मथुरा: अयोध्या के बाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर स्थित शाही ईदगाह मस्जिद का मामला अदालत पहुंच गया है. मथुरा की अदालत में सिविल मुकदमा दायर कर 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मांगा गया है. साथ ही शाही ईदगाह मस्जिद को जन्मभूमि परिसर से हटाने की अपील की गई है. सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में मुकदमा दायर किया है. इनकी याचिका में सन 1968 के समझौते को गलत बताया गया है. उन्होंने याचिका के जरिए 13.37 एकड़ की श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मालिकाना हक मांगा है.
अयोध्या के राम मंदिर के बाद अब मथुरा की श्रीकृष्ण जन्मभूमि भी सुर्खियों में है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद मामले को लेकर मथुरा कोर्ट में याचिका दायर की गई है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी का कहना है कि याचिकाकर्ताओं ने अभी उनसे संपर्क नहीं किया है. उन्होंने बताया कि राजा पाटनी मल ने सन 1815 में जमीन को खरीदा था. बाद में पाटनी मल के परिवार ने यह जमीन महामना मदन मोहन मालवीय को दान कर दी थी.
शुरू से ही 825 वर्ग जमीन का स्वामित्त पटनीमल परिवार के पास था. पटनीमल परिवार के बाद जमीन पर ट्रस्ट का ही मालिकाना हक है, उसमें ईदगाह भी शामिल है. गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने कहा कि शुरुआती दौर से अभी तक ईदगाह के हिस्से का राजस्व ट्रस्ट नगर निगम को दे रहा है. हर जगह जन्मभूमि परिसर और ईदगाह का करदाता श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट है. सभी जगह मालकियत खाने में जन्मभूमि ट्रस्ट का नाम है. उन्होंने कहा कि शाही ईदगाह मस्जिद मंदिर के फाउंडेशन पर खड़ी हुई है. मंदिर के पत्थरों को जोड़-तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ है. इसलिए मूल जन्म स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर बनना चाहिए.