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मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के तत्वाधान में चल रही ई-कार्यशाला

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Published : Jun 5, 2020, 6:53 AM IST

यूपी के मेरठ जिले स्थित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के तत्वाधान में चल रही ई-कार्यशाला में 11वें दिन ‘कोविड-19 के साथ जीवन स्वावलंबी भारत की रूपरेखा’ विषय पर व्याख्यान हुआ. जिसमे दूर-दूर के आए हुए वक्ताओं ने अपने विचार रखे.

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कोविड-19 के साथ जीवन स्वावलंबी भारत की रूपरेखा’ विषय पर व्याख्यान

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के तत्वाधान में चल रही ई-कार्यशाला में 11वें दिन ‘कोविड-19 के साथ जीवन स्वावलंबी भारत की रूपरेखा’ विषय पर व्याख्यान हुआ. जिसमे वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे. बता दें कि प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर प्रकाश सिंह और द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर आरपी द्विवेदी रहे. वहीं ‌ई-कार्यशाला के संयोजक डॉ राजेंद्र कुमार पांडेय रहे, जबकि मंच संचालन भानु प्रताप ने किया.

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'कोविड-19 के साथ जीवन स्वावलंबी भारत की रूपरेखा’ विषय पर व्याख्यान
दिल्ली यूनिवर्सिटी के राजनीति विभाग के आचार्य प्रोफेसर प्रकाश सिंह ने कहा कि स्वावलंबी या आत्मनिर्भर कोई नवीन शब्दावली नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति और जीवन दृष्टि में प्राचीन समय से ही इसका प्रयोग होता रहा है.

भारतीय जीवन शैली को अपनाने की जरूरत
प्रोफेसर प्रकाश सिंह ने कहा कि भारत प्राचीन समय से ही स्वावलंबी और आत्मनिर्भर रहा है. बस वर्तमान समय के संदर्भ में हमें अपनी संस्कृति, ज्ञान, परंपरा और भारतीय जीवन शैली को अपनाने की आवश्यकता है. साथ ही कहा कि हमें अपनी ज्ञान, चिंतन और परंपरा पर अनुसंधान और अध्ययन करने की आवश्यकता है.

इसे भी पढ़ें: यूपी में 52 कोरोना के नए मरीज आए सामने, आंकड़ा पहुंचा 8922

प्रकृति में बहुत सारे संसाधन हैं उपलब्ध
तृतीय सत्र के मुख्य वक्ता अध्ययन केंद्र महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के अध्यक्ष प्रोफेसर आरपी द्विवेदी थे. उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों के परिप्रेक्ष्य में स्वावलंबी समाज विषय पर अपना संबोधन दिया. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी कहते थे कि प्रकृति में इतने संसाधन उपलब्ध हैं, जिससे व्यक्ति और समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति आराम से हो सकती है.

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय और पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के तत्वाधान में चल रही ई-कार्यशाला में 11वें दिन ‘कोविड-19 के साथ जीवन स्वावलंबी भारत की रूपरेखा’ विषय पर व्याख्यान हुआ. जिसमे वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे. बता दें कि प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर प्रकाश सिंह और द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर आरपी द्विवेदी रहे. वहीं ‌ई-कार्यशाला के संयोजक डॉ राजेंद्र कुमार पांडेय रहे, जबकि मंच संचालन भानु प्रताप ने किया.

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'कोविड-19 के साथ जीवन स्वावलंबी भारत की रूपरेखा’ विषय पर व्याख्यान
दिल्ली यूनिवर्सिटी के राजनीति विभाग के आचार्य प्रोफेसर प्रकाश सिंह ने कहा कि स्वावलंबी या आत्मनिर्भर कोई नवीन शब्दावली नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति और जीवन दृष्टि में प्राचीन समय से ही इसका प्रयोग होता रहा है.

भारतीय जीवन शैली को अपनाने की जरूरत
प्रोफेसर प्रकाश सिंह ने कहा कि भारत प्राचीन समय से ही स्वावलंबी और आत्मनिर्भर रहा है. बस वर्तमान समय के संदर्भ में हमें अपनी संस्कृति, ज्ञान, परंपरा और भारतीय जीवन शैली को अपनाने की आवश्यकता है. साथ ही कहा कि हमें अपनी ज्ञान, चिंतन और परंपरा पर अनुसंधान और अध्ययन करने की आवश्यकता है.

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प्रकृति में बहुत सारे संसाधन हैं उपलब्ध
तृतीय सत्र के मुख्य वक्ता अध्ययन केंद्र महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के अध्यक्ष प्रोफेसर आरपी द्विवेदी थे. उन्होंने महात्मा गांधी के विचारों के परिप्रेक्ष्य में स्वावलंबी समाज विषय पर अपना संबोधन दिया. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी कहते थे कि प्रकृति में इतने संसाधन उपलब्ध हैं, जिससे व्यक्ति और समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति आराम से हो सकती है.

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