मऊ: बाढ़ तटवर्ती क्षेत्रों में बसे गांवों पर कहर बरसा रही है. मधुबन तहसील के टांड़ी, नई बस्ती, धरमपुर बिंटोलिया गांव हर वर्ष बाढ़ की चपेट में आते हैं. घाघरा के कटान में गांव के आसपास की सैकड़ों बीघा भूमि समा जाती है. इसके कारण ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि धरमपुर बिंटोलिया गांव घाघरा नदी किनारे बसा है. जो बीते कई दशकों से बाढ़ की विभीषिका झेलता है. वर्तमान में घाघरा नदी की भीषण कटान के चलते ग्रामीणों के सैकड़ों बीघे खेत फसल सहित कटकर नदी में विलीन हो चुके हैं, बचे हुए खेत भी तेजी से कटकर गिर रहे हैं. आरोप लगाया कि प्रशासन और अधिकारी पैसे का गोलमाल कर जाते हैं. लेकिन समस्या से अवगत कराने के बाद भी इसको लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
उन्होंने कहा कि बाढ़ पीड़ित गांव होने के कारण बड़ी संख्या में प्रधानमंत्री आवास मुुहैया कराया जाए. साथ ही कटान से पीड़ित किसानों को मुआवजा दिलाने की मांग की. प्रदर्शन के बाद मांगों को लेकर फूलन सेना ने नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा. साथ ही चेताया कि मांग पूरी ना होने पर फूलन सेना घाघरा नदी के धार में आगामी 3 अक्टूबर से जल-सत्याग्रह शुरू करेगी.
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ग्रामीणों और कटान पीड़ितों ने लगाया आरोप
- सिंचाई विभाग और प्रशासन ने नहीं बनाया ठोकर.
- स्थिति जानने जनप्रतिनिधि भी कभी नहीं आते.
- ठोकर के पैसों में भ्रष्टाचार का भी लगाया आरोप.
क्या है प्रमुख मांगें
- स्थायी ठोकर व्यवस्था हो और रिंग बांध बनाया जाए.
- कटान में समा गई भूमि का मुआवजा मिले.
- प्रधानमंत्री आवास योजना से आवास मिले.
हम लोग कई साल से बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं. बाढ़ की वजह से हमारी फसल खत्म हो जाती है, घर टूट जाता है. ऐसे में खाने को अनाज की समस्या हो जाती है. हमेशा डर लगा रहता है कि हमारे बच्चे नदी में डूब न जाएं. हर साल प्रशासन बाढ़ से बचाव के लिए ठोकर बनाने के दावे करता है, लेकिन वास्तव में ऐसा कोई प्रबंध नहीं हुआ है.
-बृजभावती देवी, बाढ़ पीड़ित