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मऊ: मूर्तिकारों से विदा लेकर अब पंडालों में जाएंगी मां दुर्गा, अंतिम चरण में सजावट

उत्तर प्रदेश के मऊ में दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना के लिए तैयारियां की जा रही हैं. पूजा समितियों ने कई सप्ताह पहले से ही दुर्गा प्रतिमाओं के लिए एडवांस बुकिंग करा ली है. मूर्तिकार अब मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं.

दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना की तैयारी की जा रही है.
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Published : Oct 5, 2019, 4:52 PM IST

मऊ: 'मिट्टी की बनी मां दुर्गा की प्रतिमा...मिट्टी का ही बना गहना...फिर भी क्या कहना'. मूर्तिकारों द्वारा पिछले कई महीनों से की गई मेहनत अब साकार रूप ले चुकी है. दुर्गा प्रतिमाओं की सजावट और श्रृंगार अब अंतिम चरण में है.

दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना की तैयारी की जा रही है.
इसे भी पढ़ें:-फतेहपुर: महंगाई और मंदी की मार से दुर्गा पंडालों की चमक हुई कम

दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना

  • जनपद मऊ में विभिन्न स्थानों पर दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना की जा रही है.
  • पूजा समितियों ने कई सप्ताह पहले ही दुर्गा प्रतिमाओं के लिए एडवांस बुकिंग करा ली है.
  • विभिन्न क्षेत्रों में मूर्तिकारों द्वारा प्रतिमाएं बनाई गई हैं.
  • रासायनिक रंगों से होने वाले नुकसान को देखते हुए मूर्तिकारों ने केमिकल युक्त रंगों के प्रयोग से दूरी बना ली है.
  • मूर्तिकारों द्वारा प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया गया है.
  • नगर क्षेत्र के भीटी रोड स्थित रूपचन्द्र गौतम पिछले 3-4 महीने से मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने में लगे हुए हैं.
  • उनके इस काम में उनके दो बेटे और चार अन्य कारीगर भी साथ दे रहे हैं.

1988 से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. यह कला कोलकाता में सीखी थी. इस बार शारदीय नवरात्र की मूर्तियों के लिए पिछले 3-4 महीने से तैयारी में लगे हैं. मूर्तियों का निर्माण पूरा हो चुका है, जिसे अब अंतिम रूप दिया जा रहा है. बारिश की वजह से बहुत सावधानी से मूर्तियों की देखभाल करनी पड़ी है. सप्तमी को सभी मूर्तियां यहां से चली जाएंगी. हमारे यहां कुल 29 मूर्तियों का निर्माण किया गया है. इस कार्य में मिट्टी, सुतरी, पुआल, बांस, कील, जूट, रंग आदि का प्रयोग किया जाता है. आयल पेंट और रसायनिक रंगों का प्रयोग नहीं किया गया है. इनके स्थान पर वॉटर कलर और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया गया है.
-रूपचन्द्र गौतम, मूर्तिकार

मऊ: 'मिट्टी की बनी मां दुर्गा की प्रतिमा...मिट्टी का ही बना गहना...फिर भी क्या कहना'. मूर्तिकारों द्वारा पिछले कई महीनों से की गई मेहनत अब साकार रूप ले चुकी है. दुर्गा प्रतिमाओं की सजावट और श्रृंगार अब अंतिम चरण में है.

दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना की तैयारी की जा रही है.
इसे भी पढ़ें:-फतेहपुर: महंगाई और मंदी की मार से दुर्गा पंडालों की चमक हुई कम

दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना

  • जनपद मऊ में विभिन्न स्थानों पर दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना की जा रही है.
  • पूजा समितियों ने कई सप्ताह पहले ही दुर्गा प्रतिमाओं के लिए एडवांस बुकिंग करा ली है.
  • विभिन्न क्षेत्रों में मूर्तिकारों द्वारा प्रतिमाएं बनाई गई हैं.
  • रासायनिक रंगों से होने वाले नुकसान को देखते हुए मूर्तिकारों ने केमिकल युक्त रंगों के प्रयोग से दूरी बना ली है.
  • मूर्तिकारों द्वारा प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया गया है.
  • नगर क्षेत्र के भीटी रोड स्थित रूपचन्द्र गौतम पिछले 3-4 महीने से मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने में लगे हुए हैं.
  • उनके इस काम में उनके दो बेटे और चार अन्य कारीगर भी साथ दे रहे हैं.

1988 से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. यह कला कोलकाता में सीखी थी. इस बार शारदीय नवरात्र की मूर्तियों के लिए पिछले 3-4 महीने से तैयारी में लगे हैं. मूर्तियों का निर्माण पूरा हो चुका है, जिसे अब अंतिम रूप दिया जा रहा है. बारिश की वजह से बहुत सावधानी से मूर्तियों की देखभाल करनी पड़ी है. सप्तमी को सभी मूर्तियां यहां से चली जाएंगी. हमारे यहां कुल 29 मूर्तियों का निर्माण किया गया है. इस कार्य में मिट्टी, सुतरी, पुआल, बांस, कील, जूट, रंग आदि का प्रयोग किया जाता है. आयल पेंट और रसायनिक रंगों का प्रयोग नहीं किया गया है. इनके स्थान पर वॉटर कलर और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया गया है.
-रूपचन्द्र गौतम, मूर्तिकार

Intro:
मऊ : 'मिट्टी की बनी मां दुर्गा की प्रतिमा, मिट्टी का ही बना गहना... फिर भी क्या कहना'. मूर्तिकारों द्वारा पिछले कई महीनों से की गई मेहनत अब साकार रूप ले चुकी है. दुर्गा प्रतिमाओं की सजावट व श्रृंगार अब अंतिम चरण में हो रही है.

Body:बता दें कि जनपद मऊ में विभिन्न स्थानों पर दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना की जा रही है. पूजा समितियों ने कई सप्ताह पहले ही दुर्गा प्रतिमाओं के लिए एडवांस बुकिंग करा ली है. जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में मूर्तिकारों द्वारा प्रतिमाएं बनाई गई हैं. रासायनिक रंगों से होने वाले नुक़सान को देखते हुए मूर्तिकारों ने केमिकल युक्त रंगों के प्रयोग से दूरी बना ली है. मूर्तिकारों द्वारा प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया गया है.


नगर क्षेत्र के भीटी रोड स्थित रूपचन्द्र गौतम पिछले 3-4 महीने से माँ दुर्गा की प्रतिमा बनाने में लगे हुए हैं. उनके इस काम में उनके दो बेटे व चार अन्य कारीगर भी साथ दे रहे हैं. जो दिन-रात एक कर मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं.


मूर्तिकार रूपचंद्र गौतम ने बताया कि वह 1988 से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने यह कला कलकत्ता में सीखी थी. इस बार शारदीय नवरात्र की मूर्तियों के लिए वह पिछले 3-4 महीने से तैयारी में लगे हैं. मूर्तियों का निर्माण पूरा हो चुका है जिसे अब अंतिम रुप दिया जा रहा है. बारिश की वजह से बहुत सावधानी से मूर्तियों की देखभाल करनी पड़ी है. सप्तमी को सभी मूर्तियां यहाँ से चली जाएंगी. उन्होंने बताया कि हमारे यहां कुल 29 मूर्तियों का निर्माण किया गया है. इस कार्य में मिट्टी, सुतरी, पुआल, बांस, कील, जूट, रंग आदि का प्रयोग किया जाता है. आयल पेंट व रसायनिक रंगों का प्रयोग नहीं किया गया है. इनके स्थान पर वॉटर कलर व प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया गया है.

बाईट - रूपचन्द्र गौतम (मूर्तिकार)
Conclusion:
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