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अंग्रेजों के इस कृत्य के कारण गगोल गांव में आज तक नहीं मनाया जाता दशहरा - Dussehra is not celebrated

मेरठ के गगोल गांव में अंग्रेजों के एक निर्मम कृत्य के कारण 165 सालों से दशहरा नहीं मनाया जाता है. यहां विजयादशमी के दिन गम का माहौल रहता है.

दशहरा
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Published : Oct 5, 2022, 11:03 PM IST

Updated : Oct 5, 2022, 11:10 PM IST

मेरठ: जिले के गगोल गांव में दशहरा का त्यौहार नहीं मनाया जाता है. इस दिन पूरे गांव में गमगीन माहौल रहता है. 165 सालों से अंग्रेजी हुकूमत के एक कृत्य के कारण यहां दशहरा नहीं मनाया जाता है. मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर इस गांव में 9 क्रांतिकारियों को एक साथ गांव में पीपल के पेड़ पर खुलेआम फांसी पर अंग्रेजों ने लटका दिया था. एक साथ दशहरे के दिन 9 लोगों को फांसी दिए जाने के बाद से पूरे गांव में मातम छा गया था.

जानकारी देते सवांददाता श्रीपाल तेवतिया

उस दिन से आज तक गगोल गांव के लोग दशहरा का त्यौहार नहीं मनाते हैं. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के एचओडी विग्नेश त्यागी ने इस बारे में बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जब क्रांति की ज्वाला धधकनी शुरू हुई थी. तो गगोल गांव में फिरंगियों ने 9 ग्रामीणों को विजयदशमी के दिन पीपल के पेड़ पर फांसी पर लटकाकर अपने निर्मम होने का परिचय दिया था.

जिस पेड़ पर क्रान्तिकारियों को फांसी दी गई
जिस पेड़ पर क्रान्तिकारियों को फांसी दी गई

गगोल गांव के जिन-जिन लोगों को फिरंगियों ने फांसी पर लटकाया था. उनमें प्रमुख रूप गगोल गांव के रामसहाय ,हिम्मत सिंह ,रमन सिंह, हरजीत सिंह, कड़ेरा सिंह, घसीटा सिंह ,शिब्बत सिंह, बैरम और दरयाब सिंह शामिल थे. गांव के लोगों बताते हैं कि 165 साल हो चुके है, लेकिन इस गांव में दशहरा नहीं मनाया गया है. इस दिन गांव में कोई भी शुभ काम नहीं होता है. गांव के प्रधान ने बताया कि गगोल गांव इस दिन को कभी नहीं भूल सकता.

यह भी पढ़ें:रावण की ससुराल में देश का सबसे बड़ा पुतला, मदिरा और लड्डू का भोग लगाकर होगा दहन

यह भी पढ़ें:कन्नौज में दशहरे पर नहीं बल्कि शरद पूर्णिमा को होता है रावण दहन, 200 सालों से निभाई जा रही ये परंपरा

मेरठ: जिले के गगोल गांव में दशहरा का त्यौहार नहीं मनाया जाता है. इस दिन पूरे गांव में गमगीन माहौल रहता है. 165 सालों से अंग्रेजी हुकूमत के एक कृत्य के कारण यहां दशहरा नहीं मनाया जाता है. मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर इस गांव में 9 क्रांतिकारियों को एक साथ गांव में पीपल के पेड़ पर खुलेआम फांसी पर अंग्रेजों ने लटका दिया था. एक साथ दशहरे के दिन 9 लोगों को फांसी दिए जाने के बाद से पूरे गांव में मातम छा गया था.

जानकारी देते सवांददाता श्रीपाल तेवतिया

उस दिन से आज तक गगोल गांव के लोग दशहरा का त्यौहार नहीं मनाते हैं. चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के एचओडी विग्नेश त्यागी ने इस बारे में बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जब क्रांति की ज्वाला धधकनी शुरू हुई थी. तो गगोल गांव में फिरंगियों ने 9 ग्रामीणों को विजयदशमी के दिन पीपल के पेड़ पर फांसी पर लटकाकर अपने निर्मम होने का परिचय दिया था.

जिस पेड़ पर क्रान्तिकारियों को फांसी दी गई
जिस पेड़ पर क्रान्तिकारियों को फांसी दी गई

गगोल गांव के जिन-जिन लोगों को फिरंगियों ने फांसी पर लटकाया था. उनमें प्रमुख रूप गगोल गांव के रामसहाय ,हिम्मत सिंह ,रमन सिंह, हरजीत सिंह, कड़ेरा सिंह, घसीटा सिंह ,शिब्बत सिंह, बैरम और दरयाब सिंह शामिल थे. गांव के लोगों बताते हैं कि 165 साल हो चुके है, लेकिन इस गांव में दशहरा नहीं मनाया गया है. इस दिन गांव में कोई भी शुभ काम नहीं होता है. गांव के प्रधान ने बताया कि गगोल गांव इस दिन को कभी नहीं भूल सकता.

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Last Updated : Oct 5, 2022, 11:10 PM IST
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