मऊ: जिले में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने बाल संप्रेक्षण गृह का निरीक्षण किया. निरीक्षण में खाने-पीने की व्यवस्थाओं में तमाम कमियां मिलीं. बाल सम्प्रेक्षण गृह के निरीक्षण में उन्हें एक्सपायरी डेट की दवाएं भी मिलीं. इस दौरान बच्चों द्वारा बताया गया कि उन्हें जरूरत पढ़ने पर उचित मेडिकल सुविधाएं नहीं मिलतीं.
आयोग की सदस्य ने बच्चों के रोजगार प्रशिक्षण की व्यवस्था करने पर विशेष जोर दिया. इस अवसर पर समीक्षा बैठक में जिला प्रविक्षा विभाग, जिला बाल संरक्षण विभाग, जिला बेसिक शिक्षा, जिला समाज कल्याण, समेत कई आयोजनों की समीक्षा की गई. बैठक में मुख्य चिकित्साधिकारी, श्रम परिवर्तन अधिकारी, जिला समाज कल्याण अधिकारी सहित जिलास्तरीय अधिकारी शामिल रहे.
निरीक्षण में मिली कमियां
- स्नानादि के लिए बच्चों को शासन द्वारा निर्धारित सैंपू, साबुन नहीं दिया जाता.
- फर्स्ट एड बॉक्स में एक्सपायरी डेट की दवा मिली.
- निरीक्षण के दौरान एक बच्चे का हाथ टूटा मिला.
- वहीं एक अन्य बच्चे का गाल सूजा हुआ.
- बच्चों को उचित मेडिकल सुविधाएं नहीं मिलती.
- डॉक्टर का विजिट केवल रजिस्टर पर था.
- कौशल विकास के तहत बच्चों को कोई प्रशिक्षण नहीं मिलता.
समीक्षा बैठक में अधिकारियों को लगाई फटकार
डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में विभिन्न विभागों में संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा की. वहीं प्रोबेशन अधिकारी संबंधित विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया कि शासन द्वारा दी जाने वाली व्यवस्थाओं को बच्चों को उपलब्ध कराएं जाए. अन्यथा संबंधित विभागों के विभागाध्यक्षों के खिलाफ शासन को अवगत कराते हुए कार्रवाई की जाएगी.
डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने कौशल विकास मिशन के तहत बच्चों को प्रशिक्षण न दिए जाने पर नाराजगी प्रकट की. कहा कि बच्चों को इंटर तक की स्कूली शिक्षा के लिए एनाईओएस और इंटर के बाद ओपेन यूनिवर्सिटी में दाखिला कराने की व्यवस्था की जाए.
एक सितंबर 2019 से पोषण माह की समीक्षा करते हुए कहा कि शासन द्वारा गर्भवती महिलाओं एवं कुपोषित बच्चों के लिए शासन से जो भी योजनाए संचालित हैं. इसमें लापरवाही किसी भी दशा में क्षम्य नहीं की जाएगी.
बाल कल्याण समिति और पुलिस से वार्ता करते हुए पूछा गया कि अज्ञात बच्चों के मिलने पर उनका मेडिकल कराया जाता हैै या नहीं. बाल समिति के सदस्य शिवकुमार भारती द्वारा बताया गया कि बच्चों का मेडिकल कराकर उसे संबंधित बाल गृह भेज दिया जाता है.
इसी क्रम में श्रम अधिकारी को निर्देश दिया कि दुकानों, भट्ठों एवं छोटी-बड़ी कंपनियों में छापा मारकर 10 से 15 वर्ष के बच्चों से काम कराए जाने वाले संस्थाओं के खिलाफ बालश्रम अधिनियम के तहत कार्रवाई करें.
बाल संप्रेक्षण गृह के निरीक्षण में मुझे तमाम कमियां मिलीं. संबंधित अधिकारी को जवाब तलब करते हुए व्यवस्था ठीक रखने का निर्देश दिया गया है. मुख्य बात यह रही कि कौशल विकास को लेकर किसी प्रकार का प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा. कौशल विकास प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करने के लिए डीपीओ को निर्देशित किया है. एक्सपायरी डेट की दवा मिलने के सवाल पर कहा कि वो दवा बच्चों को नहीं दी गई है, ऐसी जानकारी मिली है.
-डॉ. सुचिता चतुर्वेदी, सदस्य, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग