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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला: शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता बोले- नोटिस आने पर दिया जाएगा जवाब

श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक मामले में शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि, चार प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी किया गया है. हम न्यायालय में अपने साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे. सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश लीगल है या अनलीगल, दोनों पक्षों पर बहस की जाएगी.

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श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला.
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Published : Oct 17, 2020, 3:36 PM IST

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर शुक्रवार को वादी पक्ष द्वारा दलील सुनने के बाद जिला न्यायालय कोर्ट ने अगली सुनवाई 18 नवंबर निर्धारित की है. चार प्रतिवादी पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण सेवा ट्रस्ट को नोटिस जारी किया गया है. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि, हमारे पास नोटिस आएगा, हम उसका समय पर जवाब देंगे.

शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता से खास बातचीत.

तनवीर अहमद ने कहा कि, हमारी तरफ से तैयारी पूरी है. वादी पक्ष द्वारा जो दस्तावेज कोर्ट में रखे गए थे, उसकी कॉपी लेने के बाद हम अपना जवाब दाखिल करेंगे.

अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण शुरू होते ही कृष्ण जन्मभूमि को परिसर से मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर हलचल तेज हो गई हैं. शुक्रवार को जिला न्यायालय कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण को लेकर वादी पक्ष की दलील सुनने के बाद अगली सुनवाई 18 नवंबर निर्धारित की है. प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी कर दिया गया है. 18 नवंबर को वादी और प्रतिवादी दोनों पक्ष जिला न्यायालय कोर्ट में अपने-अपने साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे.

श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा 25 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली गई थी, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान, श्रीकृष्ण सेवा ट्रस्ट,शाही ईदगाह कमेटी और सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट से मांग की गई है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान को मस्जिद मुक्त किया जाए.

30 सितंबर को अपर न्यायाधीश छाया शर्मा ने दस्तावेज पूरे न होने पर याचिका खारिज कर दी थी. अधिवक्ताओं द्वारा 12 अक्टूबर को जिला न्यायालय कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया, अपर कोर्ट पर आरोप लगाते हुए अधिवक्ताओं ने कहा कि तमाम दस्तावेजों पर गौर नहीं किया गया, जिसके चलते याचिका खारिज की गई. सभी दस्तावेजों को पूर्णता ध्यान में रखते हुए 12 अक्टूबर को जिला न्यायालय कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया. 16 अक्टूबर को जिला जज कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा दलील सुनने के बाद चार प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी किया गया है और अगली सुनवाई 18 नवंबर निर्धारित की गई है.

ये भी पढ़ें: कृष्ण जन्मभूमि के ऊपर बने गुंबद का कलंक हटना जरूरी: महंत नरेंद्र गिरि

शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि, जो वादी पक्ष ने सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश के खिलाफ डीजे कोर्ट में अपील डाली थी, अपने साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद याचिका एडमिट कर ली गई है. चार प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने बताया कि, हम न्यायालय में अपने साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे. सिविल जज सीनियर डिविजन के आदेश लीगल है या अनलीगल, दोनों पक्षों पर बहस की जाएगी.

मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर शुक्रवार को वादी पक्ष द्वारा दलील सुनने के बाद जिला न्यायालय कोर्ट ने अगली सुनवाई 18 नवंबर निर्धारित की है. चार प्रतिवादी पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण सेवा ट्रस्ट को नोटिस जारी किया गया है. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि, हमारे पास नोटिस आएगा, हम उसका समय पर जवाब देंगे.

शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता से खास बातचीत.

तनवीर अहमद ने कहा कि, हमारी तरफ से तैयारी पूरी है. वादी पक्ष द्वारा जो दस्तावेज कोर्ट में रखे गए थे, उसकी कॉपी लेने के बाद हम अपना जवाब दाखिल करेंगे.

अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण शुरू होते ही कृष्ण जन्मभूमि को परिसर से मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर हलचल तेज हो गई हैं. शुक्रवार को जिला न्यायालय कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण को लेकर वादी पक्ष की दलील सुनने के बाद अगली सुनवाई 18 नवंबर निर्धारित की है. प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी कर दिया गया है. 18 नवंबर को वादी और प्रतिवादी दोनों पक्ष जिला न्यायालय कोर्ट में अपने-अपने साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे.

श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा 25 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली गई थी, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान, श्रीकृष्ण सेवा ट्रस्ट,शाही ईदगाह कमेटी और सुन्नी वक्फ बोर्ड को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट से मांग की गई है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान को मस्जिद मुक्त किया जाए.

30 सितंबर को अपर न्यायाधीश छाया शर्मा ने दस्तावेज पूरे न होने पर याचिका खारिज कर दी थी. अधिवक्ताओं द्वारा 12 अक्टूबर को जिला न्यायालय कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया, अपर कोर्ट पर आरोप लगाते हुए अधिवक्ताओं ने कहा कि तमाम दस्तावेजों पर गौर नहीं किया गया, जिसके चलते याचिका खारिज की गई. सभी दस्तावेजों को पूर्णता ध्यान में रखते हुए 12 अक्टूबर को जिला न्यायालय कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया. 16 अक्टूबर को जिला जज कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा दलील सुनने के बाद चार प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी किया गया है और अगली सुनवाई 18 नवंबर निर्धारित की गई है.

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शाही ईदगाह कमेटी के अधिवक्ता तनवीर अहमद ने कहा कि, जो वादी पक्ष ने सिविल जज सीनियर डिवीजन के आदेश के खिलाफ डीजे कोर्ट में अपील डाली थी, अपने साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद याचिका एडमिट कर ली गई है. चार प्रतिवादी पक्षों को नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने बताया कि, हम न्यायालय में अपने साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे. सिविल जज सीनियर डिविजन के आदेश लीगल है या अनलीगल, दोनों पक्षों पर बहस की जाएगी.

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