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मऊ में घर-घर खोजे जाएंगे टीबी के मरीज

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान (एक्टिव केस फ़ाइंडिंग) की तैयारी स्वास्थ्य विभाग ने कर ली है. 11 नवंबर तक स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर टीबी मरीजों की स्क्रीनिंग करेगी. लक्ष्ण दिखाई देने पर मरीज को जिला अस्पताल में स्थापित ड्रग रेजिस्टेंस (डीआर) टीबी सेन्टर में भर्ती कर इलाज शुरू किया जाएगा.

क्षय रोगी खोज अभियान की जानकारी देते मुख्य चिकित्साधिकारी.
क्षय रोगी खोज अभियान की जानकारी देते मुख्य चिकित्साधिकारी.
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Published : Nov 1, 2020, 10:57 AM IST

मऊः राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यकम के तहत क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है. इसके मद्देनजर जिले में सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान (एक्टिव केस फ़ाइंडिंग) चलाने की स्वास्थ्य विभाग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. दस दिन तक चलने वाले इस अभियान में व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की जाएगी, जिसमें लक्षण मिलने पर बलगम की जांच कराई जाएगी. सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान की शुरुआत दो नवंबर से होकर 11 नवंबर तक चलेगा.

टीबी के मरीजों का मुफ्त में किया जाता है इलाज
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एससी सिंह ने बताया कि जिले में 01 अप्रैल 2018 से संचालित निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान खाते में हर माह 500 रुपये पौष्टिक आहार के लिए दिये जाते हैं. मरीज की सुविधा के लिए उनके निवास के नजदीक ही डॉट्स केंद्र बनाये गए हैं. जिन रोगियों में टीबी के संभावित लक्षण पाए जाते हैं उनको जिला अस्पताल में स्थापित ड्रग रेजिस्टेंस (डीआर) टीबी सेन्टर में भर्ती कर इलाज शुरू किया जाता है और इनके बलगम की जांच के लिए बीएचयू भेजा जाता है. जिले के सभी सरकारी एवं स्वैच्छिक संगठनों के चिकित्सालयों में टीबी की जांच व इलाज की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध करायी जा रही है.

उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक टीबी के मरीज
मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है. फेफड़ों के अलावा नाखून एवं बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी भाग में टीबी हो सकती है. अन्य रोगों के मुकाबले टीबी दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा जानलेवा रोग है. पूरे विश्व के 27% टीबी रोगी भारत में और भारत में सबसे अधिक टीबी से ग्रसित लोग उत्तर प्रदेश में हैं. इसके उन्मूलन हेतु भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक भारत टीबी से मुक्त करने का निर्णय लिया गया है.

जिले की दस प्रतिशत जनसंख्या के लिए 90 टीम बनी
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एसपी अग्रवाल ने बताया कि जिले की आबादी की 10 प्रतिशत जनसंख्या को इस अभियान में कवर किया जाएगा. जिले के प्रत्येक ब्लाक के पांच ग्राम सभा को चिन्हित किया गया है. अभियान के लिये 90 टीमें और 20 सुपरवाइजर लगाये गये हैं. 10 चिकित्साधिकारी एवं जनपद स्तरीय अधिकारी अभियान की समीक्षा करेंगे.

टीबी के ये हैं लक्ष्ण
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खांसी का आना, खांसी के साथ बलगम का आना, बलगम के साथ खून आना, बुखार आना (विशेष रूप से शाम को बढ़ने वाला), वजन का घटना, भूख कम लगना, सीने में दर्द आदि टीबी के के मुख्य लक्षण हैं. यदि इनमें से कोई भी लक्षण मिलता है तो अपने नजदीकी टीबी केंद्र पर जाकर जांच कराकर निःशुल्क इलाज का लाभ प्राप्त कर सकते हैं. टीबी के मरीज को खांसते व छींकते समय नाक व मुंह को कपडे़े से ढक कर रखना चाहिए और इधर-उधर न थूकें, जिससे यह अन्य लोगों में न फैले.

मऊः राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यकम के तहत क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन को लेकर सरकार गंभीर है. इसके मद्देनजर जिले में सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान (एक्टिव केस फ़ाइंडिंग) चलाने की स्वास्थ्य विभाग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. दस दिन तक चलने वाले इस अभियान में व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की जाएगी, जिसमें लक्षण मिलने पर बलगम की जांच कराई जाएगी. सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान की शुरुआत दो नवंबर से होकर 11 नवंबर तक चलेगा.

टीबी के मरीजों का मुफ्त में किया जाता है इलाज
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एससी सिंह ने बताया कि जिले में 01 अप्रैल 2018 से संचालित निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान खाते में हर माह 500 रुपये पौष्टिक आहार के लिए दिये जाते हैं. मरीज की सुविधा के लिए उनके निवास के नजदीक ही डॉट्स केंद्र बनाये गए हैं. जिन रोगियों में टीबी के संभावित लक्षण पाए जाते हैं उनको जिला अस्पताल में स्थापित ड्रग रेजिस्टेंस (डीआर) टीबी सेन्टर में भर्ती कर इलाज शुरू किया जाता है और इनके बलगम की जांच के लिए बीएचयू भेजा जाता है. जिले के सभी सरकारी एवं स्वैच्छिक संगठनों के चिकित्सालयों में टीबी की जांच व इलाज की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध करायी जा रही है.

उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक टीबी के मरीज
मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि टीबी एक संक्रामक रोग है जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है. फेफड़ों के अलावा नाखून एवं बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी भाग में टीबी हो सकती है. अन्य रोगों के मुकाबले टीबी दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा जानलेवा रोग है. पूरे विश्व के 27% टीबी रोगी भारत में और भारत में सबसे अधिक टीबी से ग्रसित लोग उत्तर प्रदेश में हैं. इसके उन्मूलन हेतु भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक भारत टीबी से मुक्त करने का निर्णय लिया गया है.

जिले की दस प्रतिशत जनसंख्या के लिए 90 टीम बनी
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. एसपी अग्रवाल ने बताया कि जिले की आबादी की 10 प्रतिशत जनसंख्या को इस अभियान में कवर किया जाएगा. जिले के प्रत्येक ब्लाक के पांच ग्राम सभा को चिन्हित किया गया है. अभियान के लिये 90 टीमें और 20 सुपरवाइजर लगाये गये हैं. 10 चिकित्साधिकारी एवं जनपद स्तरीय अधिकारी अभियान की समीक्षा करेंगे.

टीबी के ये हैं लक्ष्ण
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि दो सप्ताह या उससे अधिक समय से लगातार खांसी का आना, खांसी के साथ बलगम का आना, बलगम के साथ खून आना, बुखार आना (विशेष रूप से शाम को बढ़ने वाला), वजन का घटना, भूख कम लगना, सीने में दर्द आदि टीबी के के मुख्य लक्षण हैं. यदि इनमें से कोई भी लक्षण मिलता है तो अपने नजदीकी टीबी केंद्र पर जाकर जांच कराकर निःशुल्क इलाज का लाभ प्राप्त कर सकते हैं. टीबी के मरीज को खांसते व छींकते समय नाक व मुंह को कपडे़े से ढक कर रखना चाहिए और इधर-उधर न थूकें, जिससे यह अन्य लोगों में न फैले.

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