मऊ: आज के समय में आम आदमी अपनी कमाई का मोटा हिस्सा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करता है. स्वास्थ्य सुधार के लिए मरीज ज्यादा कीमती दवाइयां खरीदता है, लेकिन महंगी दवाइयां खरीद पाना सबके बस की बात नहीं होती.
गरीब या कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोगों को भी कम पैसे में अच्छी दवाओं का लाभ दिलाने के लिए मोदी सरकार ने जन औषधि केन्द्रों की शुरुआत की थी, लेकिन इन केंद्रों से ली गई दवाइयों को डॉक्टर कम प्रभावी या खराब बताकर मरीज से लौटवा दे रहे हैं.
जिला अस्पताल में डॉक्टरों की मनमानी
- जिला अस्पताल परिसर में ही प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की दवाओं को डॉक्टर लौटा देते हैं.
- डॉक्टर की तरफ से इन दवाओं को सस्ता, कम प्रभावी या खराब बता दिया जाता है.
- सादी पर्ची पर बाहर की दवाइयों के नाम लिखकर मरीज को थमा दिया जाता है.
- ऐसे में गरीब तबके से आने वाले मरीजों को जल्द स्वास्थ्य लाभ का आश्वासन देकर बाहर की महंगी दवाइयां मंगाई जाती हैं.
- जिला अस्पताल में आए एक मरीज के परिजन उदय प्रताप सिंह ने डॉक्टर की लिखी दवा को जन औषधि केंद्र से खरीदा, लेकिन डॉक्टर द्वारा उसे निष्प्रभावी बताकर लौटा दिया गया.
- उदय प्रताप ने बताया कि डॉक्टर ने दोबारा बाहर की दवा सादे पर्चे पर लिखकर दिया है.
इस बाबत सवाल पूछे जाने पर एडिशनल सीएमओ डॉ. पीके राय ने कहा कि यदि ऐसा मामला सामने आता है, तो संबंधित डॉक्टर पर कार्रवाई की जाएगी. जिला अस्पताल में जरुरत की लगभग सभी दवाएं उपलब्ध हैं. इसके बाद भी यदि कोई डॉक्टर बाहर की दवा लिखता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. मरीज स्वेच्छा से जन औषधि केंद्र से दवाएं खरीद सकते हैं.