मथुरा : जनपद के अपर जिला सेशन न्यायाधीश प्रथम की कोर्ट में गुरुवार को पीएफआई मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. क्योंकि न्यायालय में जज के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण दो दिन का अवकाश घोषित कर दिए गया है. पीएफआई मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी. 12 अप्रैल को आरोपी पक्ष अधिवक्ता ने एडीजे प्रथम की कोर्ट में पीएफआई सदस्यों पर हुई कार्रवाई को अवैध बताया है.
एडीजे प्रथम कोर्ट में PFI मामले की होनी थी सुनवाई
न्यायालय के जज और कर्मचारी के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण कोर्ट में दो दिन का अवकाश घोषित किया गया है. वहीं 12 अप्रैल को आरोपी पक्ष अधिवक्ता ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था. प्रार्थना पत्र पर अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी.
आरोपियों के खिलाफ 3 अप्रैल को दाखिल हुई चार्जशीट
पिछले साल 5 अक्टूबर को पकड़े गए पीएफआई सदस्य के खिलाफ एसटीएफ की टीम ने आठ आरोपियों के खिलाफ अतीकुर्रहमान, आलम, मसूद, सिद्दीकी कप्पन, फिरोज खान पीएफआई संगठन का कमांडर अंसद बदरुदीन छात्र विंग संगठन महासचिव रउफ शरीफ और दानिश, के खिलाफ नोएडा एसटीएफ की टीम ने 5000 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी.
3 अप्रैल को आरोपियों की कोर्ट में हुई पेशी
मथुरा जिला कारागार में बंद पीएफआई के सदस्य अतीकुर्रहमान, आलम, मसूद, सिद्धकी कप्पन, छात्र विंग संगठन महासचिव रउफ शरीफ को कड़ी सुरक्षा के बीच में एडीजे प्रथम कोर्ट में लाया गया, जबकि लखनऊ जेल में बंद पीएफआई के 2 सदस्य फिरोज खान और कमांडर अंसद बदरुद्दीन की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गई. कोर्ट में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के बाद एडीजे प्रथम जज अनिल कुमार पांडे मामले की अगली सुनवाई 1 मई को तय की गई है.
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आरोपी पक्ष अधिवक्ता मधुबन दत्त चतुर्वेदी ने बताया कि 12 अप्रैल को एडीजे प्रथम कोर्ट में प्राथना पत्र दाखिल किया था. इसमें मांग की गई थी कि पीएफआई सदस्यों पर संपूर्ण कार्रवाई तत्काल समाप्त की जाए. क्योंकि धारा 45 यूएपीए के तहत अनुज्ञा के अभाव में अवैध है. 3 अप्रैल को नोएडा एसटीएफ ने जो कोर्ट मे आरोप पत्र दाखिल किए थे, उसमें हाई लेवल कमेटी की रिपोर्ट नहीं है जो कि अनिवार्य होती है. चार्जशीट के साथ सिर्फ धारा 196 सीआरपीसी के तहत बल पूर्वक सदस्यों से गुना कबूल करवाये गए. उन्हीं के आधार पर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई. अनुज्ञा के अभाव में संज्ञान का आदेश अवैध था. एसटीएफ की इस गंभीर चूक के चलते यह केस कानूनन नहीं चल सकता. प्रार्थना पत्र पर अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी.