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बंदरों के आतंक के साए में जी रहे ब्रजवासी - uttar pradesh news

यूपी के मथुरा में बंदरों का आतंक चरम पर है. बंदर यहां आने वाले श्रद्धालुओं और बच्चों पर हमला करके उन्हें चोटिल कर दे रहे हैं.

बंदरों का आतंक
बंदरों का आतंक
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Published : Feb 3, 2021, 2:29 PM IST

मथुरा: कान्हा की नगरी में लंबे समय से चला आ रहा बंदरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. जनपद में भारी संख्या में बंदर लोगों के लिए आफत बने हुए हैं. बंदर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं के ऊपर आए दिन हमला कर उन्हें चोटिल कर दे रहे हैं. बंदरों के आतंक का आलम यहां तक है कि छोटे बच्चों का अकेले घर से बाहर निकलना भी मुश्किल है.

बंदरों का आतंक

आतंक का पर्याय बने बंदर
मंदिरों में श्रद्धालुओं के आवागमन को भी बंदरों ने प्रभावित किया हुआ है. बंदर श्रद्धालुओं का चश्मा, मोबाइल, पैसे कीमती सामान कुछ भी लेकर भाग जाते हैं और नष्ट कर देते हैं. जिसके चलते श्रद्धालुओं को भी बंदरों के आतंक का सामना करना पड़ रहा है.

स्थानीय लोगों ने बयां किया दर्द
लंबे समय से बंदरों के आतंक से जूझ रहे स्थानीय लोगों का कहना है कि वह लंबे समय से बंदरों के आतंक से परेशान है. छोटे बच्चों का घर से निकलना भी मुश्किल है. जब तक कोई बड़ा छोटे बच्चों के साथ न हो तो वह घर से अकेले बाहर भी नहीं निकल सकते, क्योंकि बंदर कहीं से भी अचानक से हमला करके काट कर बच्चों को चोटिल कर देते हैं.

मथुरा: कान्हा की नगरी में लंबे समय से चला आ रहा बंदरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है. जनपद में भारी संख्या में बंदर लोगों के लिए आफत बने हुए हैं. बंदर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाओं के ऊपर आए दिन हमला कर उन्हें चोटिल कर दे रहे हैं. बंदरों के आतंक का आलम यहां तक है कि छोटे बच्चों का अकेले घर से बाहर निकलना भी मुश्किल है.

बंदरों का आतंक

आतंक का पर्याय बने बंदर
मंदिरों में श्रद्धालुओं के आवागमन को भी बंदरों ने प्रभावित किया हुआ है. बंदर श्रद्धालुओं का चश्मा, मोबाइल, पैसे कीमती सामान कुछ भी लेकर भाग जाते हैं और नष्ट कर देते हैं. जिसके चलते श्रद्धालुओं को भी बंदरों के आतंक का सामना करना पड़ रहा है.

स्थानीय लोगों ने बयां किया दर्द
लंबे समय से बंदरों के आतंक से जूझ रहे स्थानीय लोगों का कहना है कि वह लंबे समय से बंदरों के आतंक से परेशान है. छोटे बच्चों का घर से निकलना भी मुश्किल है. जब तक कोई बड़ा छोटे बच्चों के साथ न हो तो वह घर से अकेले बाहर भी नहीं निकल सकते, क्योंकि बंदर कहीं से भी अचानक से हमला करके काट कर बच्चों को चोटिल कर देते हैं.

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