त पौधे दिखाई दे रहे हैं. इससे फसल को बचाने के लिए किसानों को नर्सरी से पौधों को सूखे में नहीं उखाड़ना चाहिए. धान की पौध को नर्सरी से उखाड़ते समय उसमें पानी जरूर भरा होना चाहिए. नर्सरी से निकालने के बाद उसे कम से कम एक घंटा कार्बेंडाजिंक या ट्राइकोडरमा के घोल में डुबोकर रखना चाहिए. ऐसा करने से पौधे का उपचार हो जाएगा और रोग से फसल सुरक्षित रहेगी.
तेजी से बढ़ता है रोग ग्रस्त पौधा
डाॅ. रितेश शर्मा ने बताया कि झंडा रोग से ग्रस्त पौधा खेत में तेजी से बढ़ता है. यह खेत में लगे अन्य पौध से अधिक ऊंचा हो जाता है, जिस कारण किसान इसे झंडा रोग कहते हैं. यह रोग ग्रस्त पौधा तेजी से खेत की फसल को अपनी चपेट में लेकर नष्ट कर देता है. इस रोग के असर से धान का पौधा पूरी तरह से सूख जाता है. यूपी के अलावा पंजाब और हरियाणा में भी इस रोग का असर देखने को मिल रहा है. अगर खेत में झंडा रोग ग्रस्त पौधा दिखाई देता है तो उसे तुरंत खेत से निकालकर गहरे गड्ढे में दबा कर या जलाकर नष्ट कर देना चाहिए.
पानी की बचत के लिए खेत हो समतल
पानी की बचत के लिए उस खेत का समतल होना जरूरी है, जिसमें धान की रोपाई की जानी है. समतल खेत में पानी की कम खपत होती है. खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों की जांच पहले से करा लेने पर भी किसान को लाभ मिलता है. ऐसा करने से कम उर्वरकों का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा अगर खेत में धान की 2 मीटर रोपाई के बाद एक से डेढ़ फीट का रास्ता छोड़ते हैं तो उससे फसल का उत्पादन अधिक होगा और फसल में लगने वाले रोग कम होंगे.