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मेरठ: बासमती चावल की खेती को लेकर किसान जागरूक, पैदावार के साथ निर्यात बढ़ने की संभावना

उत्तर प्रदेश में इस बार किसान बासमती चावल की खेती को लेकर जागरूक हैं, जिस कारण पैदावार बढ़ने साथ निर्यात में भी प्रदेश के पहले स्थान पर रहने की संभानवा है. अभी तक बासमती चावल के निर्यात में प्रदेश तीसरे स्थान पर है.

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इस बार बासमती चावल की पैदावार बढ़ने की संभावना.
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Published : Jun 9, 2020, 4:10 AM IST

मेरठ: बासमती चावल की खेती को लेकर यूपी के किसान जागरूक हैं. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार ही फसल में कीटनाशक दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं. कृषि वैज्ञानिकों ने बासमती चावल की पैदावार बढ़ने के साथ इस बार निर्यात में भी प्रदेश के पहले स्थान पर रहने की संभावना जताई है. वहीं किसानों को भी पहले की अपेक्षा अधिका मुनाफा होने ही उम्मीद है.

इस बार बासमती चावल की पैदावार बढ़ने की संभावना.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में रहती है भारत के बासमती चावल की मांग

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के बासमती चावल की अधिक मांग रहती है. जानकारों के अनुसार विदेशों में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पैदा हुआ बासमती चावल अधिक पसंद किया जाता है. अभी यूपी बासमती चावल के निर्यात में तीसरे स्थान पर है. बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रभारी व प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. रितेश शर्मा ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में सरकार द्वारा धान की खेती को लेकर पराली जलाने सहित कई तरह की पाबंदी लगाई गई है, जिस कारण वहां के किसान बासमती की खेती कम कर रहे हैं. लिहाजा इस बार वहां पैदावार कम होगी. उन्होंने बताया कि किसानों के द्वारा बासमती की खेती अधिक करने के कारण पैदावार बढ़ने की संभावना है. इस कारण यूपी निर्यात के मामले में इस बार पहले या दूसरे स्थान पर पहुंच सकते हैं.

कम कीटनाशक का प्रयोग करते हैं यूपी के किसान
डॉ. रितेश शर्मा ने कहा कि निर्यात किए जाने वाले बासमती की पैदावार में मानकों का पूरा ध्यान रखना पड़ता है. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार ही फसल में कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है और इसे लेकर किसान जागरूक हैं. यदि मानकों के अनुसार पैदावार नहीं की गई, तो विदेशों में भेजे गए बासमती को रिजेक्ट कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा के किसान कई बार मानक से ज्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं.


यूपी में पैदा हुए चावल की देश में अधिक मांग
डाॅ. शर्मा के मुताबिक यूपी में पैदा होने वाले चावल की देश में अधिक मांग रहती है. इस बार किसानों ने अच्छे मानसून की संभावना को देखते हुए बासमती के बीज की अधिक खरीदारी की है. उन किसानों ने भी इस बार बीज खरीदा है, जो बासमती की खेती नहीं करते थे.


यूपी में 24 फीसदी होती है बासमती की खेती
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के अनुसार यूपी में 24 फीसदी बासमती की खेती होती है. वहीं हरियाणा में सबसे अधिक 42 फीसदी और पंजाब में 29 फीसदी होती है. बाकी राज्य में 5 फीसदी ही बासमती की खेती होती है.

यूपी में साल 2018 और 2019 में 252 हजार हेक्टेयर की गई थी खेती
उत्तर प्रदेश में साल 2018 और 2019 में कुल 252 हजार हेक्टेयर जमीन पर बासमती चावल की खेती की गई थी. वहीं पूरे देश में साल 2018 में 1480 हजार हेक्टेयर और 2019 में कुल 2016 हजार हेक्टेयर बासमती चावल की खेती हुई थी.

मेरठ: बासमती चावल की खेती को लेकर यूपी के किसान जागरूक हैं. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार ही फसल में कीटनाशक दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं. कृषि वैज्ञानिकों ने बासमती चावल की पैदावार बढ़ने के साथ इस बार निर्यात में भी प्रदेश के पहले स्थान पर रहने की संभावना जताई है. वहीं किसानों को भी पहले की अपेक्षा अधिका मुनाफा होने ही उम्मीद है.

इस बार बासमती चावल की पैदावार बढ़ने की संभावना.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में रहती है भारत के बासमती चावल की मांग

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के बासमती चावल की अधिक मांग रहती है. जानकारों के अनुसार विदेशों में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पैदा हुआ बासमती चावल अधिक पसंद किया जाता है. अभी यूपी बासमती चावल के निर्यात में तीसरे स्थान पर है. बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रभारी व प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. रितेश शर्मा ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में सरकार द्वारा धान की खेती को लेकर पराली जलाने सहित कई तरह की पाबंदी लगाई गई है, जिस कारण वहां के किसान बासमती की खेती कम कर रहे हैं. लिहाजा इस बार वहां पैदावार कम होगी. उन्होंने बताया कि किसानों के द्वारा बासमती की खेती अधिक करने के कारण पैदावार बढ़ने की संभावना है. इस कारण यूपी निर्यात के मामले में इस बार पहले या दूसरे स्थान पर पहुंच सकते हैं.

कम कीटनाशक का प्रयोग करते हैं यूपी के किसान
डॉ. रितेश शर्मा ने कहा कि निर्यात किए जाने वाले बासमती की पैदावार में मानकों का पूरा ध्यान रखना पड़ता है. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार ही फसल में कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है और इसे लेकर किसान जागरूक हैं. यदि मानकों के अनुसार पैदावार नहीं की गई, तो विदेशों में भेजे गए बासमती को रिजेक्ट कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा के किसान कई बार मानक से ज्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं.


यूपी में पैदा हुए चावल की देश में अधिक मांग
डाॅ. शर्मा के मुताबिक यूपी में पैदा होने वाले चावल की देश में अधिक मांग रहती है. इस बार किसानों ने अच्छे मानसून की संभावना को देखते हुए बासमती के बीज की अधिक खरीदारी की है. उन किसानों ने भी इस बार बीज खरीदा है, जो बासमती की खेती नहीं करते थे.


यूपी में 24 फीसदी होती है बासमती की खेती
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के अनुसार यूपी में 24 फीसदी बासमती की खेती होती है. वहीं हरियाणा में सबसे अधिक 42 फीसदी और पंजाब में 29 फीसदी होती है. बाकी राज्य में 5 फीसदी ही बासमती की खेती होती है.

यूपी में साल 2018 और 2019 में 252 हजार हेक्टेयर की गई थी खेती
उत्तर प्रदेश में साल 2018 और 2019 में कुल 252 हजार हेक्टेयर जमीन पर बासमती चावल की खेती की गई थी. वहीं पूरे देश में साल 2018 में 1480 हजार हेक्टेयर और 2019 में कुल 2016 हजार हेक्टेयर बासमती चावल की खेती हुई थी.

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