लखनऊ : इन दिनों यूट्राइन ट्यूमर महिलाओं में होने वाली एक आम बीमारी हो गई है. अगर, आपको भी माहवारी के दौरान अधिक ब्लीडिंग और अत्याधिक दर्द होता है तो थोड़ा सर्तक हो जाएं. ज्यादातर महिलाएं इसके बारे में जागरूक नहीं हैं. रोजाना ओपीडी में चार से पांच महिलाएं आ रहीं हैं, जिन्हें यूट्राइन ट्यूमर हैं. बच्चेदानी में ट्यूमर होने पर कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं. ये परेशानियां इस बात पर निर्भर करती हैं कि ट्यूमर का आकार, स्थान, और प्रकार क्या है.
सिविल अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रश्मि यादव ने बताया कि हार्मोन थेरेपी और गर्भाशय धमनी एम्बोलाइजेशन जैसे नॉन-सर्जिकल इलाज प्रभावी रूप से बच्चेदानी में गांठ के लक्षणों को कम कर सकते हैं और उनके आकार को कम कर सकते हैं. जिससे महिलाओं को इनवेसिव सर्जरी की आवश्यकता के बिना राहत मिल सकती है.
यंग लड़कियों में बढ़ा खतरा : डॉ. रश्मि यादव ने बताया कि यंग लड़कियों में यूट्राइन कैंसर का खतरा काफी ज्यादा बढ़ गया है. वैसे तो इसके कई कारण होते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण एक लाइफस्टाइल भी है. फिलवक्त रोजाना 10 से 12 यूट्राइन कैंसर से पीड़ित युवतियां अस्पताल की ओपीडी में आ रहीं हैं. देखा जा रहा है कि धीरे-धीरे यह आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. इन आंकड़ों का बढ़ाने का कारण महिलाओं की लाइफ स्टाइल से जुड़ा हुआ है. युवतियों में यह बीमारी होने के कारण गर्भधारण करने में समस्याएं आती है. उनका गर्भ ठहरता नहीं है. जबकि आज से पांच साल पहले जो यूट्राइन ट्यूमर के बहुत रेयर केस सामने आते थे. पहले इतने आंकड़े नहीं थे कि रोजाना 10 से 12 मरीज यूट्राइन ट्यूमर के आए हो. अब यह आंकड़े धीरे-धीरे बोल रहे हैं जरूरी है कि महिलाएं इस बात की गंभीरता को समझे और अपनी लाइफ स्टाइल को बेहतर करें सोने, उठने और खाना खाने का एक सही समय निर्धारित हो.
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यूट्राइन ट्यूमर और ओवेरियन सिस्ट में अंतर : डॉ. रश्मि यादव ने कहा कि यूट्राइन ट्यूमर और ओवेरियन सिस्ट में बहुत मामूली सा अंतर है. दोनों के लक्षण एक समान होते हैं और दोनों बीमारी के होने के कारण एक समान है. दोनों में ही मरीज का हारमोंस इंबैलेंस होता है. यूट्राइन ट्यूमर गर्भाशय में विकसित होते हैं. जबकि, ओवेरियन सिस्ट अंडाशय में विकसित होते हैं. यूट्राइन ट्यूमर को सौम्य ट्यूमर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. जबकि ओवेरियन सिस्ट ट्यूमर नहीं होते. यूट्राइन ट्यूमर गर्भाशय की परत में मांसपेशी कोशिकाओं से बने होते हैं. जबकि ओवेरियन सिस्ट तरल पदार्थ से भरी थैलियां होती हैं. यूट्राइन ट्यूमर गर्भाशय की दीवार के अंदर या बाहर विकसित हो सकते हैं. जबकि ओवेरियन सिस्ट अंडाशय में या उसकी सतह पर बनते हैं.
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