मऊः कुख्यात हिस्ट्रीशीटर और पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह का शव गुरुवार रात उनके गांव देवसीपुर पहुंचा. कुछ ही देर बाद शवयात्रा गाजीपुर के लिए रवाना हुई. शुक्रवार की देर रात गंगा तट स्थित बैकुंठ धाम श्मशान घाट पर उसका अंतिम संस्कार किया गया. मुखाग्नि 12 वर्षीय बेटे उत्कर्ष ने दी. अजीत का शव जब घर से लेकर लोग चले तो सैकड़ों लोगों का हुजूम था. शुक्रवार के शाम तक घर पर भारी भीड़ रही. गौरतलब है कि अजीत सिंह की हत्या लखनऊ में बुधवार की देर शाम 8 बजे हो गई थी. शव लखनऊ में पोस्टमार्टम होने के बाद गुरुवार की रात लगभग 11 बजे उनके गांव पहुंचा था.
क्षेत्र के लोगों का चहेता बन गया था अजीत
अपने राजनीतिक करियर में अजीत ने काफी समर्थक बना लिए थे. यह नजारा दिखा उसकी अंतिम यात्रा में. शाम 4:00 बजे उसका शव जब वहां से रवाना हुआ तभी से घर में लोगों की भीड़ जुटना शुरू हो गई थी. जब शव आजमगढ़ तक आ गया तो वहां से लगायत करहां बाजार तक जगह-जगह उनके समर्थक अपने वाहन लेकर सड़क किनारे इंतजार करते रहे. ज्यों-ज्यों शव घर के समीप पहुंचा काफिला बढ़ता ही गया. घर पहुंचते ही काफी भीड़ उमड़ पड़ी. पुलिस प्रशासन को भी इसका अनुमान नहीं था. हालत यह थी कि 100 से अधिक गाड़ियां शव यात्रा में शामिल थीं. शव के घर पहुंचते ही स्वजन और समर्थक दहाड़ें मारकर रो पड़े. भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस के पसीने छूट गए. सुरक्षा की दृष्टि से मुहम्मदाबाद गोहना सर्किल के तीनों थानों मुहम्मदाबाद गोहना कोतवाली, रानीपुर व चिरैयाकोट प्रभारी तैनात रहे.
रानू की चीखें सुनकर लोग नहीं रोक सके आंसू
अजीत की पत्नी व पूर्व ब्लॉक प्रमुख रानू सिंह की चीख-पुकार से वहां मौजूद लोगों की आंखों से आंसू छलक पड़े. यही हाल तब भी हुआ जब बेटे उत्कर्ष ने मुखाग्नि दी. अजीत का छोटा बेटा तीन वर्ष का अबोध है.