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मथुरा: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने वृंदावन में की संतों से मुलाकात - mathura news

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत 4 दिन के प्रवास पर वृंदावन वात्सल्य ग्राम में रुके हुए हैं. वे सुदामा दास महाराज के 14वें वार्षिक स्मृति महोत्सव कार्यक्रम में शामिल रहे. वहां उन्होंने साधु-संतों को सम्बोधित भी किया.

मंच से साधु-संतों को सम्बोधित करते आरएसएस प्रमुख
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Published : Jul 30, 2019, 10:54 AM IST

मथुरा : संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को वृंदावन में साधु-संतों से सुदामा दास की कुटिया में मुलाकात की. मोहन भागवत 4 दिन के प्रवास पर वृंदावन वात्सल्य ग्राम में रुके हुए हैं. सुदामा दास महाराज के 14वें वार्षिक स्मृति महोत्सव कार्यक्रम में सम्मिलित होने गए हैं. मुलाकात के दौरान साधु-संतों से कई अहम मुद्दों पर वार्ता हुई, लेकिन मीडिया को अन्दर जाने की अनुमति नहीं दी गई.

मंच से साधु-संतों को सम्बोधित करते आरएसएस प्रमुख.

वृंदावन पहुंचे मोहन भागवत

  • चार दिन के प्रवास पर संघ प्रमुख वृंदावन के वात्सल्य ग्राम में रुके हुए हैं.
  • वहां उन्होंने साधु-संतों से मुलाकात भी की.
  • वह सुदामा दास महाराज के 14वें वार्षिक स्मृति महोत्सव कार्यक्रम में सम्मिलित हुए.
  • उन्होनें साधु-संतों को संबोधित भी किया.

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंच से संबोधित करते हुए कहा
भारत वर्ष की मातृ भाषा संस्कृत है. यह लाखों से करोड़ों लोगों तक पहुंचानी होगी. हम सब अपना काम कर रहे हैं, संत भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे, बल्कि यह तो सदियों से करते आ रहे हैं. हम तो 1975 में शुरू हुए हैं आप तो युगों से करते हुए आ रहे हैं. हम स्मरण करें और उसका महत्व समझें. हमारे देश में बहुत महापुरुष हुए हैं उनके रास्तों पर चलना हमारा काम है. भारत अपने तत्व शरीर से विद्यमान है. ऐसे तत्वों को हमारे यहां देखा है, जो 5000 वर्ष पूर्व होते रहे वह आज भी महसूस किए जा सकते हैं.

मथुरा : संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को वृंदावन में साधु-संतों से सुदामा दास की कुटिया में मुलाकात की. मोहन भागवत 4 दिन के प्रवास पर वृंदावन वात्सल्य ग्राम में रुके हुए हैं. सुदामा दास महाराज के 14वें वार्षिक स्मृति महोत्सव कार्यक्रम में सम्मिलित होने गए हैं. मुलाकात के दौरान साधु-संतों से कई अहम मुद्दों पर वार्ता हुई, लेकिन मीडिया को अन्दर जाने की अनुमति नहीं दी गई.

मंच से साधु-संतों को सम्बोधित करते आरएसएस प्रमुख.

वृंदावन पहुंचे मोहन भागवत

  • चार दिन के प्रवास पर संघ प्रमुख वृंदावन के वात्सल्य ग्राम में रुके हुए हैं.
  • वहां उन्होंने साधु-संतों से मुलाकात भी की.
  • वह सुदामा दास महाराज के 14वें वार्षिक स्मृति महोत्सव कार्यक्रम में सम्मिलित हुए.
  • उन्होनें साधु-संतों को संबोधित भी किया.

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंच से संबोधित करते हुए कहा
भारत वर्ष की मातृ भाषा संस्कृत है. यह लाखों से करोड़ों लोगों तक पहुंचानी होगी. हम सब अपना काम कर रहे हैं, संत भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे, बल्कि यह तो सदियों से करते आ रहे हैं. हम तो 1975 में शुरू हुए हैं आप तो युगों से करते हुए आ रहे हैं. हम स्मरण करें और उसका महत्व समझें. हमारे देश में बहुत महापुरुष हुए हैं उनके रास्तों पर चलना हमारा काम है. भारत अपने तत्व शरीर से विद्यमान है. ऐसे तत्वों को हमारे यहां देखा है, जो 5000 वर्ष पूर्व होते रहे वह आज भी महसूस किए जा सकते हैं.

Intro:मथुरा।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत 4 दिन के प्रवास पर वृंदावन वात्सल्य ग्राम में रुके हुए हैं ।सोमवार की देर शाम वृंदावन साधु-संतों के साथ मोहन भागवत ने की मुलाकात। सुदामा दास महाराज की 14 वां वार्षिक स्मृति महोत्सव कार्यक्रम में की शिरकत। मोहन भागवत ने कहा शक्ति और भक्ति दोनों है तो सभी काम पूरे हो जाएंगे शक्ति बिना भक्ति अधूरी है शक्ति में भक्ति की इच्छा है।Body: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने वृंदावन साधु-संतों के साथ सुदामा दास की कुटिया में मुलाकात की मुलाकात के दौरान साधु संतों से कई अहम मुद्दों पर वार्ता हुई लेकिन मीडिया को अनुमति अंदर जाने कि नहीं दी गई वही सुदामा दास की स्मृति महोत्सव कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा हम द्वेष की भावना को छोड़ दें हम प्रतिशोध की भावना को छोड़ दें हम विजय सती को अपने पास रखें भक्ति और शक्ति दो नहीं है भक्ति की ही शक्ति होती है। पहलाद में भी सकती थी जो अग्नि के प्रकोप से भी बच गए। भक्ति को मन में समाकर कर ईश्वर की आराध्य करें तो हम सबसे सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बन सकते हैं विश्व की सेवा करने वाले राष्ट्र बन जाएंगे।Conclusion:संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा साधु संतों के साथ वार्ता हुई है वह सब होगा इच्छाशक्ति है मन में विश्वास है समय आने पर सब कुछ होगा संघ ने कुछ नहीं कहा मैंने कुछ नहीं किया लेकिन होने वाला है समय आने पर सब कुछ होगा।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंच से संबोधित करते हुए कहा भारत वर्ष की मात्र भाषा संस्कृत है लाखों से करोड़ों लोगों तक पहुंचाने होगी ।हम सब अपना अपना काम कर रहे हैं संत भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे बल्कि यह तो सदियों से करते आ रहे हैं। हम तो 1975 में शुरू हुए हैं आप तो युगों से करते हुए आ रहे हैं। हम स्मरण करें और उसका महत्व समझें हमारे देश में बहुत महापुरुष हुए हैं और स्मरण भी करते हैं उनके रास्तों पर चलना हमारा काम है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत अपने तत्व शरीर से विद्यमान है ऐसे तत्वों को हमारे यहां देखा है जो 5000 वर्ष पूर्व होते रहे आज भी महसूस किए जा सकते हैं आज भी हमारे यहां उनको साक्षात दर्शन देखने वाले हैं भगवान राम के साक्षात दर्शन होते हैं वह गलत नहीं है और गलत हो ही नहीं सकता।

मंच से संबोधन मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ


Mathura reporter
Praveen sharma
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