मेरठः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट अमित कुमार को शौर्य चक्र से सम्मानित किया. मेरठ के मीनाक्षीपुरम के रहने वाले अमित कुमार श्रीनगर में उनके अदम्य साहस दिखाने के लिए दिया गया. श्रीनगर में तैनाती के दौरान अमित कुमार ने करीब 30 आतंकियों को ढेर किया और 5 को सरेंडर कराया था. ईटीवी भारत ने उनके माता-पिता ने बातचीत की, उन्होंने क्या कहा आइए जानते हैं.
अमित कुमार के पिता जीत सिंह ने ईटीवी को बताया कि वह लोग मूल रूप से बुलंदशहर जिले के गांव निसुर्खा के निवासी हैं. अमित के पिता जीत सिंह खुद भी सेना से रिटायर्ड हैं. अमित को शौर्य चक्र से सम्मानित किये जाने को लेकर लोग बधाई देने पहुंच रहे हैं. जीत सिंह ने बताया कि गुणाव में ढाई बीघा जमीन थी. सेना में टेक्निकल कोर में उनकी नौकरी लगी, तो उन्होंने तय कर लिया कि उन्हें अब देश की सेवा करनी है. साथ ही अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ाना है. इसके बाद पूरे परिवार के साथ वो मेरठ में शिफ्ट हो गए. अमित की मां राजेन्द्री देवी ने कहा कि उनके बेटे ने उनका ही नहीं पूरे कुल का मान बढ़ाया है.
अमित कुमार के बारे में बात करते हुए जीत सिंह ने बताया कि वह बचपन से ही होनहार है. अमित की पढ़ाई मेरठ में आर्मी स्कूल से हुई. उसके बाद उसने मेरठ कॉलेज से एमएससी की. अमित क्लास में हमेशा टॉपर रहे थे. साल 2013 में अमित सीआरपीएफ में सीधे नियुक्त होकर अधिकारी बने. इस दौरान अमित देश के अलग-अलग क्षेत्रों में रहे और अप्रैल 2018 में उसे श्रीनगर स्थित वैली क्यूएटी के कमांडर के पद पर तैनात किया गया. जम्मू-कश्मीर के 15 एनकाउंटर में वह टीम के साथ शामिल रहे, जबकि खुद 30 आतंकवादियों को ढेर कर चुके हैं.
जीत सिंह ने बताया कि अमित को पहले भी कई बार सीआरपीएफ की तरफ से सराहना मिल चुकी है. वर्तमान में उसकी तैनाती नई दिल्ली में है. यहां अमित वन सिग्नल सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर 29 अगस्त 2022 से तैनात हैं. गौरतलब है कि अमित कुमार को 12 अक्टूबर 2020 के आपरेशन के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है.
ईटीवी भारत से अमित ने कहा कि वह जल्द ही मेरठ आएंगे. उन्होंने बताया कि उनके नेतृत्व में सीआरपीएफ की टीम एक घर में छिपे आतंकियों को पकड़ने के लिए गई थी. घर में प्रवेश के बाद आतंकियों के ग्रेनेड हमले में उनके दो साथी तब घायल भी हुए थे. लेकिन, उन्होंने हर नहीं मानी और डटकर मुकाबला किया था और आतंकियो की नाक में नकेल डालने में सफल रहे थे.
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