मथुरा : जिले में सफाई कर्मचारियों की 11 सूत्री मांगें पूरी न होने के चलते बुधवार को उत्तर प्रदेश सफाई कर्मचारी संघ के आवाहन पर सभी सफाई कर्मचारी हड़ताल पर चले गए. इस दौरान सफाई कर्मचारियों ने बताया कि काफी समय से कर्मचारियों की मांग को लेकर नगर निगम मथुरा-वृंदावन से मांगें पूरी करने के लिए मांग की जा रही थी. 23 मई को कर्मचारियों द्वारा हड़ताल की घोषणा की गई लेकिन उसके बाद भी नगर निगम द्वारा सुध नहीं ली गई. इसके चलते मजबूर होकर सफाई कर्मचारियों को हड़ताल पर जाना पड़ा. सफाई कर्मचारियों ने बताया कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी.
जनपद मथुरा में सफाई कर्मचारियों ने अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर बुधवार को हड़ताल कर सफाई कार्य का बहिष्कार कर दिया. भरतपुर गेट चौराहे पर एकत्र होकर सफाई कर्मचारियों ने अपनी हड़ताल की शुरुआत करते हुए नगर निगम के खिलाफ नारेबाजी की. सफाई कर्मचारियों ने बताया कि जब तक नगर निगम द्वारा उनकी 11 सूत्रीय मांगों को पूरा नहीं किया जाता है. तब तक संविदा सफाई कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे.
सफाई कर्मचारियों ने बताया कि विभाग द्वारा पूरे प्रदेश के हर जनपद में 30 दिन का वेतन दिया जाता है. मथुरा में नगर निगम द्वारा केवल 26 दिन का वेतन दिया जाता है. उन्होंने कहा कि मेरठ नगर निगम द्वारा सफाई कर्मचारियों को 12,500 रुपये वेतन दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 2008 से लेकर 2016 तक का सफाई कर्मचारियों को एरियर भी नहीं दिया गया है.
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सफाई कर्मचारियों को 2018 के बाद यूनिफॉर्म भी नहीं दी गई है. वहीं, अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए बताया कि जो बैकलॉग कर्मचारी हैं उनसे विभाग साफ सफाई का काम न कराकर पार्षदों द्वारा अपना निजी कार्य कराया जाता है. वह लोग सफाई काम नहीं करते हैं. इसी प्रकार की 11 सूत्री मांगों को लेकर आज उनके द्वारा हड़ताल की गई है और यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक नगर निगम द्वारा सफाई कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं की जाती हैं.
उत्तर प्रदेश सफाई कर्मचारी संघ प्रांतीय उपाध्यक्ष कामरेड उत्तम चंद सहजना ने बताया कि 18 दिसंबर 2021 को उनके द्वारा 11 सूत्री मांग पत्र लगाए गया था जिस पर 3 जनवरी को नगर आयुक्त द्वारा और सात जनवरी को महापौर और नगर निगम प्रशासन द्वारा वार्ता की गई. एक भी बिंदु का पालन नहीं किया गया. इसके बाद इन्हें अनुस्मारक दिया गया लेकिन उसका भी इनके द्वारा निस्तारण नहीं किया गया.
मजबूर होकर संगठन ने एक मांग पत्र 5 सूत्री संशोधित प्रेषित किया जो 5 मई 2022 को जारी किया गया. इसके बाद 72 घंटे की चेतावनी दी गई. 72 घंटे की चेतावनी के बाद इनके द्वारा स्वयं संज्ञान लेते हुए पत्र का निराकरण कर दिया गया जिसके लिए कोई वार्ता आयोजित नहीं की गई. सफाई कर्मचारियों का कहना है कि उस पत्र का भी जवाब दिया गया लेकिन इनके द्वारा उनकी बात को नजरअंदाज किया गया.
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