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मऊ: कोरोना काल में भी जारी रहा कृमि मुक्ति अभियान, 7 लाख लोगों को खिलाई गई दवा

यूपी के मऊ जिले में एक से 19 वर्ष तक के बच्चों को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के तहत आशा व आगंनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा घर-घर जाकर पेट के कीड़े (कृमि) मारने की दवा एल्बेण्डाजाल खिलाने के अभियान की शुरुआत की गई है. जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी अमित सिंह बंशल की देखरेख में यह अभियान 7 अक्टूबर तक चलेगा.

कोरोना काल में भी जारी रहा कृमि मुक्ति अभियान
कोरोना काल में भी जारी रहा कृमि मुक्ति अभियान
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Published : Oct 11, 2020, 5:21 AM IST

मऊ: कोविड-19 महामारी काल में किशोर-किशोरी स्वास्थ्य को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार सचेत है. साथ ही जिला स्वास्थ्य निगरानी समिति के अध्यक्ष और डीएम अमित सिंह बंशल भी संचालित समस्त स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर निगरानी रखे हुये हैं. जिलाधिकारी ने समीक्षा बैठक दौरान, कोविड-19 महामारी काल में 28 सितंबर से 07 अक्टूबर तक चलाये गये राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) कार्यक्रम का जानकारी लिया.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (नेशनल डीवोर्मिंग डे) अभियान शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में फ्रंट लाइन वर्करों 4,554 आशा एवं आगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से चलाया गया. जिले में 1 से 19 वर्ष तक के आयु के सभी बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाने के लिये 7.05 लाख किशोर-किशोरियों को पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाई गई है.

कृमि संक्रमण के ये हैं लक्षण
सीएमओ ने आगे बताया कि परजीवी कृमि संक्रमण को नेमाटोड संक्रमण भी कहते हैं. यह संक्रमण हैलिमिंथियासिस जैसा होता है, जो नेमाटोड फायलम के जीवों द्वारा होता है. नीमाटोड परजीवी होते हैं. परजीवी (पैरासाइट्स) वह कीटाणु है जो व्यक्ति में प्रवेश करके बाहर या भीतर (ऊतकों या इंद्रियों से) जुड़ जाती है और सारे पोषक तत्व को चूस लेती है. किशोर-किशोरी या कोई भी स्वस्थ व्यक्ति भी कमजोर हो जाता है, चाहे वह कितना भी पोषक आहार क्यों न सेवन करता हो, वैसे भी एक स्वस्थ मनुष्य को वर्ष में दो बार कृमि निकालने की दवा का अवश्य सेवन करना चाहिये, जो कि सरकार द्वारा पूरी तरह से निशुल्क है.

सीएमओ ने बताया कि कृमि संक्रमण के लक्षणों में शरीर का पीला होना, बुखार, पेट में दर्द, दिल तेजी से धड़कना, चक्कर आना, खाने का अच्छा न लगना और बार-बार दस्त होना कृमि के लक्षण हो सकते हैं.

मऊ: कोविड-19 महामारी काल में किशोर-किशोरी स्वास्थ्य को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार सचेत है. साथ ही जिला स्वास्थ्य निगरानी समिति के अध्यक्ष और डीएम अमित सिंह बंशल भी संचालित समस्त स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर निगरानी रखे हुये हैं. जिलाधिकारी ने समीक्षा बैठक दौरान, कोविड-19 महामारी काल में 28 सितंबर से 07 अक्टूबर तक चलाये गये राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) कार्यक्रम का जानकारी लिया.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (नेशनल डीवोर्मिंग डे) अभियान शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में फ्रंट लाइन वर्करों 4,554 आशा एवं आगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से चलाया गया. जिले में 1 से 19 वर्ष तक के आयु के सभी बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाने के लिये 7.05 लाख किशोर-किशोरियों को पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाई गई है.

कृमि संक्रमण के ये हैं लक्षण
सीएमओ ने आगे बताया कि परजीवी कृमि संक्रमण को नेमाटोड संक्रमण भी कहते हैं. यह संक्रमण हैलिमिंथियासिस जैसा होता है, जो नेमाटोड फायलम के जीवों द्वारा होता है. नीमाटोड परजीवी होते हैं. परजीवी (पैरासाइट्स) वह कीटाणु है जो व्यक्ति में प्रवेश करके बाहर या भीतर (ऊतकों या इंद्रियों से) जुड़ जाती है और सारे पोषक तत्व को चूस लेती है. किशोर-किशोरी या कोई भी स्वस्थ व्यक्ति भी कमजोर हो जाता है, चाहे वह कितना भी पोषक आहार क्यों न सेवन करता हो, वैसे भी एक स्वस्थ मनुष्य को वर्ष में दो बार कृमि निकालने की दवा का अवश्य सेवन करना चाहिये, जो कि सरकार द्वारा पूरी तरह से निशुल्क है.

सीएमओ ने बताया कि कृमि संक्रमण के लक्षणों में शरीर का पीला होना, बुखार, पेट में दर्द, दिल तेजी से धड़कना, चक्कर आना, खाने का अच्छा न लगना और बार-बार दस्त होना कृमि के लक्षण हो सकते हैं.

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