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मेरठ : धूम धाम से मनाया जा रहा दुर्गा अष्टमी पर्व, देवी मां के साथ हुआ कन्या पूजन

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Published : Oct 24, 2020, 1:40 PM IST

आज चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि है. आज के दिन भक्त कन्या भोज का आयोजन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन नौ देवियों के रूप में नौ कन्याओं के पूजन के बाद ही नवरात्र व्रत सफल होता है. मेरठ जिले में लोगों ने कन्या भोजन का आयोजन किया.

कन्या पूजन
कन्या पूजन

मेरठ : आज चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि है. आज शनिवार को कन्या पूजन के साथ नवरात्रि पर्व का समापन हुआ है. नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि नौ देवियों के रूप में नौ कन्याओं के पूजन के बाद ही नवरात्र व्रत सफल होता है. मां के भक्तों ने 2 से 10 साल की कन्याओं की पूजा कर व्रत पूरा किया और अपनी सामर्थ्य के मुताबिक भोग खिलाकर दक्षिणा दी.

प्राचीन परंपरा है नवरात्र में कन्या पूजन
बताया जाता है कि प्राचीन काल में माता वैष्णो देवी ने परम भक्त पंडित श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर उसकी न सिर्फ लाज बचाई थी, बल्कि पूरी सृष्टि को अपनी शक्ति से अवगत भी करा दिया था. कहानी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के कटरा कस्बे से 2 किमी की दूर हंसाली गांव में माता के भक्त श्रीधर रहते थे. भक्त श्रीधर, संतान ना होने के कारण दुखी रहते थे. उन्होंने नवरात्र पूजन के लिए कुंवारी कन्याओं को अपने घर बुलाया हुआ था. इस दौरान माता वैष्णो देवी भी बालिका का रूप धारण कर कन्याओं के बीच बैठ गईं. पूजन सम्पन्न होने के बाद सभी कन्याएं अपने घर चली गईं, लेकिन माता वैष्णो देवी वहीं रुक गईं.

कन्या रूप में आई माता वैष्णो देवी ने अपने परम भक्त श्रीधर को कहा कि वे सब ग्रामीणों को भंडारे का निमंत्रण दे आएं. श्रीधर ने उस दिव्य कन्या की बात सुनी और आस–पास के गांवों के ग्रामीणों को भंडारे का न्योता भिजवा दिया. इस भंडारे का बाद श्रीधर के घर संतान उत्पन्न हो गई. बताया जाता है कि तभी से नवरात्रि के पर्व पर कन्या पूजन कर भक्तजन मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

नवरात्र के सप्तमी से शुरू हो जाता है कन्या पूजन
पंडित योगेश दीक्षित ने बताया कि नवरात्र की सप्‍तमी से ही कन्‍या पूजन शुरू हो जाता है. दशहरे से पहले सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन नौ कन्याओं की पूजा की जाती है. इन कन्याओं को ही नौ देवियों का रूप मानकर कन्याओं के पैरों को धोकर आदर-सत्कार के साथ भोजन कराया जाता है. कन्या पूजन से खुश होकर माता रानी भक्तों परिवार में सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं.

कोरोना से नही डगमगाई आस्था
हालांकि कोरोना का प्रकोप अभी कम नहीं हुआ है. शासन प्रशासन लगातार कोविड प्रोटोकॉल के पालन की अपील कर रहा है. इसके बावजूद कन्या कन्या पूजन पर कोरोना पूरी तरह बेअसर रहा है. मां के भक्तों ने कोरोना से परवाह किये बगैर नवरात्र पर्व को मनाया. दुर्गा अष्टमी के दिन घर घर कन्या पूजन किया जा रहा है. हलवा, पूरी का भोग लगाकर कन्याओं को गिफ्ट और दक्षिणा दी जा रही है.

मेरठ : आज चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि है. आज शनिवार को कन्या पूजन के साथ नवरात्रि पर्व का समापन हुआ है. नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि नौ देवियों के रूप में नौ कन्याओं के पूजन के बाद ही नवरात्र व्रत सफल होता है. मां के भक्तों ने 2 से 10 साल की कन्याओं की पूजा कर व्रत पूरा किया और अपनी सामर्थ्य के मुताबिक भोग खिलाकर दक्षिणा दी.

प्राचीन परंपरा है नवरात्र में कन्या पूजन
बताया जाता है कि प्राचीन काल में माता वैष्णो देवी ने परम भक्त पंडित श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर उसकी न सिर्फ लाज बचाई थी, बल्कि पूरी सृष्टि को अपनी शक्ति से अवगत भी करा दिया था. कहानी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के कटरा कस्बे से 2 किमी की दूर हंसाली गांव में माता के भक्त श्रीधर रहते थे. भक्त श्रीधर, संतान ना होने के कारण दुखी रहते थे. उन्होंने नवरात्र पूजन के लिए कुंवारी कन्याओं को अपने घर बुलाया हुआ था. इस दौरान माता वैष्णो देवी भी बालिका का रूप धारण कर कन्याओं के बीच बैठ गईं. पूजन सम्पन्न होने के बाद सभी कन्याएं अपने घर चली गईं, लेकिन माता वैष्णो देवी वहीं रुक गईं.

कन्या रूप में आई माता वैष्णो देवी ने अपने परम भक्त श्रीधर को कहा कि वे सब ग्रामीणों को भंडारे का निमंत्रण दे आएं. श्रीधर ने उस दिव्य कन्या की बात सुनी और आस–पास के गांवों के ग्रामीणों को भंडारे का न्योता भिजवा दिया. इस भंडारे का बाद श्रीधर के घर संतान उत्पन्न हो गई. बताया जाता है कि तभी से नवरात्रि के पर्व पर कन्या पूजन कर भक्तजन मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

नवरात्र के सप्तमी से शुरू हो जाता है कन्या पूजन
पंडित योगेश दीक्षित ने बताया कि नवरात्र की सप्‍तमी से ही कन्‍या पूजन शुरू हो जाता है. दशहरे से पहले सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन नौ कन्याओं की पूजा की जाती है. इन कन्याओं को ही नौ देवियों का रूप मानकर कन्याओं के पैरों को धोकर आदर-सत्कार के साथ भोजन कराया जाता है. कन्या पूजन से खुश होकर माता रानी भक्तों परिवार में सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं.

कोरोना से नही डगमगाई आस्था
हालांकि कोरोना का प्रकोप अभी कम नहीं हुआ है. शासन प्रशासन लगातार कोविड प्रोटोकॉल के पालन की अपील कर रहा है. इसके बावजूद कन्या कन्या पूजन पर कोरोना पूरी तरह बेअसर रहा है. मां के भक्तों ने कोरोना से परवाह किये बगैर नवरात्र पर्व को मनाया. दुर्गा अष्टमी के दिन घर घर कन्या पूजन किया जा रहा है. हलवा, पूरी का भोग लगाकर कन्याओं को गिफ्ट और दक्षिणा दी जा रही है.

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