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मऊ जिला जज ने सीएम योगी को जारी किया नोटिस, धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला

मऊ के जिला जज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस धार्मिक भावना को आहत करने को लेकर है. शिकायतकर्ता ने जिला न्यायालय में परिवाद दाखिल किया था. मामले में अगली सुनवाई 26 अप्रैल को निर्धारित की गई है.

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सीएम योगी को धार्मिक भावना आहत करने को लेकर नोटिस
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Published : Mar 23, 2022, 8:39 AM IST

Updated : Mar 23, 2022, 11:34 AM IST

मऊ: जनपद के जिला जज ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस धार्मिक भावना को आहत करने को लेकर है. शिकायतकर्ता ने जिला न्यायालय में परिवाद दाखिल किया था. मामले में अगली सुनवाई 26 अप्रैल को निर्धारित की गई है. जानकारी के मुताबिक 28 नवंबर 2018 को राजस्थान के अलवर जिले के मालाखेड़ा में जनसभा के दौरान धार्मिक भावना से आहत होकर मऊ जिले के दोहरीघाट निवासी नवल किशोर शर्मा ने परिवाद दाखिल किया था.

बताया जा रहा है कि एमपी/एमएलए कोर्ट की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्वेता चौधरी ने सुनवाई के बाद 11 मार्च को परिवाद खारिज कर दिया था. इस आदेश के खिलाफ नवल किशोर शर्मा ने मंगलवार को जिला जज की कोर्ट में निगरानी दाखिल किया. जिसके बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामेश्वर ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्वेता चौधरी के आदेश के विरुद्ध दाखिल निगरानी को एडमिट करते हुए सीएम योगी को नोटिस जारी की. इसके साथ ही उन्होंने सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है.


गौरतलब है कि दोहरीघाट थाना क्षेत्र के कस्बा दोहरीघाट निवासी नवल किशोर शर्मा ने एक परिवाद दाखिल किया था. इसमें मुख्यमंत्री अजय सिंह विष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ महंत गोरक्षपीठ को आरोपी बनाते हुए विचारण के लिए तलब करने का अनुरोध किया था. उसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति और देश के गौरवशाली मुख्यमंत्री हैं. वो हिंदुओं के आस्था के केंद्र गोरक्षपीठ के महंत हैं. उनका भाषण और वक्तव्य देश-प्रदेश व सभी जाति धर्म-धर्मों, वर्ग और समुदाय में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. लोग इस पर आस्था व विश्वास भी रखते हैं. आरोप है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान 28 नवंबर 2018 को मालाखेड़ा में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि बजरंगबली ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित और वंचित हैं.

यह भी पढ़ें- योगी के शपथ ग्रहण समारोह की सभी तैयारियां पूरी, PM मोदी समेत 12 राज्यों के मुख्यमंत्री होंगे शामिल

इस भाषण से परिवादी के धार्मिक भावनाओं को ठेस और आघात पहुंचा है. साथ ही इष्ट देव श्री बजरंगबली में श्रद्धा रखने वाले समुदायों की आस्था आहत हुई है. मामले में सुनवाई के बाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/एमपीएमएलए कोर्ट श्वेता चौधरी ने 11 मार्च को परिवाद खारिज कर दिया. अपने आदेश में उन्होंने लिखा था कि विपक्षी द्वारा राजस्थान राज्य के अलवर जिले के मालाखेड़ा स्थान पर वक्तव्य दिया गया है. घटना का स्थल राजस्थान राज्य में स्थित है. जनपद मऊ में इस न्यायालय को प्रस्तुत परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है. इस आदेश के विरूद्ध नवलकिशोर शर्मा ने मंगलवार को जिला जज की कोर्ट मे निगरानी दाखिल किया. जसके बाद यह परिवाद पूरे जनपद में चर्चा का विषय बन गया है.

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मऊ: जनपद के जिला जज ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस धार्मिक भावना को आहत करने को लेकर है. शिकायतकर्ता ने जिला न्यायालय में परिवाद दाखिल किया था. मामले में अगली सुनवाई 26 अप्रैल को निर्धारित की गई है. जानकारी के मुताबिक 28 नवंबर 2018 को राजस्थान के अलवर जिले के मालाखेड़ा में जनसभा के दौरान धार्मिक भावना से आहत होकर मऊ जिले के दोहरीघाट निवासी नवल किशोर शर्मा ने परिवाद दाखिल किया था.

बताया जा रहा है कि एमपी/एमएलए कोर्ट की अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्वेता चौधरी ने सुनवाई के बाद 11 मार्च को परिवाद खारिज कर दिया था. इस आदेश के खिलाफ नवल किशोर शर्मा ने मंगलवार को जिला जज की कोर्ट में निगरानी दाखिल किया. जिसके बाद जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामेश्वर ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्वेता चौधरी के आदेश के विरुद्ध दाखिल निगरानी को एडमिट करते हुए सीएम योगी को नोटिस जारी की. इसके साथ ही उन्होंने सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है.


गौरतलब है कि दोहरीघाट थाना क्षेत्र के कस्बा दोहरीघाट निवासी नवल किशोर शर्मा ने एक परिवाद दाखिल किया था. इसमें मुख्यमंत्री अजय सिंह विष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ महंत गोरक्षपीठ को आरोपी बनाते हुए विचारण के लिए तलब करने का अनुरोध किया था. उसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति और देश के गौरवशाली मुख्यमंत्री हैं. वो हिंदुओं के आस्था के केंद्र गोरक्षपीठ के महंत हैं. उनका भाषण और वक्तव्य देश-प्रदेश व सभी जाति धर्म-धर्मों, वर्ग और समुदाय में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. लोग इस पर आस्था व विश्वास भी रखते हैं. आरोप है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान 28 नवंबर 2018 को मालाखेड़ा में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि बजरंगबली ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित और वंचित हैं.

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इस भाषण से परिवादी के धार्मिक भावनाओं को ठेस और आघात पहुंचा है. साथ ही इष्ट देव श्री बजरंगबली में श्रद्धा रखने वाले समुदायों की आस्था आहत हुई है. मामले में सुनवाई के बाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/एमपीएमएलए कोर्ट श्वेता चौधरी ने 11 मार्च को परिवाद खारिज कर दिया. अपने आदेश में उन्होंने लिखा था कि विपक्षी द्वारा राजस्थान राज्य के अलवर जिले के मालाखेड़ा स्थान पर वक्तव्य दिया गया है. घटना का स्थल राजस्थान राज्य में स्थित है. जनपद मऊ में इस न्यायालय को प्रस्तुत परिवाद को सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है. इस आदेश के विरूद्ध नवलकिशोर शर्मा ने मंगलवार को जिला जज की कोर्ट मे निगरानी दाखिल किया. जसके बाद यह परिवाद पूरे जनपद में चर्चा का विषय बन गया है.

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Last Updated : Mar 23, 2022, 11:34 AM IST
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