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मऊ: वोट के अधिकार की सबसे उत्साहवर्धक तस्वीर, आप भी करेंगे इनके हौसले को सलाम

रविवार को सातवें और आखिरी चरण के लिए मतदान खत्म हो गया. इस चरण में प्रदेश के 11 जिलों की 13 सीटों पर वोट डाले गए. सभी क्षेत्रों में मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला लेकिन मऊ जनपद से एक दिव्यांग वोटर की तस्वीर ने लोकतंत्र की मजबूती की बेहतरीन नमूना पेश किया.

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Published : May 19, 2019, 8:35 PM IST

मतदान करने पहुंचे इस युवक के हौसले से लोग दंग.

मऊ: लोकतंत्र में वोट देने के अधिकार ओर ताकत की सबसे उत्साहवर्धक तस्वीर जनपद मऊ से आई है. जहां एक दिव्यांग ने दोनों पैरों के न होते हुए भी वोट देने के लिए परिवार के लोगों के सहयोग से बूथ पहुंचकर वोट किया.

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मतदान करने पहुंचे इस युवक के हौसले से लोग दंग.

बता दें कि जनपद मऊ के रहने वाले अभिषेक पांडेय ने 2 साल पहले ट्रेन से गिरकर अपने दोनों पैर पूरी तरह गंवा दिए थे. कुछ महीने पहले अभिषेक व उसके पिता ने मदद के लिए मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी गुहार लगाई थी लेकिन कोई मदद नहीं पहुंची. जून 2017 में ट्रेन से मऊ से बलिया जाते वक्त अभिषेक दरवाजे से बाहर गिर पड़े जिससे उनके कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह से कटकर अलग हो गया.

उनके इलाज में अब तक लगभग 20 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं. आगे के इलाज व आर्टिफिशियल पैर लगाने में लगभग 30 लाख रुपए का खर्च है. जिसके लिए उन्होंने बड़े उद्योगपतियों और अभिनेताओं से सहयोग करने की अपील की है.

सरायलखंसी थाना क्षेत्र के ग्राम परसपुरा निवासी आज जब अभिषेक पांडेय मतदान करने अपने बूथ पर पहुंचे तो उनका उत्साह देखकर दूसरे लोगों की भीड़ भी लगने लगी. मतदान अधिकारियों सहित सभी वोटरों ने उनके जज्बे को सलाम किया है.

मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किए अभिषेक ने सरकार से मांग की है कि उन्हें इलाज में मदद मिले. यदि सरकार मदद भी नहीं दे सकती तो कम से कम एक ऐसी नौकरी दें जिसमें बोलकर या लिखकर काम किया जा सकता हो.

मऊ: लोकतंत्र में वोट देने के अधिकार ओर ताकत की सबसे उत्साहवर्धक तस्वीर जनपद मऊ से आई है. जहां एक दिव्यांग ने दोनों पैरों के न होते हुए भी वोट देने के लिए परिवार के लोगों के सहयोग से बूथ पहुंचकर वोट किया.

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मतदान करने पहुंचे इस युवक के हौसले से लोग दंग.

बता दें कि जनपद मऊ के रहने वाले अभिषेक पांडेय ने 2 साल पहले ट्रेन से गिरकर अपने दोनों पैर पूरी तरह गंवा दिए थे. कुछ महीने पहले अभिषेक व उसके पिता ने मदद के लिए मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी गुहार लगाई थी लेकिन कोई मदद नहीं पहुंची. जून 2017 में ट्रेन से मऊ से बलिया जाते वक्त अभिषेक दरवाजे से बाहर गिर पड़े जिससे उनके कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह से कटकर अलग हो गया.

उनके इलाज में अब तक लगभग 20 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं. आगे के इलाज व आर्टिफिशियल पैर लगाने में लगभग 30 लाख रुपए का खर्च है. जिसके लिए उन्होंने बड़े उद्योगपतियों और अभिनेताओं से सहयोग करने की अपील की है.

सरायलखंसी थाना क्षेत्र के ग्राम परसपुरा निवासी आज जब अभिषेक पांडेय मतदान करने अपने बूथ पर पहुंचे तो उनका उत्साह देखकर दूसरे लोगों की भीड़ भी लगने लगी. मतदान अधिकारियों सहित सभी वोटरों ने उनके जज्बे को सलाम किया है.

मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किए अभिषेक ने सरकार से मांग की है कि उन्हें इलाज में मदद मिले. यदि सरकार मदद भी नहीं दे सकती तो कम से कम एक ऐसी नौकरी दें जिसमें बोलकर या लिखकर काम किया जा सकता हो.

वोट के अधिकार की सबसे उत्साहवर्धक तस्वीर, इनके जज्बे को सलाम! आप भी देखें

मऊ। लोकतंत्र में वोट देने के अधिकार ओर ताकत की सबसे उत्साहवर्धक तस्वीर जनपद मऊ से आई है. जहां एक दिव्यांग ने दोनों पैरों के न होते हुए भी वोट देने के लिए परिवार के लोगों के सहयोग से बूथ पहुंचकर वोट किया.

बता दें कि जनपद मऊ के रहने वाले अभिषेक पांडेय ने 2 साल पहले ट्रेन से गिरकर अपने दोनों पैर पूरी तरह गंवा दिए थे. कुछ महीने पहले अभिषेक व उसके पिता ने मदद के लिए मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी गुहार लगाई थी लेकिन कोई मदद नहीं पहुंची. जून 2017 में ट्रेन से मऊ से बलिया जाते वक्त अभिषेक दरवाजे से बाहर गिर पड़े जैसे उनके कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह से कटकर अलग हो गया. इलाज में अब तक लगभग 20 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं. आगे के इलाज व आर्टिफिशियल पैर लगाने में लगभग 30 लाख रुपए का खर्च है. जिसके लिए उन्होंने बड़े उद्योगपतियों और अभिनेताओं से सहयोग करने की अपील की है बड़े उद्योगपतियों और अभिनेताओं से भी सहयोग करने की अपील की है.

सरायलखंसी थाना क्षेत्र के ग्राम परसपुरा निवासी आज जब अभिषेक पांडेय मतदान करने अपने बूथ पर पहुंचे तो उनका उत्साह देखकर दूसरे लोगों की भीड़ भी लगने लगी. मतदान अधिकारियों सहित सभी वोटरों ने उनके जज्बे को सलाम किया है.

मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किए अभिषेक ने सरकार से मांग की है कि उन्हें इलाज में मदद मिले. यदि सरकार मदद भी नहीं दे सकती तो कम से कम एक ऐसी नौकरी दे दे जिसमें बोलकर या लिखकर काम किया जा सकता हो. मैं अपने हौसले और इमानदारी से कई घंटे काम कर सकता हूं.
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