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श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह मामले में अब 17 अप्रैल को होगी सुनवाई - Shri Krishna Janmabhoomi

श्रीकृष्ण जन्मभूमि और ईदगाह के मामले में मथुरा एडीजे कोर्ट में अब 17 अप्रैल को सुनवाई होगी. सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि पहले सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई होनी चाहिए.

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Published : Apr 11, 2023, 10:01 PM IST

मथुरा: सिविल जज सीनियर डिवीजन एफटीसी कोर्ट में मंगलवार को वाद संख्या 639/22 वादी विष्णु गुप्ता की याचिका पर सुनवाई हुई. सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने कोर्ट मे कहा कि पहले सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई होनी चाहिए. जबकि वादी के अधिवक्ता ने आपत्ति लगाते हुए कहा कि विवादित स्थान का सर्वे होने से किसी के अधिकारों का हनन नहीं होता. बाद में सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई हो सकती है. कोर्ट ने अगली सुनवाई 17 अप्रैल को निर्धारित की है.


दरअसल, हिंदू सेना संगठन अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने पिछले वर्ष न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए मांग गई थी कि विवादित स्थान जो कि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़ कर अवैध शाही मस्जिद का निर्माण किया था. उस स्थान का सर्वे सरकारी अमीन के द्वारा कराकर रिपोर्ट न्यायालय में पेश की जाए. अधिवक्ता के मुताबिक विवादित ईदगाह श्रीकृष्ण जन्म स्थान का भाग है. मौजूदा समय समय में ईदगाह वाली कुल संपत्ति का 255 खसरा संख्या 825 जिसमे ईदगाह शामिल है. उसका रकबा 13.37 एकड़ राजस्व अभिलेख श्रीकृष्ण जन्म स्थान संपत्ति मलकियत के रूप में दर्ज है. मंदिर, ईदगाह, नगर पालिका अब नगर निगम की सीमा के अंदर है. नगर निगम के रिकॉर्ड में संपत्ति श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की अंकित चली आ रही है. ईदगाह के पास मलकियत से सम्बंधित कोई दस्तावेज नहीं है. इसके अलावा न ही कोर्ट में कोई दस्तावेज जमा कराया है.

हिंदू सेना संगठन अध्यक्ष ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान जो प्राचीन विराजमान कटरा केशव देव मंदिर की जगह पर बना हुआ है. कोर्ट में दाखिल सभी प्रार्थना पत्र में यह मांग की जा रही है कि पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को वापस की जाए. 1968 मे श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्म भूमि सेवा ट्रस्ट में जो समझौता हुआ था. उसे जमीन डिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है.



वादी के अधिवक्ता शैलेश दुबे ने एफटीसी कोर्ट में अहम तथ्य को रखा था. इस वजह से 8 दिसंबर 2022 को विवादित स्थान का सर्वे सरकारी अमीन से आख्या मांगने के आदेश किए गए थे. प्रतिवादी अधिवक्ताओं ने अभी तक कोर्ट में कोई आपत्ति दाखिल नहीं की है. जबकि 29 अप्रैल को एफटीसी कोर्ट में पिछले आदेश को पुनः कार्य में लिया और आदेश कर दिए गए 5 अप्रैल को सरकारी अमीन को कोर्ट ने रिट जारी कर दी गई. सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने अपनी दलील पेश की. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी.



यह भी पढ़ें- आरपीएफ के महानिदेशक संजय चंदर के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल

मथुरा: सिविल जज सीनियर डिवीजन एफटीसी कोर्ट में मंगलवार को वाद संख्या 639/22 वादी विष्णु गुप्ता की याचिका पर सुनवाई हुई. सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने कोर्ट मे कहा कि पहले सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई होनी चाहिए. जबकि वादी के अधिवक्ता ने आपत्ति लगाते हुए कहा कि विवादित स्थान का सर्वे होने से किसी के अधिकारों का हनन नहीं होता. बाद में सेवन रूल इलेवन पर सुनवाई हो सकती है. कोर्ट ने अगली सुनवाई 17 अप्रैल को निर्धारित की है.


दरअसल, हिंदू सेना संगठन अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने पिछले वर्ष न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए मांग गई थी कि विवादित स्थान जो कि मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर तोड़ कर अवैध शाही मस्जिद का निर्माण किया था. उस स्थान का सर्वे सरकारी अमीन के द्वारा कराकर रिपोर्ट न्यायालय में पेश की जाए. अधिवक्ता के मुताबिक विवादित ईदगाह श्रीकृष्ण जन्म स्थान का भाग है. मौजूदा समय समय में ईदगाह वाली कुल संपत्ति का 255 खसरा संख्या 825 जिसमे ईदगाह शामिल है. उसका रकबा 13.37 एकड़ राजस्व अभिलेख श्रीकृष्ण जन्म स्थान संपत्ति मलकियत के रूप में दर्ज है. मंदिर, ईदगाह, नगर पालिका अब नगर निगम की सीमा के अंदर है. नगर निगम के रिकॉर्ड में संपत्ति श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट की अंकित चली आ रही है. ईदगाह के पास मलकियत से सम्बंधित कोई दस्तावेज नहीं है. इसके अलावा न ही कोर्ट में कोई दस्तावेज जमा कराया है.

हिंदू सेना संगठन अध्यक्ष ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान जो प्राचीन विराजमान कटरा केशव देव मंदिर की जगह पर बना हुआ है. कोर्ट में दाखिल सभी प्रार्थना पत्र में यह मांग की जा रही है कि पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को वापस की जाए. 1968 मे श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्म भूमि सेवा ट्रस्ट में जो समझौता हुआ था. उसे जमीन डिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है.



वादी के अधिवक्ता शैलेश दुबे ने एफटीसी कोर्ट में अहम तथ्य को रखा था. इस वजह से 8 दिसंबर 2022 को विवादित स्थान का सर्वे सरकारी अमीन से आख्या मांगने के आदेश किए गए थे. प्रतिवादी अधिवक्ताओं ने अभी तक कोर्ट में कोई आपत्ति दाखिल नहीं की है. जबकि 29 अप्रैल को एफटीसी कोर्ट में पिछले आदेश को पुनः कार्य में लिया और आदेश कर दिए गए 5 अप्रैल को सरकारी अमीन को कोर्ट ने रिट जारी कर दी गई. सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने अपनी दलील पेश की. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी.



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