मेरठ : मलियाना में रहने वाले याकूब अली सिद्दिकी 35 साल से इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं. 31 मार्च को जब कोर्ट ने 41 आरोपियों को बरी किया तब भी दोनों पक्षों ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी. याकूब ने कहा कि इंसाफ की लड़ाई में अभी तक अभी तक उन्हें कामयाबी हासिल नहीं हुई है. याकूब ऊपरी अदालतों में इस कानूनी जंग को जारी रखने का ऐलान कर चुके हैं. याकूब ने मलियाना हिंसा में कैलाश भारती को मुख्य आरोपी बनाया था. कोर्ट ने 40 आरोपियों के साथ कैलाश भारती को भी बरी कर दिया है. याकूब को केस हारने का मलाल है, मगर कैलाश के लिए उनके मन में तल्खी नहीं है. याकूब अली सिद्दिकी ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि तल्खी न पहले थी और न अभी है. कचहरी में वह (हिंदू समुदाय)अपने वकील के पास जाते हैं. हम अपने वकीलों के पास जाते हैं. यह बात पूरी तरह से ईमानदारी भरी है. हमारा किसी से कोई झगड़ा नहीं है.
मलियाना के कैलाश भारती 35 साल तक अपने खिलाफ लगे मुकदमे के लिए कोर्ट का चक्कर काटते रहे. ईटीवी भारत से बातचीत में कैलाश भारती ने बताया कि याकूब ने मुकदमें में उन्हें हिंसा का मुख्य आरोपी बनाया था, मगर अब उनके मन में भी याकूब के लिए किसी तरह की तल्खी है. कैलाश कुछ शादी के कार्ड भी दिखाते हैं. ये सारे कार्ड मुस्लिम समुदाय की ओर मिला आमंत्रण है. कैलाश बताते हैं कि मलियाना में हम एक दूसरे के यहां सुख-दुख में एक साथ खड़े होते हैं. कोई भी फंक्शन होता है तो आते-जाते भी हैं. जब भी कहीं मिलते हैं तो एक दूसरे से दुआ सलाम होती है. वह भी हमारा हाल-चाल पूछते हैं, मैं भी उनसे खैरियत पूछता हूं.
मलियाना हिंसा के मुख्य आरोपी रहे कैलाश भारती कोर्ट से बरी होने के बाद राहत महसूस कर रहे हैं. उनका दावा है कि आज उनके मन में ऐसी भावना नहीं हैं कि याकूब सिद्दकी ने उन्हें 35-36 साल तक फंसा रखा था. कैलाश कहते है कि याकूब ने मुकदमा लिखाया. उसमें उनकी क्या मजबूरी या लाचारी थी, उसके बारे में वह कुछ नहीं जानते. फिलहाल उनके दिमाग में कोई फितूर नहीं है कि याकूब ने उन्हें फंसाया है. वह बताते हैं कि दंगे के बाद याकूब भाई की बहन बीमार थीं. कर्फ्यू लगा था. तब भी उन्होंने भरसक मदद की थी.
फिलहाल कोर्ट से मलियाना हिंसा के 41 आरोपियों के बरी होने के बाद गांव के लोग खामोश हैं. वह इस पर ज्यादा बात नहीं करना चाहते हैं. ईटीवी भारत ने दोनों समुदाय के लोगों से बात की, वे 35 साल पुराने जख्म को हरा करना नहीं चाहते हैं. हालांकि याकूब सिद्दिकी कहते हैं कि हम तो सरकार से सिर्फ इतना चाहते हैं कि यह जो हिंसा हुई थी, इसमें इंसाफ दिलाने में मदद करें.
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