ETV Bharat / state

मऊ: लॉकडाउन से दिहाड़ी मजदूर परेशान, नहीं मिल रहा भरपेट भोजन

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में लॉकडाउन के चलते कारखाने बंद होने से दिहाड़ी मजदूर भूखे मरने की कगार पर पहुंच गए हैं. सरकारी राशन की दुकान से मिले राशन से परिवार के लोगों का भरपेट भोजन नहीं हो पा रहा है.

etv bharat
दिहाड़ी मजदूर आधा पेट खाना खाने को मजबूर.
author img

By

Published : Apr 15, 2020, 2:46 PM IST

मऊ: जिले में लॉकडाउन के चलते कारखाने बंद है, जिससे दिहाड़ी मजदूर को पैसों की तंगी लगातार हो रही है. रोज कमाने रोज खाने वाले कामगारों की रोजी रोटी पर संकट आ गया है. घर से बाहर नहीं निकलने की स्थिति में इनके पास पैसे नहीं आ रहें हैं. ऐसे में ये लोग खाने के लिए कुछ इंतजाम भी नहीं कर पा रहे हैं. सरकारी राशन दुकान से मिले राशन से परिवार के लोग भरपेट भोजन नहीं कर पा रहे हैं.

दिहाड़ी मजदूर आधा पेट खाना खाने को मजबूर.

लॉकडाउन में दिहाड़ी मजदूर परेशान
जिले की कांशीराम शहरी आवास परदहां में शहर के मजदूर, गरीब रहते हैं. यहां पर रहने वाला कोई रिक्शा चलाता है, तो कोई ऑटो और अधिकांश लोग मजदूरी करके गुजारा करते हैं. लॉकडाउन के चलते इनके पास खाने तक के पैसे नहीं हैं.

वहीं नशीरुद्दीन निशा जो दूसरों के घरों में चौका-बर्तन साफ करने का काम करती हैं. उनका कहना है कि मेरा बेटा ऑटो चलाता है. लॉक डाउन में दोनों का काम बंद हो गया है. कमाई नहीं हो पा रही है. ऐसे में खाने तक के लिए पैसे नहीं है. सरकारी कोटे से 10 किलो राशन मिला है मेरे घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं इसलिए थोड़ा-थोड़ा बनाकर खाते हैं, ताकि कोई भूखा न सोए.

रिक्शा चालक भरत का कहना है कि बचपन से रिक्शा चला रहा हूं. मेरे पास न नौकरी है और न पैसा है. मेरी बेटी टीबी की मरीज है. इलाज के लिए पैसे नहीं हैं और न ही खाने के लिए पैसे हैं. सरकार कहती है घर में रहो. लेकिन हम लोगों के लिए कुछ खाने की व्यवस्था की जानी चाहिए.

मऊ: जिले में लॉकडाउन के चलते कारखाने बंद है, जिससे दिहाड़ी मजदूर को पैसों की तंगी लगातार हो रही है. रोज कमाने रोज खाने वाले कामगारों की रोजी रोटी पर संकट आ गया है. घर से बाहर नहीं निकलने की स्थिति में इनके पास पैसे नहीं आ रहें हैं. ऐसे में ये लोग खाने के लिए कुछ इंतजाम भी नहीं कर पा रहे हैं. सरकारी राशन दुकान से मिले राशन से परिवार के लोग भरपेट भोजन नहीं कर पा रहे हैं.

दिहाड़ी मजदूर आधा पेट खाना खाने को मजबूर.

लॉकडाउन में दिहाड़ी मजदूर परेशान
जिले की कांशीराम शहरी आवास परदहां में शहर के मजदूर, गरीब रहते हैं. यहां पर रहने वाला कोई रिक्शा चलाता है, तो कोई ऑटो और अधिकांश लोग मजदूरी करके गुजारा करते हैं. लॉकडाउन के चलते इनके पास खाने तक के पैसे नहीं हैं.

वहीं नशीरुद्दीन निशा जो दूसरों के घरों में चौका-बर्तन साफ करने का काम करती हैं. उनका कहना है कि मेरा बेटा ऑटो चलाता है. लॉक डाउन में दोनों का काम बंद हो गया है. कमाई नहीं हो पा रही है. ऐसे में खाने तक के लिए पैसे नहीं है. सरकारी कोटे से 10 किलो राशन मिला है मेरे घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं इसलिए थोड़ा-थोड़ा बनाकर खाते हैं, ताकि कोई भूखा न सोए.

रिक्शा चालक भरत का कहना है कि बचपन से रिक्शा चला रहा हूं. मेरे पास न नौकरी है और न पैसा है. मेरी बेटी टीबी की मरीज है. इलाज के लिए पैसे नहीं हैं और न ही खाने के लिए पैसे हैं. सरकार कहती है घर में रहो. लेकिन हम लोगों के लिए कुछ खाने की व्यवस्था की जानी चाहिए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.