मऊ: कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने की इच्छा शक्ति हो और उसे कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता. इस बात को सार्थक कर दिखाया जनपद के पिछड़े क्षेत्र में स्थित फतेहपुर मण्डाव विकास खण्ड के उच्च प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका मिनाक्षी सिंह ने. अति पिछड़े क्षेत्र में स्थित ढढवल उच्च प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर इन दिनों बदली नजर आ रही है. यहां शिक्षकों के प्रयास से ना केवल विद्यालय की सूरत बदली है बल्कि विद्यालय में पठन पाठन का माहौल बना है. जिससे विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति पहले से बेहतर हुई है.
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यहां बच्चों को खेल कूद व मनोरंजन के साथ पढ़ाया जाता है जिससे बच्चों का पढ़ाई में इंटरेस्ट बना रहे. कोशिश की जाती है कि बच्चों को कहानी के माध्यम से हर सब्जेक्ट पढ़ाया जाए जिससे बच्चों को समझ में ज्यादा आए.
-मिनाक्षी सिंह, शिक्षिका
राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर सम्मानित हो चुके के शिक्षक और छात्र
उच्च प्राथमिक विद्यालय ढढवल कुछ वर्ष पहले अपनी बदहाली के लिए जाना जाता था, लेकिन अब उसकी पहचान जिले के अग्रणी स्कूलों में हो गई है. शिक्षिका मिनाक्षी सिंह और इनके सहयोगियों का मेहनत रंग लाने लगी है. यहां के छात्र राष्ट्रीय बाल आविष्कार प्रतियोगिता में भाग लेते हैं तो वहीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस, उत्तर प्रदेश में अपनी धमक दर्ज कर चुके हैं. विद्यालय के शिक्षक और छात्र दोनों बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों में अपने प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत हो चुके हैं.
कोरोना के दौरान घर घर जाकर पढ़ाते हैं शिक्षक
बता दें कि कोरोना जैसी इस विपरीत परिस्थितियों मे सभी शैक्षणिक संस्थान बन्द हैं. बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है लेकिन परिषदीय स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे संसाधन के अभाव में ऑनलाइन शिक्षा से दूर हैं, लेकिन उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के प्रयास के चलते बच्चों की पढ़ाई रुकी नहीं है. स्कूल वे शिक्षक गांव में जाकर पांच पांच की संख्या में बच्चों की क्लास लगाकर काम देते हैं. इसके ही पाठ्यक्रम से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की जानकारी देते हैं.
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कोरोना काल मे बच्चों का स्कूल आना तो सख्त मना है. व्हॉट्सएप के जरिए ऑनलाइन क्लास चल रही है. ऐसे में जिन बच्चों को समझ मे नही आता है वह सुबह 9 से 10 के बीच स्कूल में आकर अपनी समस्या का समाधान कर लेते हैं. वहीं गांव में जाकर हम लोग बच्चों को पढ़ाई के प्रति जागरूक करते रहते हैं.
-रामकरण, शिक्षक