मेरठ : एनजीटी की गाइडलाइन के मुताबिक दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में कामर्शियल डीजल और पेट्रोल की गाड़ियों के रिटायर होने की अधिकतम सीमा दस वर्ष होनी चाहिए. हालांकि वाह स्वामियों खासकर कमर्शियल वाहनों से स्वामियों ने इसका तोड़ निकाल लिया है. अब वे अपने वाहनों को डीजल पेट्रोल की जगह सीएनजी में कन्वर्ट करा ले रहे हैं. सीएनजी वाहनों से एक तो प्रदूषण नहीं फैलता, दूसरे इनके रिटायर होने की समय सीमा भी 15 वर्ष निर्धारित की गई है. इससे वाहन स्वामियों को 5 वर्ष का अतिरिक्त समय मिल जाता है. हालांकि इस काम में उन्हें इंजन का पूरा सेटअप बदलवाना पड़ता है जिसमें अच्छा खासा खर्चा भी आता है. नए वाहन की कीमत की अपेक्षा यह बहुत कम होता है जिससे वाहन स्वामियों को अतिरिक्त पांच वर्ष का समय तो मिलता ही है उनके पैसों की भी बचत हो जाती है. एक रिपोर्ट..
कुछ समय पूर्व तक पेट्रोल की गाड़ियों को लोग सीएनजी में कन्वर्ट करा रहे थे. पैट्रोल की बढ़ती कीमतों के बीच उन्हें ऐसा लगता था कि सीएनजी किफायती साबित होगी. हालांकि अब जब सीएनजी भी मेरठ और आसपास के जिलों में 80 रुपये के पास पहुंच चुकी है और डीजल 95 व पैट्रोल 105 के पार है, तब भी लोग तेजी से सीएनजी में वाहनों को कन्वर्ट कराने के लिए स्थानीय परिवहन कार्यालय पहुंच रहे हैं. खास बात ये है कि कमर्शियल डीजल वाहन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सिर्फ दस साल तक ही चलाए जा सकते हैं. ऐसे में अब लोगों ने ये समझकर कि उनके वाहन दस साल में रिटायर न हों, यानी 15 साल तक दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में भी बे रोक-टोक फर्राटा भरते रहें, इसके लिए कमर्शियल वाहन स्वामी भी अपने वाहनों को सीएनजी में कन्वर्ट कराने को आतुर दिखाई देते हैं.
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इस बाबत हमने कई ट्रांसपोर्टर्स से बात की. ट्रांसपोर्टर रविकांत का कहना है कि एक ट्रक का दस साल में कुछ भी नहीं बिगड़ता जबकि 35 से 50 लाख रुपये में ट्रक तैयार होता है. वे मानते हैं कि दस साल में उनका पैसा वापिस निकल भी नहीं पाता. नई स्क्रैप नीति की वजह से वे टेंशन में हैं. एआरटीओ प्रशासन कुलदीप सिंह बताते हैं कि डीजल से सीएनजी में वाहन को कन्वर्ट कराकर दस साल की जो डीजल वाहनों को लेकर पॉलिसी है, उससे उबरने की लोग कोशिश कर रहे हैं. बताया कि वाहनों में सीएनजी लगवाने से वे 15 साल तक भी उसे चला सकते हैं और इससे प्रदूषण भी नहीं होगा.
एआरटीओ प्रशासन कुलदीप सिंह ने बताया कि जनवरी से मार्च तक 374 वाहन पेट्रोल से सीएनजी में कन्वर्ट हुए हैं. वे बताते हैं कि जनवरी 2021 से मार्च 2022 तक 2544 वाहन सीएनजी में कन्वर्ट हुए जिनमें काफी वाहन ऐसे भी हैं जो डीजल से सीएनजी में कन्वर्ट हुए हैं. एआरटीओ प्रशासन कुलदीप सिंह कहते हैं कि सबसे ज्यादा इनमें बसें हैं जो डीजल से सीएनजी में कन्वर्ट हुईं हैं.
बहरहाल अब सिर्फ साढ़े सात सौ रुपये का शुल्क देकर डीजल या पैट्रोल से सीएनजी में वाहन कन्वर्ट कराया जा सकता. वे बताते हैं कि ये सिर्फ दो दिन की प्रक्रिया है. हालांकि यहां तकनीकी पेंच ये है कि सीएनजी में कन्वर्ट कराने पर वाहन में पूरा सिस्टम लगवाने में भी काफी खर्च करना होता है. इस तरीके से अब डीजल के वाहन दिल्ली एनसीआर से 10 साल में रिटायर नहीं होंगे बल्कि 15 साल तक फर्राटा भर सकेंगे.