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खुले मंदिर लेकिन भक्तों ने बनाई दूरी, दुकानदारों के सामने रोजी-रोटी का संकट - मऊ के दर्शनीय स्थल

अनलॉक शुरू होने के बाद यूपी के मऊ जिले में मंदिरों के कपाट तो खुल गए हैं. लेकिन, कोरोना संक्रमण के डर से भक्तों ने मंदिरों ने दूरी बना ली है. ऐसे में श्रद्धालुओं के नहीं आने से मंदिरों के आस-पास बनी दुकानों पर सन्नाटा पसरा रहता है. जिससे इन दुकानदारों की आय पर काफी असर पड़ा है.

मंदिरों के बंद होने पर दुकानदारों पर छाया रोजी रोटी का संकट
मंदिरों के बंद होने पर दुकानदारों पर छाया रोजी रोटी का संकट
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Published : Sep 27, 2020, 3:04 PM IST

मऊ: भारत धार्मिक उत्सवधर्मिता देश है. यहां हर सप्ताह, महीने कोई न कोई व्रत त्योहार पड़ते रहते हैं, जिसमें लोग घरों से बाहर निकल कर मन्दिरों में पूजा पाठ करते हैं. लेकिन कोरोना काल मे जहां पूरे लॉकडाउन के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहे, वहीं अनलॉक में मंदिरों के कपाट तो खुले लेकिन लोग मंदिरों में जाने से परहेज कर रहें हैं. ऐसे में पूजन सामग्री बेचने वाले, मंदिरों के आस-पास के रेहड़ी लगाकर जीविकोपार्जन करने वाले लोग निराश हैं. मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या में कमी तो है ही, जो लोग आ भी रहें हैं वह कोरोना वायरस के डर से फूल प्रसाद खरीदने से परहेज कर रहे हैं.

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दुकानों पर सन्नाटा
जनपद में वन देवी धाम और शीतला धाम प्रमुख धार्मिक स्थल हैं. जहां पर सामान्य दिनों में भक्तों की भारी भीड़ रहती थी. लोग तीज-त्योहारों में दर्शन तो करते ही है, लगन के समय इन मंदिरों पर बड़ी संख्या में नव जोड़े भी सात फेरे लेते थे. ऐसे में इन स्थानों पर लोगों की भारी भीड़ होती थी. बड़ी संख्या में लोगों के आवागमन से विभिन्न प्रकार से दुकानदारों का अर्थोपार्जन होता था. मंदिर के आस-पास बनी दुकानों में कोई फूल-माला और प्रसाद बेचता है तो कोई चाट-समोसा, बच्चों के खिलौने और महिलाओं के सौन्दर्य प्रसाधन बेचकर अपनी रोजी-रोटी चलाता हैं, लेकिन कोरोना के चलते इन सभी का धंधा मंदा हो गया है.


वनदेवी मंदिर पर प्रसाद की दुकान लगाने वाले अमित यादव ने बताया कि अब श्रद्धालुओं की संख्या में बहुत कमी आई है, जो लोग आते भी हैं वह केवल प्रसाद खरीदते हैं, जबकि कोरोना से पहले महिलाएं प्रसाद के बाद तमाम जरूत के समान खरीदती थीं. लेकिन जबसे लॉकडाउन हुआ लोगों के पास पैसे की कमी हो गई है. ऐसे में कोई प्रसाद ही चढ़ा ले वही मुश्किल है. इस तरह मंदी है कि गांव या शहर सभी के पास पैसे की किल्लत है. अमित ने बताया कि त्योहार और लगन से समय ही लॉकडाउन रहा. इसी समय कमाई हो जाती थी, लेकिन इस वर्ष जो माल आया था वह फंस गया है. पूरी पूंजी डूब रही है. कमाई तो बहुत दूर की बात है.

मऊ से स्पेशल रिपोर्ट
वहीं मंदिर पर फूल माला बेचने वाले श्याम सुंदर फूलों माला बनाते हुए मिले. उन्होंने बताया कि इस कोरोना के दौरान मंदी से वह भी प्रभावित हुए हैं. श्यामसुंदर ने बताया कि लॉकडाउन में तो मंदिर पूरी तरह से बंद ही रहा है. इस दौरान तो कमाई पूरी तरह बन्द रही, अब मंदिर खुल गया है तो लोग बहुत कम आ रहें हैं, जो पूजा कर भी रहें हैं, उनमें से कुछ ही फूल माला खरीद रहें हैं. लोग कोरोना के डर से घर से ही फूल लेकर आ रहें हैं. श्याम सुंदर ने बताया कि पहले तीन सौ रूपये की बचत हो जाती थी, लेकिन इस समय 50 से 60 रूपये की कमाई मुश्किल हो गई है. घर पर पांच लोगों का परिवार है. उसका खर्च चलाना मुश्किल हो गया है.
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मंदिर परिसर में सन्नाटा

मंदिर आने वाले श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन पूजन करने के बाद नाश्ते पानी पर भी खर्च करते हैं, लेकिन अब लोग घर से कम निकल रहें हैं, जो मंदिर जा रहें हैं, उनके पास पैसे का आभाव है, जिससे दुकानदारों की भी कमाई ठप है.

इस दौरान हमें चाट समोसे का ठेला लगाए युवा शशि बिहारी मिला. शशि ने बताया कि कोरोना के चलते हम लोगों का भी वही हाल है, जो सबका है. लोग मंदिर आते नहीं हैं. ऐसे में खरीदेगा कौन. ऐसे में कई दुकानें बन्द हो गई हैं. शशि ने कहा कि हम अपनी दुकान खोल रहें हैं. किसी तरह खर्च निकल जा रहा है.

मऊ: भारत धार्मिक उत्सवधर्मिता देश है. यहां हर सप्ताह, महीने कोई न कोई व्रत त्योहार पड़ते रहते हैं, जिसमें लोग घरों से बाहर निकल कर मन्दिरों में पूजा पाठ करते हैं. लेकिन कोरोना काल मे जहां पूरे लॉकडाउन के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहे, वहीं अनलॉक में मंदिरों के कपाट तो खुले लेकिन लोग मंदिरों में जाने से परहेज कर रहें हैं. ऐसे में पूजन सामग्री बेचने वाले, मंदिरों के आस-पास के रेहड़ी लगाकर जीविकोपार्जन करने वाले लोग निराश हैं. मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या में कमी तो है ही, जो लोग आ भी रहें हैं वह कोरोना वायरस के डर से फूल प्रसाद खरीदने से परहेज कर रहे हैं.

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दुकानों पर सन्नाटा
जनपद में वन देवी धाम और शीतला धाम प्रमुख धार्मिक स्थल हैं. जहां पर सामान्य दिनों में भक्तों की भारी भीड़ रहती थी. लोग तीज-त्योहारों में दर्शन तो करते ही है, लगन के समय इन मंदिरों पर बड़ी संख्या में नव जोड़े भी सात फेरे लेते थे. ऐसे में इन स्थानों पर लोगों की भारी भीड़ होती थी. बड़ी संख्या में लोगों के आवागमन से विभिन्न प्रकार से दुकानदारों का अर्थोपार्जन होता था. मंदिर के आस-पास बनी दुकानों में कोई फूल-माला और प्रसाद बेचता है तो कोई चाट-समोसा, बच्चों के खिलौने और महिलाओं के सौन्दर्य प्रसाधन बेचकर अपनी रोजी-रोटी चलाता हैं, लेकिन कोरोना के चलते इन सभी का धंधा मंदा हो गया है.


वनदेवी मंदिर पर प्रसाद की दुकान लगाने वाले अमित यादव ने बताया कि अब श्रद्धालुओं की संख्या में बहुत कमी आई है, जो लोग आते भी हैं वह केवल प्रसाद खरीदते हैं, जबकि कोरोना से पहले महिलाएं प्रसाद के बाद तमाम जरूत के समान खरीदती थीं. लेकिन जबसे लॉकडाउन हुआ लोगों के पास पैसे की कमी हो गई है. ऐसे में कोई प्रसाद ही चढ़ा ले वही मुश्किल है. इस तरह मंदी है कि गांव या शहर सभी के पास पैसे की किल्लत है. अमित ने बताया कि त्योहार और लगन से समय ही लॉकडाउन रहा. इसी समय कमाई हो जाती थी, लेकिन इस वर्ष जो माल आया था वह फंस गया है. पूरी पूंजी डूब रही है. कमाई तो बहुत दूर की बात है.

मऊ से स्पेशल रिपोर्ट
वहीं मंदिर पर फूल माला बेचने वाले श्याम सुंदर फूलों माला बनाते हुए मिले. उन्होंने बताया कि इस कोरोना के दौरान मंदी से वह भी प्रभावित हुए हैं. श्यामसुंदर ने बताया कि लॉकडाउन में तो मंदिर पूरी तरह से बंद ही रहा है. इस दौरान तो कमाई पूरी तरह बन्द रही, अब मंदिर खुल गया है तो लोग बहुत कम आ रहें हैं, जो पूजा कर भी रहें हैं, उनमें से कुछ ही फूल माला खरीद रहें हैं. लोग कोरोना के डर से घर से ही फूल लेकर आ रहें हैं. श्याम सुंदर ने बताया कि पहले तीन सौ रूपये की बचत हो जाती थी, लेकिन इस समय 50 से 60 रूपये की कमाई मुश्किल हो गई है. घर पर पांच लोगों का परिवार है. उसका खर्च चलाना मुश्किल हो गया है.
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मंदिर परिसर में सन्नाटा

मंदिर आने वाले श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन पूजन करने के बाद नाश्ते पानी पर भी खर्च करते हैं, लेकिन अब लोग घर से कम निकल रहें हैं, जो मंदिर जा रहें हैं, उनके पास पैसे का आभाव है, जिससे दुकानदारों की भी कमाई ठप है.

इस दौरान हमें चाट समोसे का ठेला लगाए युवा शशि बिहारी मिला. शशि ने बताया कि कोरोना के चलते हम लोगों का भी वही हाल है, जो सबका है. लोग मंदिर आते नहीं हैं. ऐसे में खरीदेगा कौन. ऐसे में कई दुकानें बन्द हो गई हैं. शशि ने कहा कि हम अपनी दुकान खोल रहें हैं. किसी तरह खर्च निकल जा रहा है.

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