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मेरठ: दानवीर कर्ण के मंदिर को है दान की जरूरत - कर्ण का मंदिर

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित दानवीर कर्ण का मंदिर आज उपेक्षित पड़ा हुआ है. जिस स्थान पर कभी दानवीर कर्ण सोना-चांदी दान किया करते थे, आज उस मंदिर की दशा सुधारने के लिए दान की आवश्यकता है.

मंदिर की शोभा बढ़ा रहा दानपात्र.
मंदिर की शोभा बढ़ा रहा दानपात्र.
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Published : Sep 4, 2020, 10:11 PM IST

मेरठ: जिले के हस्तिनापुर में मौजूद दानवीर कर्ण का मंदिर आज उपेक्षाओं का शिकार हो गया है. ये देश में दानवीर कर्ण का इकलौता मंदिर है. इस स्थान पर कभी दानवीर कर्ण सोना-चांदी और आभूषण आदि दान किया करते थे. यहां तक कि उन्होंने अपने कवच और कुण्डल यहीं पर दान किए थे. लेकिन, आज इस स्थान पर दानपात्र रखा हुआ है. कर्ण के इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए आज दान की आवश्यकता है.

उपेक्षा का शिकार है दानवीर कर्ण का मंदिर

महत्वपूर्ण बातें-

  • दानवीर कर्ण के मंदिर में हैं कई प्राचीन कलाकृतियां.
  • सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहा हस्तिनापुर का ऐतिहासिक स्थल.
  • महाभारत में हैं कर्ण के इस मंदिर का उल्लेख.

मेरठ जिला मुख्यालय से चालीस किलोमीटर दूर मौजूद हस्तिनापुर अपने आप में अनेकों रहस्य समेटे हुए है. महाभारत काल के महान योद्धा दानवीर कर्ण को भी इन्हीं में से एक माना जाता है. हस्तिनापुर में दानवीर कर्ण का मंदिर बना हुआ है. कहा जाता है कि, महाभारत काल में इस स्थान पर बैठकर दानवीर कर्ण सोना-चांदी और आभूषण आदि दान किया करते थे. यहां से बहने वाली गंगा नदी में स्नान करने के बाद कर्ण से जो कुछ भी मांगा जाता था, वे उसे दान कर देते थे. यहां तक की कर्ण ने भगवान इंद्र को अपने कवच और कुंडल भी यहीं पर दान किए थे. लेकिन आज यह स्थान उपेक्षा का दंश झेल रहा है. दानवीर कर्ण के इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए दान की आवश्यकता है. जिसके लिए मंदिर के बाहर एक दानपात्र रखा हुआ है, लेकिन इसमें दान देने वाला कोई नहीं है.

पुजारी ने लगाई सीएम योगी से गुहार

कहा जता है कि, इस स्थान पर हर किसी की मनोकामना पूर्ण होती है. इस मंदिर का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है. यहां पर कई प्राचीन कलाकृतियां मौजूद है. जिनकी चमक आज भी बरकरार है. यहां के पुजारी बताते हैं कि मंदिर परिसर के आसपास कुछ ऐसे लोग भी सक्रिय हैं, जिनसे मंदिर और उनकी सुरक्षा का खतरा है. जिसे देखते हुए मंदिर के पुजारी इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए सीएम योगी से गुहार लगा रहे हैं.

पुजारी का कहना है कि काफी समय पहले मंदिर के पास से गंगा नदी की मुख्य धारा बहती थी, जो अब यहां से कई किलोमीटर दूर पहुंच गई है. इस स्थान को कर्ण घाट के नाम से जाना जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि कर्ण के इस बहुमूल्य धरोहर को बचाया जाना चाहिए.

मेरठ: जिले के हस्तिनापुर में मौजूद दानवीर कर्ण का मंदिर आज उपेक्षाओं का शिकार हो गया है. ये देश में दानवीर कर्ण का इकलौता मंदिर है. इस स्थान पर कभी दानवीर कर्ण सोना-चांदी और आभूषण आदि दान किया करते थे. यहां तक कि उन्होंने अपने कवच और कुण्डल यहीं पर दान किए थे. लेकिन, आज इस स्थान पर दानपात्र रखा हुआ है. कर्ण के इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए आज दान की आवश्यकता है.

उपेक्षा का शिकार है दानवीर कर्ण का मंदिर

महत्वपूर्ण बातें-

  • दानवीर कर्ण के मंदिर में हैं कई प्राचीन कलाकृतियां.
  • सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहा हस्तिनापुर का ऐतिहासिक स्थल.
  • महाभारत में हैं कर्ण के इस मंदिर का उल्लेख.

मेरठ जिला मुख्यालय से चालीस किलोमीटर दूर मौजूद हस्तिनापुर अपने आप में अनेकों रहस्य समेटे हुए है. महाभारत काल के महान योद्धा दानवीर कर्ण को भी इन्हीं में से एक माना जाता है. हस्तिनापुर में दानवीर कर्ण का मंदिर बना हुआ है. कहा जाता है कि, महाभारत काल में इस स्थान पर बैठकर दानवीर कर्ण सोना-चांदी और आभूषण आदि दान किया करते थे. यहां से बहने वाली गंगा नदी में स्नान करने के बाद कर्ण से जो कुछ भी मांगा जाता था, वे उसे दान कर देते थे. यहां तक की कर्ण ने भगवान इंद्र को अपने कवच और कुंडल भी यहीं पर दान किए थे. लेकिन आज यह स्थान उपेक्षा का दंश झेल रहा है. दानवीर कर्ण के इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए दान की आवश्यकता है. जिसके लिए मंदिर के बाहर एक दानपात्र रखा हुआ है, लेकिन इसमें दान देने वाला कोई नहीं है.

पुजारी ने लगाई सीएम योगी से गुहार

कहा जता है कि, इस स्थान पर हर किसी की मनोकामना पूर्ण होती है. इस मंदिर का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है. यहां पर कई प्राचीन कलाकृतियां मौजूद है. जिनकी चमक आज भी बरकरार है. यहां के पुजारी बताते हैं कि मंदिर परिसर के आसपास कुछ ऐसे लोग भी सक्रिय हैं, जिनसे मंदिर और उनकी सुरक्षा का खतरा है. जिसे देखते हुए मंदिर के पुजारी इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए सीएम योगी से गुहार लगा रहे हैं.

पुजारी का कहना है कि काफी समय पहले मंदिर के पास से गंगा नदी की मुख्य धारा बहती थी, जो अब यहां से कई किलोमीटर दूर पहुंच गई है. इस स्थान को कर्ण घाट के नाम से जाना जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि कर्ण के इस बहुमूल्य धरोहर को बचाया जाना चाहिए.

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