मथुरा : जनपद के सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह प्रकरण को लेकर एक याचिका दायर की गई. इसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता ने 1974 में हुई डिक्री रद्द करने की मांग की है. परिसर में अवैध निर्माण का आरोप लगाते हुए उसे ध्वस्त करने की मांग की. फिलहाल न्यायालय ने प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट भेजने का आदेश पारित किया है, क्योंकि हाई कोर्ट न्यायालय में ही सभी मामले विचाराधीन हैं.
मालिकाना हक श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट के पास : श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ताओं ने आज सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया. मांग की कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के बीच 1974 में हुए डिक्री समझौते को रद्द किया जाए. मंदिर परिसर में बने अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाए. श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट केशव कटरा मंदिर की जमीन पर बना हुआ है, जमीन का मालिकाना हक श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट के पास है तो अधिकार भी ट्रस्ट के पास ही होना चाहिए, डिक्री करने का अधिकार दोनों संस्था को नहीं है, इसलिए इसे रद्द किया जाए.
अधिवक्ता के मुताबिक विवादित ईदगाह, श्रीकृष्ण जन्म स्थान का भाग है. मौके के मुताबिक वाली जो संपत्ति है, कुल संपत्ति का खेवट नंबर 255, खसरा संख्या 825 है, इसमें ईदगाह शामिल है, उसका रकबा 13.37 एकड़ राजस्व अभिलेख श्रीकृष्ण जन्म स्थान संपत्ति मलकियत के रूप में दर्ज है. प्रॉपर्टी हाल में मंदिर और ईदगाह नगर पालिका, अब नगर निगम की सीमा के अंदर है. नगर निगम के रिकॉर्ड में संपत्ति श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की अंकित चली आ रही है. ईदगाह के पास मलकियत से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं है, कोर्ट में कोई दस्तावेज जमा नहीं कराए हैं.
ये है मौजूदा स्थिति : श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. इसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा 25 सितंबर 2020 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली गई. जिसमें श्री कृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईदगाह कमेटी को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया. अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट से मांग की गई है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान को मस्जिद मुक्त मंदिर बनाया जाए.
बनारस के राजा पटनी मल ने खरीदी थी जमीन : ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनीमल ने इस जगह को खरीदा. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा को देखकर दुखित हुए. स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय जी से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए. मदन मोहन मालवीय जी ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को पत्र लिखकर जन्मभूमि पुनरुद्वार के लिए पत्र लिखा था.
कब बना मंदिर : 21 फरवरी 1951 में श्री कृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना हुई. 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईद का मस्जिद कमेटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1974 को यह जमीन डिक्री की गई.
अधिवक्ता महेश चंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में आज श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट ने याचिका दाखिल की. मांग की गई है कि 1974 में हुई डिक्री को रद्द किया जाए. मंदिर परिसर में बने अवैध निर्माण को ध्वस्त किया जाए, क्योंकि श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान और शाही ईदगाह मस्जिद को डिग्री करने का कोई अधिकार नहीं है. मालिकाना हक श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट के पास है.
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