मेरठ ः पश्चिमी यूपी का 130 साल पुराना मेरठ कॉलेज खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए नए पाठ्यक्रम को संचालित करने जा रहा है. नए सत्र से स्टूडेंट्स बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन (बीपीईएस) कोर्स कर पाएंगे. स्पोर्ट्स में रुचि रखने वाले छात्र-छात्राएं अब खुद को मेरठ ही निखार पाएंगे, उन्हें अब दूसरे शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा.
मेरठ कॉलेज अब नए सत्र से खिलाड़ियों को स्नातक स्तर पर नए कोर्स की तैयारी करने का अवसर देने जा रहा है. कॉलेज ने बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन (बीपीईएस) कोर्स की शुरूआत करने का निर्णय लिया है. इस कोर्स को लेकर कितनी सीटें रहेंगी इसका निर्णय ले लिया गया है. कॉलेज के प्राचार्य एसएन शर्मा ने बताया कि स्टूडेंट्स को 60 सीटों पर प्रवेश का मौका मिलेगा.
उन्होंने बताया कि विवि की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. कॉलेज के स्टूडेंट्स सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाएं इस पर विशेष फोकस किया जाएगा. इसके अलावा स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हुए अपनी खेल प्रतिभा को बखूबी निखार सकेंगे.
कॉलेज के प्राचार्य ने बताया कि कॉलेज के पास खिलाड़ियों के लिए तमाम सुविधाएं हैं. 400 मीटर का एथलेटिक्स ट्रैक, आउटडोर फुटबॉल मैदान, चार आउटडोर वॉलीबॉल मैदान,एक आउटडोर हॉकी मैदान, दो आउटडोर लॉन टेनिस मैदान, चार आउटडोर कबड्डी मैदान, एक इंडोर तरणताल, चार इंडोर बैडमिंटन कोर्ट, दो टेबिल टेनिस कोर्ट, पैवेलियन सहित दो किक्रेट मैदान, 10 मीटर एयर राइफल एवं एयर पिस्टल शूटिंग रेंज औरमल्टीपर्पज जिम्नेजियम हॉल पहले से ही मेरठ कॉलेज के पास है.
उन्होंने बताया कि इस कॉलेज के पूर्व स्टूडेंट्स ने देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाई है. इनमें क्रिकेटर प्रवीण कुमार, अन्नू रानी, मनु अत्री, प्रियंका गोस्वामी, छवि सहरावत, पारुल चौधरी, किरण सहदेव, किरण बालियान, रूपल चौधरी एवं ख्याति माथुर आदि के नाम शामिल हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मेरठ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसएन शर्मा ने कहा कि कोशिश है कि यहां की प्रतिभाओं को इस कोर्स के जरिए निखारा जाए जिससे स्टूडेंट्स खेलों में भी नाम कमा सकें.
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बता दें कि मेरठ कॉलेज में काफी समय से स्टूडेंट्स बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन (BPES) कोर्स को लेकर मांग उठ रही है. स्टूडेंट्स पढाई के साथ-साथ खेल की तैयारी करने के भी इच्छुक थे. कॉलेज में बीपीईएस का कोई विकल्प न होने की वजह से प्रतिभावान खिलाड़ियों को दूसरे शिक्षण संस्थानों का रुख करना पड़ता था. उन्हें दूसरे शहरों में जाना पड़ता था. यह कोर्स शुरू हो जाने के बाद उन्हें इस समस्या से निजात मिल जाएगी.
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