मेरठः देश के आम बजट में इस बार पांडव नगरी हस्तिनापुर को राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की बात कही गई है. पहली बार केंद्र सरकार ने हस्तिनापुर के विकास के लिए उसे राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की बात कही है. सरकार के इस फैसले से मेरठ की जनता में खुशी की लहर है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने से न केवल हस्तिनापुर का नाम देश में जाना जाएगा. बल्कि यह विश्व में भी अपनी पहचान बनाएगा. इतिहासकार डॉ. केके शर्मा कहते हैं कि अभी तक हस्तिनापुर की कोई पहचान नहीं थी. पहली बार वर्ष 1950 में हस्तिनापुर में पुरातत्व विभाग ने सर्वे के बाद खुदाई का कार्य शुरू किया, लेकिन कुछ समय बाद इसे रोक दिया गया. उसके बाद से यह कार्य रुका पड़ा है.
इसे भी पढ़ें- मेरठ: रजनीगंधा के फूल किसानों के जीवन में घोल रहे सुगंध
उनका कहना है कि ऐतिहासिक टीला भी अपनी पहचान खोता जा रहा है. 70 साल बाद पहली बार केंद्र सरकार ने हस्तिनापुर पर ध्यान दिया है. इसे राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने से हस्तिनापुर विश्व पटल पर आ जाएगा. डॉ. केके शर्मा का मानना है कि राष्ट्रीय संग्रहालय बनने के बाद दोबारा खुदाई का कार्य होना चाहिए. देश भर से महाभारत कालीन वस्तु को यहां संग्रहालय में रखा जाना चाहिए. ताकि महाभारत के इतिहास को युवा पीढ़ी नजदीक से देख और जान सके.