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प्रसिद्ध कार्तिक पूर्णिमा मेले में पशुओं की आवाजाही पर प्रतिबंध, जानें वजह... - पशु चालित प्रतिबंधित प्रसिद्ध कार्तिक मेले

लंपी वायरस के कारण इस बार कार्तिक पूर्णिमा मेले में पशुओं की आवाजाही को प्रतिबंधित किया गया है. जिलाधिकारी दीपक मीणा ने पशु व्यापारियों से अपील की गई है, कि वह पशुओं को मेले में न लाए.

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लंपी वायरस
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Published : Oct 28, 2022, 10:35 AM IST

मेरठ: कार्तिक पूर्णिमा की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई है. जनपद के कस्बे से लेकर शहर तक बड़ा मेला लगता है. इतना ही नहीं मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. ऐसे में लंपी वायरस के चलते इस बार पशु चालित प्रसिद्ध कार्तिक मेले को लेकर लाखों लोगों को झटका लगा है, क्योंकि हापुड़ जिले के गंगा खादर में लगने वाले भव्य मेले में पशुओं की आवाजाही को प्रतिबंधित किया गया है.

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कार्तिक पूर्णिमा मेले में पशुओं की आवाजाही पर प्रतिबंध

दरअसल, गढमुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा मेले (kartik purnima fair) के अवसर पर जिलाधिकारी हापुड द्वारा भेजे गए पत्र के क्रम में सार्वजनिक सूचना और अपील के संबंध में जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि प्रदेश में हापुड सहित अन्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अन्य सभी सीमावर्ती जनपदो में गौवंशीय और भैंसवंशीय पशुओं में घातक वायरल बीमारी लंपी स्किन डिजीज का प्रकोप फैला हुआ है. इस बीमारी में पशुओं की त्वचा पर गांठनुमा फफोले और घांव हो जाते है. पशु को तेज बुखार बना रहता है, ग्याभिन पशुओं में गर्भपात हो जाता है और पशु बांझपन के शिकार हो जाते हैं. जबकि दुधारू पशुओं का दुध लगभग समाप्त हो जाता है. यह बीमारी को पूर्ण रूप से ठीक होने में 3 से 4 माह का समय लगता है. इसी के चलते मेले में किसी भी प्रकार की पशु प्रदर्शनी का आयोजन करने पर पाबंधी लगाई गई है.

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कार्तिक पूर्णिमा मेले में पशुओं की आवाजाही पर प्रतिबंध

जिलाधिकारी दीपक मीणा ने पशु व्यापारियों से अपील की गई है, कि वह पशुओं को मेले में न लाए. ताकि इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. बता दें कि, 29 अक्टूबर से हापुड़ जनपद के गढमुक्तेश्वर के खादर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा के किनारे राजकीय स्नान मेले का आयोजन किया जाना है.

यह भी पढ़ें- गंगा मेले में भैंसा बोगी पर रोक को नरेश टिकैत ने बताया गलत, बोले- प्राचीन संस्कृति के साथ छेड़छाड़

मेरठ: कार्तिक पूर्णिमा की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई है. जनपद के कस्बे से लेकर शहर तक बड़ा मेला लगता है. इतना ही नहीं मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. ऐसे में लंपी वायरस के चलते इस बार पशु चालित प्रसिद्ध कार्तिक मेले को लेकर लाखों लोगों को झटका लगा है, क्योंकि हापुड़ जिले के गंगा खादर में लगने वाले भव्य मेले में पशुओं की आवाजाही को प्रतिबंधित किया गया है.

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कार्तिक पूर्णिमा मेले में पशुओं की आवाजाही पर प्रतिबंध

दरअसल, गढमुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा मेले (kartik purnima fair) के अवसर पर जिलाधिकारी हापुड द्वारा भेजे गए पत्र के क्रम में सार्वजनिक सूचना और अपील के संबंध में जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि प्रदेश में हापुड सहित अन्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अन्य सभी सीमावर्ती जनपदो में गौवंशीय और भैंसवंशीय पशुओं में घातक वायरल बीमारी लंपी स्किन डिजीज का प्रकोप फैला हुआ है. इस बीमारी में पशुओं की त्वचा पर गांठनुमा फफोले और घांव हो जाते है. पशु को तेज बुखार बना रहता है, ग्याभिन पशुओं में गर्भपात हो जाता है और पशु बांझपन के शिकार हो जाते हैं. जबकि दुधारू पशुओं का दुध लगभग समाप्त हो जाता है. यह बीमारी को पूर्ण रूप से ठीक होने में 3 से 4 माह का समय लगता है. इसी के चलते मेले में किसी भी प्रकार की पशु प्रदर्शनी का आयोजन करने पर पाबंधी लगाई गई है.

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कार्तिक पूर्णिमा मेले में पशुओं की आवाजाही पर प्रतिबंध

जिलाधिकारी दीपक मीणा ने पशु व्यापारियों से अपील की गई है, कि वह पशुओं को मेले में न लाए. ताकि इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. बता दें कि, 29 अक्टूबर से हापुड़ जनपद के गढमुक्तेश्वर के खादर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा के किनारे राजकीय स्नान मेले का आयोजन किया जाना है.

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