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मऊ : सरयू की कहर से गांव को बचाने के लिए डीएम की चौखट पहुंचे ग्रामीण

मऊ के मधुबन में सरयू की कटान से आधा पिंड बलिया गांव नदी में समा चुका है. प्रशासन ने कटान रोकने के लिए अभी तक कोई प्रबंध नहीं किया है. वहीं फूलन सेना के बैनर तले ग्रामीण जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे. उन्होंने एक हफ्ते के अंदर मांगें पूरी न होने पर कलेक्ट्रेट में ही डेरा डालने की धमकी दी.

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डीएम की चौखट पहुंचे ग्रामीण.
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Published : Oct 13, 2020, 7:20 AM IST

मऊ : जिले के मधुबन तहसील के देवरांचल क्षेत्र में सरयू नदी का कटान जारी है. नदी के आगोश में आधा बिंद टोलिया गांव समाहित हो चुका है. वहीं प्रशासन के द्वारा कटान रोकने के लिए कोई प्रबंधन नहीं किया जा रहा है. जिसको लेकर फूलन सेना के बैनर तले ग्रामीण जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से कटान रोकने के लिए कदम उठाने की गुहार लगाई. साथ ही लोगों ने चेतावनी भी दी कि अगर एक सप्ताह में कोई कार्यवाही नहीं होती है, तो कलेक्ट्रेट परिसर में ही ग्रामीण अपना डेरा लगाएंगे.

'नदी में समाहित हो रही आबादी, प्रशासन बना अंधा'

फूलन सेना के अध्यक्ष गोपाल निषाद ने बताया कि दो वर्ष से बिंद टोलिया गांव में कटान हो रही है. सैकड़ों बीघे खेत नदी में बह गए हैं. अब आबादी क्षेत्र में तेजी से कटान हो रही है. दर्जनों घर नदी में बह गए हैं. गांव को बचाने के लिए पक्के ठोकर और बांध निर्माण के लिए गांव वाले एक वर्ष से अनशन, धरना-प्रदर्शन कर रहें हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं है. हालात यह है कि इस वर्ष कटान रोकने के लिए 4.5 करोड़ रुपए भी आवंटित हुए थे. इस पैसे को सिंचाई विभाग सहित जिले के बड़े अधिकारी और नेता बंदरबांट कर खा गए.

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डीएम की चौखट पहुंचे ग्रामीण.

एक हफ्ते में आवास न मिलने पर कलेक्ट्रेट में डेरा डालने की धमकी

कटान रोकने के लिए एक नदी की नाममात्र की सफाई हुई. वह भी जस की तस हो गई. अब गांव नदी के आगोश में समाहित हो रहा है. जिनका घर बह गया है, वह स्कूल में बने कैम्प में रह रहे हैं. ग्रामीणों की मांग है कि जिला प्रशासन तत्काल इन लोगों को आवास की सुविधा दे और बांध बनाने के लिए शासन से सिफारिश करे. अगर कोई कार्यवाही नहीं होती है, तो एक सप्ताह बाद गांव के लोग कलेक्ट्रेट परिसर में ही डेरा डालेंगे.

मऊ : जिले के मधुबन तहसील के देवरांचल क्षेत्र में सरयू नदी का कटान जारी है. नदी के आगोश में आधा बिंद टोलिया गांव समाहित हो चुका है. वहीं प्रशासन के द्वारा कटान रोकने के लिए कोई प्रबंधन नहीं किया जा रहा है. जिसको लेकर फूलन सेना के बैनर तले ग्रामीण जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से कटान रोकने के लिए कदम उठाने की गुहार लगाई. साथ ही लोगों ने चेतावनी भी दी कि अगर एक सप्ताह में कोई कार्यवाही नहीं होती है, तो कलेक्ट्रेट परिसर में ही ग्रामीण अपना डेरा लगाएंगे.

'नदी में समाहित हो रही आबादी, प्रशासन बना अंधा'

फूलन सेना के अध्यक्ष गोपाल निषाद ने बताया कि दो वर्ष से बिंद टोलिया गांव में कटान हो रही है. सैकड़ों बीघे खेत नदी में बह गए हैं. अब आबादी क्षेत्र में तेजी से कटान हो रही है. दर्जनों घर नदी में बह गए हैं. गांव को बचाने के लिए पक्के ठोकर और बांध निर्माण के लिए गांव वाले एक वर्ष से अनशन, धरना-प्रदर्शन कर रहें हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं है. हालात यह है कि इस वर्ष कटान रोकने के लिए 4.5 करोड़ रुपए भी आवंटित हुए थे. इस पैसे को सिंचाई विभाग सहित जिले के बड़े अधिकारी और नेता बंदरबांट कर खा गए.

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डीएम की चौखट पहुंचे ग्रामीण.

एक हफ्ते में आवास न मिलने पर कलेक्ट्रेट में डेरा डालने की धमकी

कटान रोकने के लिए एक नदी की नाममात्र की सफाई हुई. वह भी जस की तस हो गई. अब गांव नदी के आगोश में समाहित हो रहा है. जिनका घर बह गया है, वह स्कूल में बने कैम्प में रह रहे हैं. ग्रामीणों की मांग है कि जिला प्रशासन तत्काल इन लोगों को आवास की सुविधा दे और बांध बनाने के लिए शासन से सिफारिश करे. अगर कोई कार्यवाही नहीं होती है, तो एक सप्ताह बाद गांव के लोग कलेक्ट्रेट परिसर में ही डेरा डालेंगे.

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