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लॉकडाउन का दंश: न सप्लाई न बुनाई, बिना ताना-बाना कैसे होगी बुनकरों की कमाई

उत्तर प्रदेश के मऊ में लॉकडाउन की वजह से बुनकरों पर कोरोना का संकट जारी है. बुनकरों को कच्चा माल नहीं मिल रहा है. वहीं, जो साड़ियां बनकर तैयार हैं, उसकी सप्लाई नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में जिले के सवा लाख से अधिक बुनकरों के जीविकोपार्जन पर संकट के बादल छा गए हैं.

लॉकडाउन की वजह से बुनकरों पर कोरोना का संकट जारी है.
लॉकडाउन की वजह से बुनकरों पर कोरोना का संकट जारी है.
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Published : Jul 1, 2020, 7:57 AM IST

Updated : Jul 1, 2020, 11:22 AM IST

मऊ: जिले के बुनकरों पर कोरोना का संकट जारी है. अनलॉक में जैसे ही बाजार खुला, तो शहर में बढ़ रहे कोरोना के संक्रमण से बाजार क्षेत्र हॉटस्पॉट में तब्दील हो गया. ऐसे में बुनकरों को कच्चा माल नहीं मिल रहा है, वहीं, जो साड़ियां बनकर तैयार हैं, उसकी सप्लाई नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में जिले के सवा लाख से अधिक बुनकरों के जीविकोपार्जन पर संकट के बादल छा गए हैं.

लॉकडाउन की वजह से बुनकरों पर कोरोना का संकट जारी है.

लॉकडाउन में व्यापार पूरी तरह ठप

मऊ जिले का प्रमुख उद्योग बुनाई है. यहां सवा लाख से अधिक लोगों का जीविकोपार्जन बुनाई पर आश्रित है. देशव्यापी लॉकडाउन में दो महीने तक बुनाई का काम प्रभावित हुआ था. जिले में बढ़ रहे कोरोना के संक्रमण से बाजार पूरी तरह से बन्द हैं. शहर के चौक बाजार में बुनकरों के लिए कच्चा माल मिलता है और यहीं पर तैयार साड़ियों को गठ्ठर बनाकर सप्लाई के लिए विभिन्न स्थानों पर भेजा जाता है, लेकिन बाजार क्षेत्र हॉटस्पॉट में तब्दील होने से सेठ महाजन की गद्दी बन्द है, जिससे न तो ताना बाना (धागा) मिल रहा है, न ही बुनी हुई साड़ियों की सप्लाई हो रही है. इस हालत में पावर लूम की खटर-पटर रुक गई है. पावर लूम बंद होने से बुनकरों की आय का स्रोत बंद हो गया है. ऐसे हालात में बुनकरों को कुछ सूझ नहीं रहा कि वह क्या करें?

27 हजार पावर लूम हुए प्रभावित

लॉकडाउन के बाद बाजार बंद होने से जनपद के अंदर 27 हजार से अधिक पावर लूम की बुनाई पर असर पड़ा है. बुनाई उद्योग में 90 प्रतिशत से अधिक लोग मजदूरी का काम करते हैं. ये महाजनों से ताना-बाना लेकर मजदूरी पर साड़ी बुनते हैं. अब बाजार बंद होने से ये महाजन से मिल नहीं सकते. ऐसे में इनके पास अर्थोपार्जन का कोई जरिया नहीं बचा है. बुनकर खुर्शीद अहमद ने बताया कि हम लोगों को कुछ सूझ ही नहीं रहा कि क्या करें? पहले लॉकडाउन और बाजार बंद होने से वह पूरी तरह तबाह हो गए हैं. बुनकरों के पास बुनाई के अलावा कोई दूसरा काम भी नहीं है कि वह कर सकें. ऐसे में सिर्फ सरकार का सहारा है. बुनकरों का कहना है कि सरकार भी केवल राशन दे रही है, इससे कैसे गुजारा होगा.

5 करोड़ से अधिक का व्यापार प्रभावित

बुनकर सरफराज बताते हैं कि 3 महीने से बुनाई का काम प्रभावित है. 5 करोड़ से अधिक की साड़ी महाजनों के पास डंप पड़ी हैं. पहले लॉकडाउन अब शहर क्षेत्र में बन्दी से माल की सप्लाई नहीं हो रही है. मऊ में बनी साड़ी की मांग दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश राज्यों में अधिक है, लेकिन लॉकडाउन में यह सप्लाई पूरी तरह रुक गई है. ऐसे में जब माल बिकेगा ही नहीं, तो नया कैसे तैयार होगा.


मऊ: जिले के बुनकरों पर कोरोना का संकट जारी है. अनलॉक में जैसे ही बाजार खुला, तो शहर में बढ़ रहे कोरोना के संक्रमण से बाजार क्षेत्र हॉटस्पॉट में तब्दील हो गया. ऐसे में बुनकरों को कच्चा माल नहीं मिल रहा है, वहीं, जो साड़ियां बनकर तैयार हैं, उसकी सप्लाई नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में जिले के सवा लाख से अधिक बुनकरों के जीविकोपार्जन पर संकट के बादल छा गए हैं.

लॉकडाउन की वजह से बुनकरों पर कोरोना का संकट जारी है.

लॉकडाउन में व्यापार पूरी तरह ठप

मऊ जिले का प्रमुख उद्योग बुनाई है. यहां सवा लाख से अधिक लोगों का जीविकोपार्जन बुनाई पर आश्रित है. देशव्यापी लॉकडाउन में दो महीने तक बुनाई का काम प्रभावित हुआ था. जिले में बढ़ रहे कोरोना के संक्रमण से बाजार पूरी तरह से बन्द हैं. शहर के चौक बाजार में बुनकरों के लिए कच्चा माल मिलता है और यहीं पर तैयार साड़ियों को गठ्ठर बनाकर सप्लाई के लिए विभिन्न स्थानों पर भेजा जाता है, लेकिन बाजार क्षेत्र हॉटस्पॉट में तब्दील होने से सेठ महाजन की गद्दी बन्द है, जिससे न तो ताना बाना (धागा) मिल रहा है, न ही बुनी हुई साड़ियों की सप्लाई हो रही है. इस हालत में पावर लूम की खटर-पटर रुक गई है. पावर लूम बंद होने से बुनकरों की आय का स्रोत बंद हो गया है. ऐसे हालात में बुनकरों को कुछ सूझ नहीं रहा कि वह क्या करें?

27 हजार पावर लूम हुए प्रभावित

लॉकडाउन के बाद बाजार बंद होने से जनपद के अंदर 27 हजार से अधिक पावर लूम की बुनाई पर असर पड़ा है. बुनाई उद्योग में 90 प्रतिशत से अधिक लोग मजदूरी का काम करते हैं. ये महाजनों से ताना-बाना लेकर मजदूरी पर साड़ी बुनते हैं. अब बाजार बंद होने से ये महाजन से मिल नहीं सकते. ऐसे में इनके पास अर्थोपार्जन का कोई जरिया नहीं बचा है. बुनकर खुर्शीद अहमद ने बताया कि हम लोगों को कुछ सूझ ही नहीं रहा कि क्या करें? पहले लॉकडाउन और बाजार बंद होने से वह पूरी तरह तबाह हो गए हैं. बुनकरों के पास बुनाई के अलावा कोई दूसरा काम भी नहीं है कि वह कर सकें. ऐसे में सिर्फ सरकार का सहारा है. बुनकरों का कहना है कि सरकार भी केवल राशन दे रही है, इससे कैसे गुजारा होगा.

5 करोड़ से अधिक का व्यापार प्रभावित

बुनकर सरफराज बताते हैं कि 3 महीने से बुनाई का काम प्रभावित है. 5 करोड़ से अधिक की साड़ी महाजनों के पास डंप पड़ी हैं. पहले लॉकडाउन अब शहर क्षेत्र में बन्दी से माल की सप्लाई नहीं हो रही है. मऊ में बनी साड़ी की मांग दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश राज्यों में अधिक है, लेकिन लॉकडाउन में यह सप्लाई पूरी तरह रुक गई है. ऐसे में जब माल बिकेगा ही नहीं, तो नया कैसे तैयार होगा.


Last Updated : Jul 1, 2020, 11:22 AM IST
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