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घोसी से सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह का नामांकन पत्र निरस्त - समाजवादी पार्टी

उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह का नामांकन रद्द हो गया है. बता दें कि नामांकन पत्र में कमी की वजह से उनका नामांकन रद्द किया गया है.

सपा कार्यकर्ताओं ने की नारेबाजी
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Published : Oct 2, 2019, 3:57 AM IST

मऊ: घोसी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह का नामांकन जांच के उपरांत निरस्त हो गया. इसकी सूचना मिलते ही सुबह से ही कलेक्ट्रेट पर सैकड़ों की संख्या में जुटे सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने योगी और मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. हालांकि सुधाकर सिंह द्वारा बतौर निर्दल भरा गया पर्चा वैध पाया गया है. इस तरह उन्हें अब साइकिल चुनाव निशान की बजाय किसी अन्य निशान पर चुनाव लड़ना होगा.

नामांकन पत्र निरस्त होने के बाद सपा कार्यकर्ताओं ने की नारेबाजी.

घोसी विधानसभा सीट पर बतौर सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने अंतिम दिन अपना नामांकन दाखिल किया था. वहीं आरओ ने पार्टी के सिंबल को मानने से इंकार कर दिया, क्योंकि उस पर पार्टी अध्यक्ष के हस्ताक्षर ही नहीं थे. बाद में पार्टी नेताओं ने वाट्सएप और ई-मेल से भी चुनाव निशान मंगाकर नामांकन जमा करने का प्रयास किया, लेकिन आयोग के निर्देशानुसार आरओ ने मूल प्रति ही जमा करने को कहा. इसको लेकर प्रत्याशी ने जिला प्रशासन पर अपने विरुद्ध षड्यंत्र रचने और पर्चा खारिज करने की साजिश का आरोप भी लगाया और आनन-फानन में दूसरा पर्चा बतौर निर्दल भरा गया.

इसे भी पढ़ें- मऊ: घोसी विधानसभा सीट से सपा-भाजपा के प्रत्याशियों ने किया नामांकन

रिटर्निंग ऑफिसर विजय कुमार मिश्र ने बताया कि 15 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे. स्क्रुटनी के दौरान लगभग सभी प्रत्याशी उपस्थित रहे. नामांकन पत्र के फार्म बी पर सिग्नेचर करने के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद को अधिकृत किया था. नामांकन पत्र में फॉर्म ए और बी की मूल प्रति दाखिल की गई थी, जिसमें फार्म ए पर तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के हस्ताक्षर थे, लेकिन जो फार्म बी भरा गया था उसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के हस्ताक्षर नहीं थे. बिना हस्ताक्षर के नामांकन पत्र वैध नहीं माना जा सकता.

उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग के नियम लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951, नियमावली 1960, आरओ हैण्डबुक सभी में नियम दिया गया है कि नामांकन के अंतिम दिन समय सीमा 3 बजे तक हस्ताक्षर प्रस्तुत करना था, जिसमें सपा प्रत्याशी असफल रहे. इन नियमों के तहत नामांकन पत्र दाखिल करने वाले को पार्टी का उम्मीदवार नहीं माना जा सकता. सपा प्रत्याशी के नामांकन पत्र को निरस्त कर दिया गया है. हालांकि उन्होंने दूसरा नामांकन पत्र भी दाखिल किया था. जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्होंने फार्म भरा था. अब वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे.

मऊ: घोसी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह का नामांकन जांच के उपरांत निरस्त हो गया. इसकी सूचना मिलते ही सुबह से ही कलेक्ट्रेट पर सैकड़ों की संख्या में जुटे सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने योगी और मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. हालांकि सुधाकर सिंह द्वारा बतौर निर्दल भरा गया पर्चा वैध पाया गया है. इस तरह उन्हें अब साइकिल चुनाव निशान की बजाय किसी अन्य निशान पर चुनाव लड़ना होगा.

नामांकन पत्र निरस्त होने के बाद सपा कार्यकर्ताओं ने की नारेबाजी.

घोसी विधानसभा सीट पर बतौर सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने अंतिम दिन अपना नामांकन दाखिल किया था. वहीं आरओ ने पार्टी के सिंबल को मानने से इंकार कर दिया, क्योंकि उस पर पार्टी अध्यक्ष के हस्ताक्षर ही नहीं थे. बाद में पार्टी नेताओं ने वाट्सएप और ई-मेल से भी चुनाव निशान मंगाकर नामांकन जमा करने का प्रयास किया, लेकिन आयोग के निर्देशानुसार आरओ ने मूल प्रति ही जमा करने को कहा. इसको लेकर प्रत्याशी ने जिला प्रशासन पर अपने विरुद्ध षड्यंत्र रचने और पर्चा खारिज करने की साजिश का आरोप भी लगाया और आनन-फानन में दूसरा पर्चा बतौर निर्दल भरा गया.

इसे भी पढ़ें- मऊ: घोसी विधानसभा सीट से सपा-भाजपा के प्रत्याशियों ने किया नामांकन

रिटर्निंग ऑफिसर विजय कुमार मिश्र ने बताया कि 15 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे. स्क्रुटनी के दौरान लगभग सभी प्रत्याशी उपस्थित रहे. नामांकन पत्र के फार्म बी पर सिग्नेचर करने के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद को अधिकृत किया था. नामांकन पत्र में फॉर्म ए और बी की मूल प्रति दाखिल की गई थी, जिसमें फार्म ए पर तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के हस्ताक्षर थे, लेकिन जो फार्म बी भरा गया था उसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के हस्ताक्षर नहीं थे. बिना हस्ताक्षर के नामांकन पत्र वैध नहीं माना जा सकता.

उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग के नियम लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951, नियमावली 1960, आरओ हैण्डबुक सभी में नियम दिया गया है कि नामांकन के अंतिम दिन समय सीमा 3 बजे तक हस्ताक्षर प्रस्तुत करना था, जिसमें सपा प्रत्याशी असफल रहे. इन नियमों के तहत नामांकन पत्र दाखिल करने वाले को पार्टी का उम्मीदवार नहीं माना जा सकता. सपा प्रत्याशी के नामांकन पत्र को निरस्त कर दिया गया है. हालांकि उन्होंने दूसरा नामांकन पत्र भी दाखिल किया था. जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्होंने फार्म भरा था. अब वह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे.

Intro:मऊ। घाेसी विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी पूर्व विधायक सुधाकर सिंह का नामांकन जांच के उपरांत निरस्त हो गया. यह खबर मिलते ही सुबह से ही कलेक्ट्रेट पर सैकड़ों की संख्या में जुटे सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने योगी और मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. हालांकि सुधाकर सिंह द्वारा बतौर निर्दल भरा गया पर्चा वैध पाया गया है. इस तरह उन्हें अब साइकिल चुनाव निशान की बजाय किसी अन्य निशान पर चुनाव लड़ना होगा.

Body:सोमवार को अंतिम दिन बतौर सपा उम्मीदवार नामांकन दाखिल किए पूर्व विधायक द्वारा जमा किए गए पार्टी के सिंबल को आरओ ने मानने से इंकार कर दिया था. क्योंकि उस पर पार्टी अध्यक्ष के हस्ताक्षर ही नहीं थे. बाद में पार्टी नेताओं ने वाट्सएप और ई-मेल से भी चुनाव निशान मंगाकर जमा करने का प्रयास किया किंतु आयोग के निर्देशानुसार आरओ ने मूल प्रति ही जमा करने को कहा. इसे लेकर प्रत्याशी ने जिला प्रशासन पर अपने विरुद्ध षड्यंत्र रचने और पर्चा खारिज करने की साजिश करने का आरोप लगाया और आनन-फानन में दूसरा पर्चा बतौर निर्दल भरा गया.

पर्चा खारिज होने की आशंका के चलते सुबह 10 बजे से ही जिले भर से सपाजन कलेक्ट्रेट व आसपास जुटे हुए थे. गाड़ियाें के काफिलों में आए सपा कार्यकर्ता सपा का पर्चा निरस्त होने की खबर मिलते ही प्रशासन व केंद्र तथा प्रदेश सरकार के विरुद्ध नारेबाजी शुरू कर दिए हैं. काफी संख्या में फोर्स भी वहां पहुंच गई और लोगों को समझाने बुझाने का प्रयास किया.

रिटर्निंग अधिकारी का बयान लेने से पूर्व सुधाकर सिंह ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि कल से जिस तरह का माहौल बनाया जा रहा है उससे हम भयभीत हैं. यह लोग पर्चा खारिज करने की प्लानिंग कर चुके हैं. उन्हें भय हो गया है कि यहां से सपा चुनाव जीतेगी जिस से बचने के लिए यही उपाय है कि सपा का पर्चा निरस्त कर दिया जाए. अब सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का जो निर्णय होगा उसका हम पालन करेंगे.

रिटर्निंग ऑफिसर विजय कुमार मिश्र ने बताया कि 15 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे. आज स्क्रुटनी में लगभग सभी प्रत्याशी उपस्थित रहे. नामांकन पत्र के फार्म बी पर सिग्नेचर करने के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने खुद को अधिकृत किया था. नामांकन पत्र में फॉर्म ए और बी की मूल प्रति दाखिल की गई थी जिसमें फार्म ए पर तो राष्ट्रीय अध्यक्ष के समाचार थे लेकिन जो फार्म बी भरा गया था उसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के हस्ताक्षर नहीं थे. बिना हस्ताक्षर के नामांकन पत्र वैध नहीं माना जा सकता. चुनाव आयोग के नियम लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951, नियमावली 1960, आरओ हैण्डबुक सभी में नियम दिया गया है कि नामांकन के अंतिम दिन समय सीमा 3 बजे तक हस्ताक्षर प्रस्तुत करना था जिसमें सपा प्रत्याशी असफल रहे. इन नियमों के तहत नामांकन पत्र दाखिल करने वाले को पार्टी का उम्मीदवार नहीं माना जा सकता. सपा प्रत्याशी के नामांकन पत्र को निरस्त कर दिया गया है लेकिन उन्होंने दूसरा नामांकन पत्र भी दाखिल किया था जिसमें निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्होंने फार्म भरा था. वो अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे.

बाईट - विजय मिश्र (रिटर्निंग अधिकारी, विधानसभा उपचुनाव)Conclusion:
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