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हादसे में गंवा दिया था एक पैर अब पैरालंपिक में 'अर्जुन' की तरह निशाना लगाएंगे मेरठ के विवेक चिकारा - गुरुकुल प्रभात आश्रम

एमबीए पास विवेक चिकारा कभी अपनी दुनिया में मस्त थे. एक बड़ी कम्पनी में नौकरी कर रहे थे, लेकिन एक दिन उनकी जिंदगी में ऐसा तूफान आया कि सब कुछ तहस-नहस हो गया. 2016 में हुए एक भीषण सड़क हादसे में उन्होंने अपना एक पैर गंवा दिया. 2017 में वे पूरे साल बिस्तर पर पड़े रहे, लेकिन 2018 से उन्होंने तीरंदाज़ी की जो शुरुआत की तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा, पदकों की झड़ी लग गई और अब विवेक चिकारा चौबीस अगस्त से शुरु हो रहे पैरा ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे.

पैरालंपिक में 'अर्जुन' की तरह निशाना लगाएंगे मेरठ के विवेक चिकारा
पैरालंपिक में 'अर्जुन' की तरह निशाना लगाएंगे मेरठ के विवेक चिकारा
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Published : Aug 19, 2021, 8:44 PM IST

मेरठ: टोक्यो ओलंपिक के बाद अब पैरालंपिक गेम्स को लेकर देशभर के खिलाड़ियों में जबरदस्त उत्साह है. टोक्यो में ही 24 अगस्त से पांच सितंबर तक पैरालंपिक गेम्स का आयोजन होगा. ओलम्पिक की ही तरह पैरालंपिक गेम्स में भी यूपी के खिलाडी़ देश का नाम रोशन करने को बेताब हैं.चौबीस अगस्त से पांच सितम्बर तक टोक्यो में पैरा ओलम्पिक खेल आयोजित होंगे.मेरठ के रहने वाले तीरंदाज विवेक चिकारा पैरा ओलम्पिक में तीरंदाजी स्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. विवेक चिकारा एमबीए ग्रेजुएट हैं. जानिए विवेक चिकारा का पैरा ओलम्पिक तक का सफर.

ओलम्पिक के बाद अब चौबीस अगस्त से टोक्यो में पैरा ओलम्पिक शुरु हो रहा है. पैरालंपिक में भारत के 54 पैरा-एथलीट हिस्सा लेने जा रहे हैं. पीएम मोदी ने इन सभी को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने और देश के लिए ज्यादा से ज्यादा मेडल जीतने की शुभकामनाएं दी. मेरठ के लाल विवेक चिकारा भी कुछ ही दिनों में टोक्यो पहुंच जाएंगे. पैरा ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने टोक्यो जा रहे इस एमबीए पास खिलाड़ी का साहस जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

विवेक चिकारा.
विवेक चिकारा.

आमतौर पर कहा जाता है कि ओलम्पिक पटल तक पहुंचने वाला खिलाड़ी बचपन से ही तैयारी में जुट जाता है, लेकिन आज हम आपको ऐसे खिलाड़ी के बारे मे बताएंगे जो एमबीए ग्रेजुएट है. एमबीए करने के बाद विवेक चिकारा नौकरी कर रहे थे, लेकिन एक दिन उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि उसके जीवन की धारा ही बदल गई. 2016 में हुए एक भीषण हादसे में विवेक को अपना एक पैर गंवाना पड़ा. इस हादसे के बाद विवेक एक साल तक घर में बिस्तर पर ही पड़े रहे. हादसे में पैर गंवाने के हाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 2018 से विवेक ने पैरा तीरंदाज़ी की शुरुआत की. इसके बाद फिर कभी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसे उनकी जिजिविषा ही कहेंगे कि मात्र तीन वर्ष के अंतराल में वो पैरा ओलम्पिक के पटल तक पहुंच गए. विवेक के पिता की आंखें अपने लाड़ले के संघर्ष को बताते बताते आज भी नम हो जाती हैं.

सिवालखास में महपा गांव के रहने वाले विवेक चिकारा ने साल 2017 के अंत में तीरंदाजी की शुरुआत गुरुकुल प्रभात आश्रम से की. यहां पर कुछ समय ट्रेनिंग के बाद वह सत्यकाम इंटरनेशनल एकेडमी में पहुंचे. कोच सत्यदेव प्रसाद के मार्गदर्शन में उन्होंने तीरंदाजी की ट्रेनिंग की. इसके बाद वह नेशनल चैंपियन बने और व‌र्ल्ड रैंकिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर देश का नाम रोशन किया. मार्च 2019 में हुई पैरा तीरंदाजी की नेशनल प्रतियोगिता में नए रिकॉर्ड के साथ नेशनल चैंपियन बन गए. बाद में एशियाई तीरंदाजी चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल उन्होंने अपने नाम किया. नीदरलैंड में हुई पैरा व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक पर निशाना साधते हुए मेरठ के पैरा तीरंदाज विवेक चिकारा ने टोक्यो ओलंपिक का कोटा हासिल कर लिया था. 29 साल के चिकारा से अब देश को उम्मीद है कि वो पैरा ओलम्पिक में अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर निशाना साधेंगे और भारत का तिरंगा टोक्यो में शान से लहराएंगे.कोच सत्यदेव प्रसाद कहते हैं कि उन्हें विवेक पर पूरा भरोसा है कि वो गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचेंगे.

इसे भी पढ़ें- लखनऊ में ओलंपियंस पर पैसों की बरसात, सीएम योगी से सम्मान पाकर उत्साहित दिखे खिलाड़ी

मेरठ: टोक्यो ओलंपिक के बाद अब पैरालंपिक गेम्स को लेकर देशभर के खिलाड़ियों में जबरदस्त उत्साह है. टोक्यो में ही 24 अगस्त से पांच सितंबर तक पैरालंपिक गेम्स का आयोजन होगा. ओलम्पिक की ही तरह पैरालंपिक गेम्स में भी यूपी के खिलाडी़ देश का नाम रोशन करने को बेताब हैं.चौबीस अगस्त से पांच सितम्बर तक टोक्यो में पैरा ओलम्पिक खेल आयोजित होंगे.मेरठ के रहने वाले तीरंदाज विवेक चिकारा पैरा ओलम्पिक में तीरंदाजी स्पर्धा में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. विवेक चिकारा एमबीए ग्रेजुएट हैं. जानिए विवेक चिकारा का पैरा ओलम्पिक तक का सफर.

ओलम्पिक के बाद अब चौबीस अगस्त से टोक्यो में पैरा ओलम्पिक शुरु हो रहा है. पैरालंपिक में भारत के 54 पैरा-एथलीट हिस्सा लेने जा रहे हैं. पीएम मोदी ने इन सभी को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने और देश के लिए ज्यादा से ज्यादा मेडल जीतने की शुभकामनाएं दी. मेरठ के लाल विवेक चिकारा भी कुछ ही दिनों में टोक्यो पहुंच जाएंगे. पैरा ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने टोक्यो जा रहे इस एमबीए पास खिलाड़ी का साहस जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

विवेक चिकारा.
विवेक चिकारा.

आमतौर पर कहा जाता है कि ओलम्पिक पटल तक पहुंचने वाला खिलाड़ी बचपन से ही तैयारी में जुट जाता है, लेकिन आज हम आपको ऐसे खिलाड़ी के बारे मे बताएंगे जो एमबीए ग्रेजुएट है. एमबीए करने के बाद विवेक चिकारा नौकरी कर रहे थे, लेकिन एक दिन उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि उसके जीवन की धारा ही बदल गई. 2016 में हुए एक भीषण हादसे में विवेक को अपना एक पैर गंवाना पड़ा. इस हादसे के बाद विवेक एक साल तक घर में बिस्तर पर ही पड़े रहे. हादसे में पैर गंवाने के हाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 2018 से विवेक ने पैरा तीरंदाज़ी की शुरुआत की. इसके बाद फिर कभी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसे उनकी जिजिविषा ही कहेंगे कि मात्र तीन वर्ष के अंतराल में वो पैरा ओलम्पिक के पटल तक पहुंच गए. विवेक के पिता की आंखें अपने लाड़ले के संघर्ष को बताते बताते आज भी नम हो जाती हैं.

सिवालखास में महपा गांव के रहने वाले विवेक चिकारा ने साल 2017 के अंत में तीरंदाजी की शुरुआत गुरुकुल प्रभात आश्रम से की. यहां पर कुछ समय ट्रेनिंग के बाद वह सत्यकाम इंटरनेशनल एकेडमी में पहुंचे. कोच सत्यदेव प्रसाद के मार्गदर्शन में उन्होंने तीरंदाजी की ट्रेनिंग की. इसके बाद वह नेशनल चैंपियन बने और व‌र्ल्ड रैंकिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर देश का नाम रोशन किया. मार्च 2019 में हुई पैरा तीरंदाजी की नेशनल प्रतियोगिता में नए रिकॉर्ड के साथ नेशनल चैंपियन बन गए. बाद में एशियाई तीरंदाजी चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल उन्होंने अपने नाम किया. नीदरलैंड में हुई पैरा व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक पर निशाना साधते हुए मेरठ के पैरा तीरंदाज विवेक चिकारा ने टोक्यो ओलंपिक का कोटा हासिल कर लिया था. 29 साल के चिकारा से अब देश को उम्मीद है कि वो पैरा ओलम्पिक में अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर निशाना साधेंगे और भारत का तिरंगा टोक्यो में शान से लहराएंगे.कोच सत्यदेव प्रसाद कहते हैं कि उन्हें विवेक पर पूरा भरोसा है कि वो गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचेंगे.

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