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शिक्षिक का प्रयास लाया रंग, सरकारी स्कूल में बढ़ी बच्चों की संख्या - सरकारी स्कूल की बदली सूरत

मऊ जिले के पिछड़े क्षेत्र में स्थित फतेहपुर मण्डाव विकास खण्ड के ढढवल उच्च प्राथमिक विद्यालय की हालत पहले से बेहतर हुई है. शिक्षकों के प्रयास ने विद्यालय में पठन पाठन व विद्यालय का कायाकल्प कर दिया है. जिसके कारण अब निजी स्कूलों के बच्चे भी इस विद्यालय में नामांकन करा रहे हैं.

शिक्षिक ने बदली विद्यालय की सूरत
शिक्षिक ने बदली विद्यालय की सूरत
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Published : Oct 2, 2020, 5:08 PM IST

मऊ: कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने की इच्छा शक्ति हो और उसे कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता. इस बात को सार्थक कर दिखाया जनपद के पिछड़े क्षेत्र में स्थित फतेहपुर मण्डाव विकास खण्ड के उच्च प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका मिनाक्षी सिंह ने. अति पिछड़े क्षेत्र में स्थित ढढवल उच्च प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर इन दिनों बदली नजर आ रही है. यहां शिक्षकों के प्रयास से ना केवल विद्यालय की सूरत बदली है बल्कि विद्यालय में पठन पाठन का माहौल बना है. जिससे विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति पहले से बेहतर हुई है.

शिक्षिक ने बदली विद्यालय की सूरत
निजी स्कूल के बच्चे भी कराने लगे नामांकनमऊ जनपद की रहने वाली शिक्षिका मिनाक्षी सिंह का कहना है कि 2015 में जब उनकी नियुक्ति ढढवल उच्च प्राथमिक विद्यालय में हुई थी, तब स्कूल की हालत बद से बदतर थी. बैठने के लिए ना तो फर्श था, ना शौचालय और ना ही बाउंड्रीवॉल था. जिसके कारण अभिभावक बच्चों को यहां पढ़ने के लिए भेजने से कतराते थे, लेकिन मिनाक्षी सिंह और सहयोगी शिक्षकों के प्रयास से स्थिति पहले से बेहतर हुई है. निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी अब इस सरकारी विद्यालय में अपने नामांकन कराते हैं.विद्यालय की बदली तस्वीरमिनाक्षी बताती हैं कि उनके लिए सबसे बड़ा चैलेंज था विद्यालय में शैक्षणिक माहौल बनाना और परिजनों को यह विश्वास दिलाना था कि यहां अब यहां पढ़ाई का माहौल बेहतर होगा, बच्चों को स्कूल भेजिए. यही वजह है कि शुरुआती दौर में ही ऐसे बच्चे स्कूल आना शुरु किए जो पहले कभी स्कूल जाते ही नहीं थे. शिक्षिका बताती हैं कि सरकारी और खुद के आर्थिक सहयोग से सभी शिक्षकों ने मिलकर विद्यालय में पठन पाठन से संबंधित सभी संसाधन उपलब्ध कराए. अब स्कूल के बच्चे जिले और प्रदेश स्तर की प्रतियोगिता में भाग भी लेने हैं. जिस कारण निजी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के साथ साथ दूसरे गांव के बच्चे भी यहां आने लगे और विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति पहले से ज्यादा हुई है.
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खेल खेल में होती है पढ़ाई
विद्यालय की सबसे खास बात यह है कि यहां बच्चों को पारंपरिक रटन्त पद्धति से न पढ़ाकर खेल खेल में मौज मस्ती के साथ पढ़ाया जाता है. इसके लिए पाठ्यक्रम से सम्बंधित हैंडमेड टीएलएम स्कूल में बनाया जाता है . जिसमे बच्चे बड़ी लगन से सहभागी होते हैं और खेल खेल में संगीत और कहानी के माध्यम से सभी विषयों को सीखते और पढ़ते हैं.

यहां बच्चों को खेल कूद व मनोरंजन के साथ पढ़ाया जाता है जिससे बच्चों का पढ़ाई में इंटरेस्ट बना रहे. कोशिश की जाती है कि बच्चों को कहानी के माध्यम से हर सब्जेक्ट पढ़ाया जाए जिससे बच्चों को समझ में ज्यादा आए.

-मिनाक्षी सिंह, शिक्षिका


राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर सम्मानित हो चुके के शिक्षक और छात्र
उच्च प्राथमिक विद्यालय ढढवल कुछ वर्ष पहले अपनी बदहाली के लिए जाना जाता था, लेकिन अब उसकी पहचान जिले के अग्रणी स्कूलों में हो गई है. शिक्षिका मिनाक्षी सिंह और इनके सहयोगियों का मेहनत रंग लाने लगी है. यहां के छात्र राष्ट्रीय बाल आविष्कार प्रतियोगिता में भाग लेते हैं तो वहीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस, उत्तर प्रदेश में अपनी धमक दर्ज कर चुके हैं. विद्यालय के शिक्षक और छात्र दोनों बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में अपने प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत हो चुके हैं.

कोरोना के दौरान घर घर जाकर पढ़ाते हैं शिक्षक
बता दें कि कोरोना जैसी इस विपरीत परिस्थितियों मे सभी शैक्षणिक संस्थान बन्द हैं. बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है लेकिन परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे संसाधन के अभाव में ऑनलाइन शिक्षा से दूर हैं, लेकिन उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के प्रयास के चलते बच्चों की पढ़ाई रुकी नहीं है. स्कूल वे शिक्षक गांव में जाकर पांच पांच की संख्या में बच्चों की क्लास लगाकर काम देते हैं. इसके ही पाठ्यक्रम से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी देते हैं.

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घर घर जाकर पढ़ा रहे शिक्षक

कोरोना काल मे बच्चों का स्कूल आना तो सख्त मना है. व्हॉट्सएप के जरिए ऑनलाइन क्लास चल रही है. ऐसे में जिन बच्चों को समझ मे नही आता है वह सुबह 9 से 10 के बीच स्कूल में आकर अपनी समस्या का समाधान कर लेते हैं. वहीं गांव में जाकर हम लोग बच्चों को पढ़ाई के प्रति जागरूक करते रहते हैं.

-रामकरण, शिक्षक

मऊ: कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने की इच्छा शक्ति हो और उसे कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता. इस बात को सार्थक कर दिखाया जनपद के पिछड़े क्षेत्र में स्थित फतेहपुर मण्डाव विकास खण्ड के उच्च प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका मिनाक्षी सिंह ने. अति पिछड़े क्षेत्र में स्थित ढढवल उच्च प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर इन दिनों बदली नजर आ रही है. यहां शिक्षकों के प्रयास से ना केवल विद्यालय की सूरत बदली है बल्कि विद्यालय में पठन पाठन का माहौल बना है. जिससे विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति पहले से बेहतर हुई है.

शिक्षिक ने बदली विद्यालय की सूरत
निजी स्कूल के बच्चे भी कराने लगे नामांकनमऊ जनपद की रहने वाली शिक्षिका मिनाक्षी सिंह का कहना है कि 2015 में जब उनकी नियुक्ति ढढवल उच्च प्राथमिक विद्यालय में हुई थी, तब स्कूल की हालत बद से बदतर थी. बैठने के लिए ना तो फर्श था, ना शौचालय और ना ही बाउंड्रीवॉल था. जिसके कारण अभिभावक बच्चों को यहां पढ़ने के लिए भेजने से कतराते थे, लेकिन मिनाक्षी सिंह और सहयोगी शिक्षकों के प्रयास से स्थिति पहले से बेहतर हुई है. निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी अब इस सरकारी विद्यालय में अपने नामांकन कराते हैं.विद्यालय की बदली तस्वीरमिनाक्षी बताती हैं कि उनके लिए सबसे बड़ा चैलेंज था विद्यालय में शैक्षणिक माहौल बनाना और परिजनों को यह विश्वास दिलाना था कि यहां अब यहां पढ़ाई का माहौल बेहतर होगा, बच्चों को स्कूल भेजिए. यही वजह है कि शुरुआती दौर में ही ऐसे बच्चे स्कूल आना शुरु किए जो पहले कभी स्कूल जाते ही नहीं थे. शिक्षिका बताती हैं कि सरकारी और खुद के आर्थिक सहयोग से सभी शिक्षकों ने मिलकर विद्यालय में पठन पाठन से संबंधित सभी संसाधन उपलब्ध कराए. अब स्कूल के बच्चे जिले और प्रदेश स्तर की प्रतियोगिता में भाग भी लेने हैं. जिस कारण निजी विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के साथ साथ दूसरे गांव के बच्चे भी यहां आने लगे और विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति पहले से ज्यादा हुई है.
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खेल खेल में होती है पढ़ाई
विद्यालय की सबसे खास बात यह है कि यहां बच्चों को पारंपरिक रटन्त पद्धति से न पढ़ाकर खेल खेल में मौज मस्ती के साथ पढ़ाया जाता है. इसके लिए पाठ्यक्रम से सम्बंधित हैंडमेड टीएलएम स्कूल में बनाया जाता है . जिसमे बच्चे बड़ी लगन से सहभागी होते हैं और खेल खेल में संगीत और कहानी के माध्यम से सभी विषयों को सीखते और पढ़ते हैं.

यहां बच्चों को खेल कूद व मनोरंजन के साथ पढ़ाया जाता है जिससे बच्चों का पढ़ाई में इंटरेस्ट बना रहे. कोशिश की जाती है कि बच्चों को कहानी के माध्यम से हर सब्जेक्ट पढ़ाया जाए जिससे बच्चों को समझ में ज्यादा आए.

-मिनाक्षी सिंह, शिक्षिका


राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर सम्मानित हो चुके के शिक्षक और छात्र
उच्च प्राथमिक विद्यालय ढढवल कुछ वर्ष पहले अपनी बदहाली के लिए जाना जाता था, लेकिन अब उसकी पहचान जिले के अग्रणी स्कूलों में हो गई है. शिक्षिका मिनाक्षी सिंह और इनके सहयोगियों का मेहनत रंग लाने लगी है. यहां के छात्र राष्ट्रीय बाल आविष्कार प्रतियोगिता में भाग लेते हैं तो वहीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस, उत्तर प्रदेश में अपनी धमक दर्ज कर चुके हैं. विद्यालय के शिक्षक और छात्र दोनों बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में अपने प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत हो चुके हैं.

कोरोना के दौरान घर घर जाकर पढ़ाते हैं शिक्षक
बता दें कि कोरोना जैसी इस विपरीत परिस्थितियों मे सभी शैक्षणिक संस्थान बन्द हैं. बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है लेकिन परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे संसाधन के अभाव में ऑनलाइन शिक्षा से दूर हैं, लेकिन उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के प्रयास के चलते बच्चों की पढ़ाई रुकी नहीं है. स्कूल वे शिक्षक गांव में जाकर पांच पांच की संख्या में बच्चों की क्लास लगाकर काम देते हैं. इसके ही पाठ्यक्रम से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी देते हैं.

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घर घर जाकर पढ़ा रहे शिक्षक

कोरोना काल मे बच्चों का स्कूल आना तो सख्त मना है. व्हॉट्सएप के जरिए ऑनलाइन क्लास चल रही है. ऐसे में जिन बच्चों को समझ मे नही आता है वह सुबह 9 से 10 के बीच स्कूल में आकर अपनी समस्या का समाधान कर लेते हैं. वहीं गांव में जाकर हम लोग बच्चों को पढ़ाई के प्रति जागरूक करते रहते हैं.

-रामकरण, शिक्षक

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