मेरठः जिले में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर देवेंद्र शर्मा ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. इस दौरान उन्होंने अफसरों को निर्देश दिए कि स्कूलों के 100 मीटर के दायरे में कहीं भी कोई पान गुटखा या किसी भी तरह के नशे से जुड़ी सामग्री की दुकानें नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि एक युद्ध नशे के विरुद्ध' नाम से प्रदेश भर में अभियान चलाकर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग जागरूकता फैलाने का काम कर रहा है. वहीं उन्होंने कहा कि बाल सम्प्रेषण ग्रह यातना गृह नहीं संस्कार गृह बनेंगे.
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अभी तीन बिंदुओं पर फोकस किया है. उन्होंने बताया कि पहला बिंदु कड़ाई से बाल श्रम को रोकने को लेकर है. कहा कि आज पूरे प्रदेश में रेस्क्यू हो रहा है. बाल श्रम को रोकने के लिए टीमें लगी हुई हैं इसी का परिणाम है कि बच्चों का पुनर्वासन कराने का कार्य हो रहा है. उन्होंने कहा कि बाल भिक्षावृत्ति को रोकने का काम हो रहा है. एक युद्ध नशे के विरुद्ध प्लान है, जिस पर वर्तमान में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग गंबीरता से जागरूकता फैलाने का काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि पूरा प्लान प्रदेश भर में बनाया गया है, ताकि बच्चों को नशे से दूर रखा जाए.
पढ़ेंः 26 जून तक डेढ़ लाख युवाओं को रोजगार मिलने का लक्ष्य होगा पूरा: श्रम मंत्री रघुराज सिंह
उन्होंने अफसरों को निर्देशित करते हुए कहा कि कन्या सुमंगला योजना का लाभ दिलाने के लिए अधिक से अधिक ऑनलाईन आवेदन भरवाए जाएं. उन्होंने अफसरों से ये भी कहा कि कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर योजनाओं की जानकादी दें, जिससे आमजन को योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ मिल सके. कहा कि आंगनबाड़ी के रिक्त पदों को भरने की कार्रवाई जल्द सुनिश्चित की जाएगी.
अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा कि मान्यता प्राप्त मदरसे ही संचालित रहें. बगैर मान्यता प्राप्त मदरसों पर सख्ती से कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि यह भी ध्यान दिया जाए कि किसी भी बच्चे का उत्पीड़न न हो, अगर उत्पीड़न होता है तो सख्त से सख्त एक्शन लिया जाए.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप