मऊ: भारत धार्मिक उत्सवधर्मिता देश है. यहां हर सप्ताह, महीने कोई न कोई व्रत त्योहार पड़ते रहते हैं, जिसमें लोग घरों से बाहर निकल कर मन्दिरों में पूजा पाठ करते हैं. लेकिन कोरोना काल मे जहां पूरे लॉकडाउन के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहे, वहीं अनलॉक में मंदिरों के कपाट तो खुले लेकिन लोग मंदिरों में जाने से परहेज कर रहें हैं. ऐसे में पूजन सामग्री बेचने वाले, मंदिरों के आस-पास के रेहड़ी लगाकर जीविकोपार्जन करने वाले लोग निराश हैं. मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या में कमी तो है ही, जो लोग आ भी रहें हैं वह कोरोना वायरस के डर से फूल प्रसाद खरीदने से परहेज कर रहे हैं.
वनदेवी मंदिर पर प्रसाद की दुकान लगाने वाले अमित यादव ने बताया कि अब श्रद्धालुओं की संख्या में बहुत कमी आई है, जो लोग आते भी हैं वह केवल प्रसाद खरीदते हैं, जबकि कोरोना से पहले महिलाएं प्रसाद के बाद तमाम जरूत के समान खरीदती थीं. लेकिन जबसे लॉकडाउन हुआ लोगों के पास पैसे की कमी हो गई है. ऐसे में कोई प्रसाद ही चढ़ा ले वही मुश्किल है. इस तरह मंदी है कि गांव या शहर सभी के पास पैसे की किल्लत है. अमित ने बताया कि त्योहार और लगन से समय ही लॉकडाउन रहा. इसी समय कमाई हो जाती थी, लेकिन इस वर्ष जो माल आया था वह फंस गया है. पूरी पूंजी डूब रही है. कमाई तो बहुत दूर की बात है.
मंदिर आने वाले श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन पूजन करने के बाद नाश्ते पानी पर भी खर्च करते हैं, लेकिन अब लोग घर से कम निकल रहें हैं, जो मंदिर जा रहें हैं, उनके पास पैसे का आभाव है, जिससे दुकानदारों की भी कमाई ठप है.
इस दौरान हमें चाट समोसे का ठेला लगाए युवा शशि बिहारी मिला. शशि ने बताया कि कोरोना के चलते हम लोगों का भी वही हाल है, जो सबका है. लोग मंदिर आते नहीं हैं. ऐसे में खरीदेगा कौन. ऐसे में कई दुकानें बन्द हो गई हैं. शशि ने कहा कि हम अपनी दुकान खोल रहें हैं. किसी तरह खर्च निकल जा रहा है.