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पांडव नगरी हस्तिनापुर को मिलेगी नई पहचान, मेरठ में बनेगा राष्ट्रीय संग्रहालय

यूपी के मेरठ जिले में स्थित हस्तिनापुर को बजट में राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की बात कही गई है. लोगों का मानना है कि इससे हस्तिनापुर को नई पहचान मिलेगी. महाभारत कालीन इतिहास के बारे में युवा पीढ़ी आसानी से जान सकेंगे.

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हस्तिनापुर का प्राचीन मंदिर.
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Published : Feb 2, 2020, 5:08 AM IST

मेरठः देश के आम बजट में इस बार पांडव नगरी हस्तिनापुर को राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की बात कही गई है. पहली बार केंद्र सरकार ने हस्तिनापुर के विकास के लिए उसे राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की बात कही है. सरकार के इस फैसले से मेरठ की जनता में खुशी की लहर है.

हस्तिनापुर को राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने पर खुश लोग.

स्थानीय लोगों का कहना है कि राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने से न केवल हस्तिनापुर का नाम देश में जाना जाएगा. बल्कि यह विश्व में भी अपनी पहचान बनाएगा. इतिहासकार डॉ. केके शर्मा कहते हैं कि अभी तक हस्तिनापुर की कोई पहचान नहीं थी. पहली बार वर्ष 1950 में हस्तिनापुर में पुरातत्व विभाग ने सर्वे के बाद खुदाई का कार्य शुरू किया, लेकिन कुछ समय बाद इसे रोक दिया गया. उसके बाद से यह कार्य रुका पड़ा है.

इसे भी पढ़ें- मेरठ: रजनीगंधा के फूल किसानों के जीवन में घोल रहे सुगंध

उनका कहना है कि ऐतिहासिक टीला भी अपनी पहचान खोता जा रहा है. 70 साल बाद पहली बार केंद्र सरकार ने हस्तिनापुर पर ध्यान दिया है. इसे राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने से हस्तिनापुर विश्व पटल पर आ जाएगा. डॉ. केके शर्मा का मानना है कि राष्ट्रीय संग्रहालय बनने के बाद दोबारा खुदाई का कार्य होना चाहिए. देश भर से महाभारत कालीन वस्तु को यहां संग्रहालय में रखा जाना चाहिए. ताकि महाभारत के इतिहास को युवा पीढ़ी नजदीक से देख और जान सके.

मेरठः देश के आम बजट में इस बार पांडव नगरी हस्तिनापुर को राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की बात कही गई है. पहली बार केंद्र सरकार ने हस्तिनापुर के विकास के लिए उसे राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की बात कही है. सरकार के इस फैसले से मेरठ की जनता में खुशी की लहर है.

हस्तिनापुर को राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने पर खुश लोग.

स्थानीय लोगों का कहना है कि राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने से न केवल हस्तिनापुर का नाम देश में जाना जाएगा. बल्कि यह विश्व में भी अपनी पहचान बनाएगा. इतिहासकार डॉ. केके शर्मा कहते हैं कि अभी तक हस्तिनापुर की कोई पहचान नहीं थी. पहली बार वर्ष 1950 में हस्तिनापुर में पुरातत्व विभाग ने सर्वे के बाद खुदाई का कार्य शुरू किया, लेकिन कुछ समय बाद इसे रोक दिया गया. उसके बाद से यह कार्य रुका पड़ा है.

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उनका कहना है कि ऐतिहासिक टीला भी अपनी पहचान खोता जा रहा है. 70 साल बाद पहली बार केंद्र सरकार ने हस्तिनापुर पर ध्यान दिया है. इसे राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने से हस्तिनापुर विश्व पटल पर आ जाएगा. डॉ. केके शर्मा का मानना है कि राष्ट्रीय संग्रहालय बनने के बाद दोबारा खुदाई का कार्य होना चाहिए. देश भर से महाभारत कालीन वस्तु को यहां संग्रहालय में रखा जाना चाहिए. ताकि महाभारत के इतिहास को युवा पीढ़ी नजदीक से देख और जान सके.

Intro:मेरठ: पांडव नगरी हस्तिनापुर को मिलेगी अपनी पहचान


यूपी के मेरठ जिले में स्थित हस्तिनापुर को बजट में राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की बात कहीं गई है। इससे हस्तिनापुर जिसे पांडव नगरी भी कहा जाता है नई पहचान मिलेगी। महाभारत कालीन इतिहास के बारे में युवा पीढ़ी आसानी से जान सकेंगे।

मेरठ। देश के आम बजट में इस बार पांडव नगरी हस्तिनापुर को राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की बात कही गई है। अभी तक हस्तिनापुर की उपेक्षा होती आ रही थी, पहली बार केंद्र सरकार ने हस्तिनापुर के विकास के लिए उसे राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की बात कही है। सरकार के इस फैसले से मेरठ की जनता में खुशी की लहर है।




Body:हस्तिनापुर को राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने से न केवल हस्तिनापुर का नाम देश में जाना जाएगा बल्कि यह विश्व में भी अपनी पहचान बनाएगा। इतिहासकार डॉ केके शर्मा कहना है कि अभी तक हस्तिनापुर की कोई पहचान नहीं थी। पहली बार वर्ष 1950 में हस्तिनापुर में कुछ स्थानों पर पुरातत्व विभाग ने सर्वे के बाद खुदाई का कार्य शुरू किया लेकिन कुछ समय बाद इसे रोक दे गया। उसके बाद से यह कार्य रुका पड़ा है लोगों ने वहां ऐतिहासिक धरोहरों का कब्जा करना शुरू कर दिया। ऐतिहासिक टीला भी अपनी पहचान खोता जा रहा है। 70 साल बाद पहली बार केंद्र सरकार ने हस्तिनापुर पर ध्यान दिया है, इसे राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने से हस्तिनापुर विश्व पटल पर आ जाएगा। राष्ट्रीय संग्रहालय बनने के बाद दोबारा खुदाई का कार्य होना चाहिए। देश भर से महाभारत कालीन वस्तु को यहां संग्रहालय में रखा जाना चाहिए ताकि महाभारत के इतिहास को युवा पीढ़ी नजदीक से देख और जान सके।




Conclusion:समाजसेवी शैलेंद्र कुमार का कहना है कि गौरव का विषय है कि केंद्र सरकार ने हस्तिनापुर को उसकी पहचान वापस लौटाने के लिए उसे राष्ट्रीय संग्रहालय बनाए जाने की बात कही। सरकार के इस कदम से हस्तिनापुर को विश्व में पहचान मिलेगी।

बाइट- शैलेंद्र कुमार, समाजसेवी
बाइट- डॉ कृष्ण कुमार, शिक्षक
बाइट- राकेश सोम, शिक्षक

अजय चौहान
9897799794
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