मेरठ : अफगानिस्तन में हालत बेहद ही खराब हैं. वहां हर पल लोग डर के साए में जी रहे हैं. वहीं मेरठ के सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले एक अफगानी छात्र ने भी भारत सरकार से गुहार लगाई है. छात्र की गुहार है कि उसे हिंदुस्तान में शरणार्थी के तौर पर रहने दिया जाए. क्योंकि उसे अपने वतन अफगानिस्तान लौटने में डर लग रहा है.
'अफगानिस्तान में जिंदगी का खतरा'
मेरठ के सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय में एमएससी एनिमल हस्बेंडरी कर रहे एक छात्र का कहना है कि पंद्रह दिन के भीतर उसका कोर्स पूरा हो रहा है. ऐसे में वो ये समझ नहीं पा रहा है कि कोर्स की समाप्ति के बाद वो कहां जाएगा. क्योंकि वो अपने वतन अफगानिस्तान लौटना नहीं चाहता. छात्र का कहना है कि उसका स्टूडेंट वीजा खत्म होने में चार महीने का वक्त बचा है. अफगानी छात्र का कहना है कि अफगानिस्तान में इंटरनेशनल कम्युनिकेशन ब्लॉक है. वहां आजादी नहीं है. अंग्रेजी में अपनी बात रखते हुए, उक्त छात्र ने बताया कि 'they will kill me' (वे मुझे मार डालेंगे).
छात्र का कहना है कि अगर वो अफगानिस्तान जाएगा तो उससे ये भी पूछा जा सकता है कि पढ़ने के लिए इंडिया क्यों गए. छात्र का कहना है कि वो खुद को इंडिया में ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहा है. छात्र का कहना है कि उसकी जिन्दगी के लिए अच्छा है कि वो यहीं रहे. सरकार से गुहार लगाते हुए बार-बार छात्र यही कहते हुए नजर आया कि उसे इंडिया में ही रेफ्यूजी के तौर पर रहने दिया जाए. छात्र ने प्रधानमंत्री मोदी से गुहार लगाते हुए कहा- 'वो पीएम नरेन्द्र मोदी सर से रिक्वेस्ट करते हैं कि उन्हें यहीं पर रहने दिया जाए'.
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इससे पहले मेरठ में सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे अफगानिस्तान के छात्रों ने विवि के रजिस्ट्रार से मुलाकात की थी. परिजनों की ओर से बताए गए अफगानिस्तान के हालात को भी छात्रों ने बताया था. छात्रों ने गुहार लगाई कि उनके परिवार के सदस्यों को भी भारत लाया जाए. क्योंकि कई दिन से परिवार के सदस्यों से बात नहीं हो सकी है. कृषि विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल हॉस्टल में रह रहे अफगानिस्तान के एमएससी के छात्र टीवी बाजोरी, एत्तेहाद, नजीब उल्ला, खेयररुद्दीन और पीएचडी कर रहे अलीचीना ने रजिस्ट्रार से मुलाकात की थी. छात्रों ने कहा था कि वहां पर हालात बहुत खराब हैं. तालिबानी वहां पर बहुत अत्याचार कर रहे हैं. परिवार के सदस्यों से अब उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है.