ETV Bharat / state

बीजेपी सरकार कर रही किसानों का शोषण: जयंत चौधरी - जयंत चौधरी

किसान आंदोलन को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने किसान महापंचायत करनी शुरू कर दी हैं. शनिवार को मेरठ के थाना मवाना इलाके के गांव भैंसा में राष्ट्रीय लोक दल ने किसान महापंचायत आयोजित की. पंचायत में रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार में जो भी विरोध करता है. उसके ऊपर मुकदमे दर्ज करने का प्रयास किया जा रहा है. किसान देश की आर्थिक स्तिथि की रीढ़ होता है, लेकिन बीजेपी सरकार उनका शोषण कर रही है.

जयंत चौधरी.
जयंत चौधरी.
author img

By

Published : Feb 28, 2021, 8:32 AM IST

मेरठ: एक ओर जहां कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन लगातार जारी है. वहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायत का दौर शुरू हो गया है. किसान आंदोलन को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने किसान महापंचायत करनी शुरू कर दी हैं. शनिवार को मेरठ के थाना मवाना इलाके के गांव भैंसा में राष्ट्रीय लोक दल ने किसान महापंचायत आयोजित की. पंचायत में रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. जयंत चौधरी ने पंचायत को संबोधित करते हुए न सिर्फ किसी कानूनों पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. पंचायत में पहुंचे जयंत चौधरी ने पश्चिमी यूपी में खोई चौधरी अजित सिंह एवं राष्ट्रीय लोकदल की साख तलाशते नजर आए.

जानकारी देते जयंत चौधरी.

इन दिनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन चल रहा है. किसान आंदोलन के बीच विपक्षी दलों ने आगामी चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने किसान आंदोलन के समर्थन में किसान महा पंचायत करनी शुरू कर दी है. शनिवार को मवाना इलाके भैंसा गांव में राष्ट्रीय लोकदल उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने किसान महापंचायत को संबोधित किया है. अपने संबोधन में जयंत चौधरी ने न सिर्फ मोदी सरकार पर हमला बोला बल्कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी आड़े हाथ लिया है.

जयंत चौधरी ने कहा कि बिना किसी हिंसा के गांधी ने भी आंदोलन किया था. ऐसे में वे भी आंदोलन जीवी थे. बीजेपी सरकार में जो भी विरोध करता है. उसके ऊपर मुकदमे दर्ज करने का प्रयास किया जा रहा है. किसान देश की आर्थिक स्तिथि की रीढ़ होता है और बीजेपी सरकार उनका शोषण कर रही थी. सरकार किसानों को कभी आंदोलन जीवी बता रही है तो कभी खलिस्तानी पाकिस्तानी बता रही है. कृषि कानून बनाने में बीजेपी सरकार की नीयत सही नहीं थी जिसके चलते आपात कालीन स्तिथि में ( कोरोना काल में) काले कानून लागू कर दिए. ताकि संसद में कोई चर्चा न हो पाए. इसी प्रकार राज्यसभा में जबरन ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. जबकि नियमानुसार विपक्ष के कहने पर वोटिंग कराई जाती है.

मोदी के दिल मे सिर्फ अंबानी-अडानी के लिए प्यार उमड़ता है. किसान मजदूर के लिए नहीं धड़कता. इन कानूनों के लागू होने से बड़े काश्तकारों के साथ छोटे किसानों के लिए भी परेशानी आएगी. ऐसे में किसान अपनी पीड़ा अदालत में भी नहीं सुना सकता. उन्होंने कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर अदालत से हस्तक्षेप करने की अपील की है. अगर सरकार की मंशा साफ होती तो ऐसे कानून बनाने के बारे सोचती भी नहीं. किसान पराली या गन्ने की पत्ती फूंकता है तो लाखों रुपये का जुर्माना वसूला जा रहा है.

लगातार बढ़ रही महंगाई
जयंत चौधरी ने कहा कि बीजेपी सरकार में लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है. आये दिन जहां डीजल-पेट्रोल के दामों में आग लगी है वहीं गैस सिलेंडर और बिजली के दाम ने भी किसानों की कमर तोड़ दी है. महंगाई रोकने में नाकाम सरकार किसानों पर कृषि कानूनों का बोझ बढ़ा रही है. इन कानूनों के लागू होने से जहां कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा. वहीं किसान से सस्ते दामों में खरीदी गई फसल को पूंजीपति महंगे दामो में बेचेंगे. जिससे महंगाई बढ़ने की संभावनाए ज्यादा है.

मीडिया से रूबरू होते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि इस वक्त देश का किसान एक जुट है. तीनों कृषि कानूनों को किसान मानने को तैयार नहीं है. इसलिए सरकार को तीनों कानून वापस ले लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि मंडियों में किसानों का शोषण होता है. मंडियों में किसान को न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता है और न ही वाजिब भाव मिलता है जिससे किसान आर्थिक संकट में जा रहे हैं. पश्चिम उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन का सबसे बड़ा क्षेत्र है. यहां रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने कई चीनी मिलें लगवाई थी. जिनका लाभ किसानों को नही मिल रहा है. सरकार द्वारा उसे वंचित रखा जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा था कि 14 दिन में गन्ने का भुगतान कर दिया जाएगा लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो रहा. यदि किसानों का हल नहीं निकाला गया तो किसान पंचायत का दौर लगातार जारी रहेगा. इतना ही नहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कृषि कानून सबसे बड़ा मुद्दा बन सकता है.

इसे भी पढे़ं- हाथरस कांड पर मुख्यमंत्री को चैन से सोने नहीं देंगे: भीम आर्मी चीफ

मेरठ: एक ओर जहां कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन लगातार जारी है. वहीं, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान महापंचायत का दौर शुरू हो गया है. किसान आंदोलन को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने किसान महापंचायत करनी शुरू कर दी हैं. शनिवार को मेरठ के थाना मवाना इलाके के गांव भैंसा में राष्ट्रीय लोक दल ने किसान महापंचायत आयोजित की. पंचायत में रालोद उपाध्यक्ष जयंत चौधरी बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. जयंत चौधरी ने पंचायत को संबोधित करते हुए न सिर्फ किसी कानूनों पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि केंद्र की मोदी सरकार पर भी निशाना साधा. पंचायत में पहुंचे जयंत चौधरी ने पश्चिमी यूपी में खोई चौधरी अजित सिंह एवं राष्ट्रीय लोकदल की साख तलाशते नजर आए.

जानकारी देते जयंत चौधरी.

इन दिनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन चल रहा है. किसान आंदोलन के बीच विपक्षी दलों ने आगामी चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने किसान आंदोलन के समर्थन में किसान महा पंचायत करनी शुरू कर दी है. शनिवार को मवाना इलाके भैंसा गांव में राष्ट्रीय लोकदल उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने किसान महापंचायत को संबोधित किया है. अपने संबोधन में जयंत चौधरी ने न सिर्फ मोदी सरकार पर हमला बोला बल्कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी आड़े हाथ लिया है.

जयंत चौधरी ने कहा कि बिना किसी हिंसा के गांधी ने भी आंदोलन किया था. ऐसे में वे भी आंदोलन जीवी थे. बीजेपी सरकार में जो भी विरोध करता है. उसके ऊपर मुकदमे दर्ज करने का प्रयास किया जा रहा है. किसान देश की आर्थिक स्तिथि की रीढ़ होता है और बीजेपी सरकार उनका शोषण कर रही थी. सरकार किसानों को कभी आंदोलन जीवी बता रही है तो कभी खलिस्तानी पाकिस्तानी बता रही है. कृषि कानून बनाने में बीजेपी सरकार की नीयत सही नहीं थी जिसके चलते आपात कालीन स्तिथि में ( कोरोना काल में) काले कानून लागू कर दिए. ताकि संसद में कोई चर्चा न हो पाए. इसी प्रकार राज्यसभा में जबरन ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. जबकि नियमानुसार विपक्ष के कहने पर वोटिंग कराई जाती है.

मोदी के दिल मे सिर्फ अंबानी-अडानी के लिए प्यार उमड़ता है. किसान मजदूर के लिए नहीं धड़कता. इन कानूनों के लागू होने से बड़े काश्तकारों के साथ छोटे किसानों के लिए भी परेशानी आएगी. ऐसे में किसान अपनी पीड़ा अदालत में भी नहीं सुना सकता. उन्होंने कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर अदालत से हस्तक्षेप करने की अपील की है. अगर सरकार की मंशा साफ होती तो ऐसे कानून बनाने के बारे सोचती भी नहीं. किसान पराली या गन्ने की पत्ती फूंकता है तो लाखों रुपये का जुर्माना वसूला जा रहा है.

लगातार बढ़ रही महंगाई
जयंत चौधरी ने कहा कि बीजेपी सरकार में लगातार महंगाई बढ़ती जा रही है. आये दिन जहां डीजल-पेट्रोल के दामों में आग लगी है वहीं गैस सिलेंडर और बिजली के दाम ने भी किसानों की कमर तोड़ दी है. महंगाई रोकने में नाकाम सरकार किसानों पर कृषि कानूनों का बोझ बढ़ा रही है. इन कानूनों के लागू होने से जहां कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा. वहीं किसान से सस्ते दामों में खरीदी गई फसल को पूंजीपति महंगे दामो में बेचेंगे. जिससे महंगाई बढ़ने की संभावनाए ज्यादा है.

मीडिया से रूबरू होते हुए जयंत चौधरी ने कहा कि इस वक्त देश का किसान एक जुट है. तीनों कृषि कानूनों को किसान मानने को तैयार नहीं है. इसलिए सरकार को तीनों कानून वापस ले लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि मंडियों में किसानों का शोषण होता है. मंडियों में किसान को न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता है और न ही वाजिब भाव मिलता है जिससे किसान आर्थिक संकट में जा रहे हैं. पश्चिम उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन का सबसे बड़ा क्षेत्र है. यहां रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने कई चीनी मिलें लगवाई थी. जिनका लाभ किसानों को नही मिल रहा है. सरकार द्वारा उसे वंचित रखा जा रहा है. पीएम मोदी ने कहा था कि 14 दिन में गन्ने का भुगतान कर दिया जाएगा लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो रहा. यदि किसानों का हल नहीं निकाला गया तो किसान पंचायत का दौर लगातार जारी रहेगा. इतना ही नहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में भी कृषि कानून सबसे बड़ा मुद्दा बन सकता है.

इसे भी पढे़ं- हाथरस कांड पर मुख्यमंत्री को चैन से सोने नहीं देंगे: भीम आर्मी चीफ

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.