मेरठ: यूं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश को गन्ना बेल्ट के तौर पर जाना जाता है, लेकिन अब यहां उद्यान विभाग किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. आलम ये है कि किसानों को भी ये फसल लुभाने लगी है. इस फसल की तरफ किसानों का रुझान भी धीरे-धीरे बढ़ता दिखाई दे रहा है.
सरकार की मंशा है कि किसानों की आय दोगुनी की जाए, जिसके लिए केंद्र और प्रदेश सरकार की तरफ से लगातार जतन जारी हैं. मेरठ जिले में यूं तो 75 फीसदी कृषि भूमि पर यहां के किसान गन्ना उगाते हैं, लेकिन वहीं उद्यान विभाग लगातार किसानों से कनेक्ट होक्त उन्हें परंपरागत खेती से अलग ऐसी फसलों की तरफ जोड़ने का प्रयास कर रहा है, जिससे अन्नदाता को अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है. उन्हीं में से एक है ड्रैगन फ्रूट की खेती.
जिला उद्यान अधिकारी गमपाल सिंह बताते हैं कि प्रदेश सरकार औद्यानिक मिशन अभियान चला रही है. इसके अंतर्गत इक्छुक अन्नदाताओं को अनुदान भी मुहैया कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि किसान भी औद्योगिक खेती से जुड़ने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. किसानों को भी ड्रैगन फ्रूट की खेती लुभा रही है.
मेरठ जिले के मवाना तहसील के भैंसा गांव में किसान सचिन चौधरी का परिवार गन्ने की खेती करता था, लेकिन जब उन्हें ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में पता चला तो उन्होंने उद्यान विभाग से संपर्क किया और अब वो ड्रैगन फ्रूट की खेती में लगे हैं.
जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि किसान सचिन ने बीते वर्ष गुजरात से 1,600 पौधे लाकर एक एकड़ में उसकी रोपाई की थी. वे बताते हैं ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए एक एकड़ में करीब 400 पोल खड़े किए गए और उसके बाद हर एक पोल के समीप में चार-चार पौधे कैक्टस बेल की भांति लगाएं. वे बताते हैं कि अब तो इन पेड़ों पर फूल भी आने लगे हैं ,और आगामी कुछ दिनों के बाद ड्रैगन फ्रूट लगने शुरू भी हो जाएंगे.
बकौल किसान सचिन एक एकड़ में करीब 5 लाख रुपये की लागत आई है. फुटकर बाजार में ड्रैगन फ्रूट के एक पीस की कीमत 200 से 250 रुपये तक होती है. जिस पर अप्रैल महीने से से लेकर अक्टूबर माह के बीच फ्रूट का उत्पादन होता है. जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि अनुमान है कि पांचवे साल से सालाना कम से कम 7 से 8 लाख रुपया प्रतिवर्ष कमाई होगी.
जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि दिल्ली की आजाद पुर मंडी में ड्रैगन फ्रूट की काफी डिमांड भी है. ऐसे में निश्चित ही वहां इस फ्रूट की बिक्री से अच्छा मुनाफा हो जाएगा. मेरठ जिले से दिल्ली की दूरी भी अधिक नहीं है. इससे निश्चित ही मेरठ के किसानों को बाजार ढूंढने के लिए भी कोई दिक्कत भी नहीं होगी. काबिलेगौर है कि फूलों, सब्जी और औषधीय पौधों की खेती को करना मसाले, उगाना, औषधीय पौधे, फूल, मशरूम, सुगंधित पौधे समेत ड्रैगन फ्रूट की खेती भी औद्यानिक खेती में शामिल है. सरकार की तरफ से असर किसानों को सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जाती है.
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